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Chhattisgarh: सुकमा से हैदराबाद रेत परिवहन, खनिज विभाग के आदेशों में अस्पष्टता, ठेकेदार कमा रहे मुनाफा
अमर उजाला नेटवर्क, सुकमा
Published by: अनुज कुमार
Updated Thu, 21 Aug 2025 10:00 PM IST
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सार
सुकमा से हैदराबाद रेत के परिवहन पर सवाल उठ रहे हैं। खनिज विभाग के आदेशों में बाहरी राज्यों का जिक्र नहीं है। ठेकेदार मुनाफे के लिए नियमों का दुरुपयोग कर रहे हैं।

सुकमा जिले में रेत परिवहन
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सुकमा जिले में रेत परिवहन का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। कोंटा क्षेत्र से हैदराबाद सहित पड़ोसी राज्यों की ओर रेत भेजे जाने पर सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं क्योंकि खनिज विभाग के आदेश में इस बात का स्पष्ट उल्लेख नहीं है कि रेत का परिवहन बाहर राज्यों में किया जा सकता है। आदेशों की यही धुंधली भाषा ठेकेदारों के लिए सहारा बन गई है और विभाग मौन दर्शक बना हुआ है।

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हाल ही में जिला प्रशासन की टीम ने जांच के दौरान 16 पहिया भारी वाहन जिसमें 54 टन रेत भरी थी। यह मात्रा सरकार की तय सीमा और अतिरिक्त छूट से भी अधिक थी। इससे पहले भी रेत के अवैध कारोबार पर कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने कई भंडारण स्थलों को सील किया था, लेकिन कुछ समय के सन्नाटे के बाद दोबारा यही कारोबार शुरू हो गया।
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कोंटा की रेत हैदराबाद में बेहिसाब मुनाफे का जरिया बनी हुई है। जिले में जहाँ एक हाइवा रेत 8 से 10 हजार रुपए में मिलती है, वहीं हैदराबाद में इसकी कीमत 54 से 56 हजार तक पहुँच जाती है। यही कारण है कि स्थानीय उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर रेत नहीं मिल पाती और ठेकेदार पड़ोसी राज्यों में अधिक मुनाफा कमाने पर ध्यान देते हैं।
खनिज विभाग की कमजोर व्यवस्था भी इस पूरे खेल को बढ़ावा देती है। वर्षों बाद भी जिले में अलग से अमला नियुक्त नहीं है और दंतेवाड़ा से प्रभारी अधिकारी ही जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। स्टाफ की कमी के कारण विभाग समय पर कार्रवाई नहीं कर पाता और अन्य विभागों पर निर्भर रहता है।
बता दें कि बीते दिनों कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव के निर्देश पर कोन्टा क्षेत्र में अवैध भंडारण पर बड़ी कार्रवाई की गई। प्रभारी खनिज अधिकारी छबिलेश्वर मौर्य के नेतृत्व में तीन स्थलों से लगभग 1200 हाइवा रेत ज़ब्त की गई और 44.97 लाख रुपए का अर्थदंड लगाया गया। यह कार्रवाई पहले हुई कार्यवाहियों की अगली कड़ी मानी जा रही है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब भी बरकरार है कि विभागीय आदेशों में बाहरी राज्यों में परिवहन पर स्पष्टता क्यों नहीं है।