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CG: शिवनाथ नदी प्रदूषण मामले में हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, डिस्टलरी के पानी में पर्याप्त ऑक्सीजन की पुष्टि
अमर उजाला नेटवर्क, बिलासपुर
Published by: श्याम जी.
Updated Mon, 14 Jul 2025 09:48 PM IST
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सार
बिलासपुर हाईकोर्ट में शिवनाथ नदी प्रदूषण मामले की सुनवाई हुई, जहां शासन ने बताया कि डिस्टलरी के पानी के सैंपल में पर्याप्त ऑक्सीजन स्तर पाया गया। कोर्ट ने मॉनिटरिंग के लिए अगली सुनवाई अगस्त में निर्धारित की।

बिलासपुर हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
शराब डिस्टलरी के पानी से नदी के प्रदूषित होने के मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। शासन की ओर से बताया गया कि विगत 5 माह से लिए जा रहे पानी के सैंपल में पर्याप्त ऑक्सीजन मिली है। डीबी ने इस मामले मॉनिटरिंग के लिए रखकर अगस्त में अगली सुनवाई निर्धारित की है।
डिस्टलरी से निकल रहे केमिकल से शिवनाथ नदी के प्रदूषित होने, मछलियाँ और मवेशी मरने की जानकारी सामने आई थी। हाईकोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण मंडल को गत 3 फरवरी 2025 को आवश्यक निर्देश देकर कार्रवाई के लिए कहा था। इसके अनुपालन में क्षेत्रीय अधिकारी, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने एक शपथपत्र प्रस्तुत कर बताया कि इस उद्योग का निरीक्षण भी क्षेत्रीय कार्यालय, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों द्वारा क्रमशः 7 मार्च और 24 मार्च 2025 को किया गया था।
निरीक्षण में पाया गया कि उद्योग ने ड्रायर और आरओ युक्त बहु-प्रभाव वाष्पीकरण प्रणाली स्थापित की है। उद्योग अपने अपशिष्ट जल का उपचार करता है और उसका पुन: उपयोग शीतलन, धूल नियंत्रण और पौधरोपण में करता है। निरीक्षण के दौरान, उद्योग शून्य उत्सर्जन की स्थिति पाया गया। विभाग के सबंधित अधिकारी निरंतर निगरानी रख रहे हैं।
आज कोर्ट को बताया गया कि लगातार पानी का सैंपल लिया जा रहा है। इस दौरान ऑक्सीजन का लेवल 5 से उपर है। मछली पालन के लिए लेवल 4 होना जरूरी है। इस तरह यहाँ आक्सीजन की सही मात्रा है जो आवश्यक मानदंडों को पूरा करती है।

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डिस्टलरी से निकल रहे केमिकल से शिवनाथ नदी के प्रदूषित होने, मछलियाँ और मवेशी मरने की जानकारी सामने आई थी। हाईकोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण मंडल को गत 3 फरवरी 2025 को आवश्यक निर्देश देकर कार्रवाई के लिए कहा था। इसके अनुपालन में क्षेत्रीय अधिकारी, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने एक शपथपत्र प्रस्तुत कर बताया कि इस उद्योग का निरीक्षण भी क्षेत्रीय कार्यालय, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों द्वारा क्रमशः 7 मार्च और 24 मार्च 2025 को किया गया था।
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निरीक्षण में पाया गया कि उद्योग ने ड्रायर और आरओ युक्त बहु-प्रभाव वाष्पीकरण प्रणाली स्थापित की है। उद्योग अपने अपशिष्ट जल का उपचार करता है और उसका पुन: उपयोग शीतलन, धूल नियंत्रण और पौधरोपण में करता है। निरीक्षण के दौरान, उद्योग शून्य उत्सर्जन की स्थिति पाया गया। विभाग के सबंधित अधिकारी निरंतर निगरानी रख रहे हैं।
आज कोर्ट को बताया गया कि लगातार पानी का सैंपल लिया जा रहा है। इस दौरान ऑक्सीजन का लेवल 5 से उपर है। मछली पालन के लिए लेवल 4 होना जरूरी है। इस तरह यहाँ आक्सीजन की सही मात्रा है जो आवश्यक मानदंडों को पूरा करती है।