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Surguja: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के जेल वार्ड से दो कैदी फरार, मचा हड़कंप, सुरक्षा व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

अमर उजाला नेटवर्क, सरगुजा Published by: आकाश दुबे Updated Tue, 21 Oct 2025 07:50 PM IST
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सार

यह घटना जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। पिछले पखवाड़े भर के भीतर बंदियों के फरार होने की यह दूसरी घटना है। इससे पहले, 4 अक्तूबर की रात बिलासपुर जिले के मस्तूरी थाना क्षेत्र के ग्राम मल्हार निवासी मुकेश कांत को भी अंबिकापुर जेल से शिफ्ट किए जाने के बाद बिलासपुर जेल से भाग निकला था।

Two prisoners escape from jail ward of Ambikapur Medical College
अंबिकापुर जेल - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अंबिकापुर में दीपावली की रात एक बड़ी सुरक्षा चूक सामने आई है, जहां अंबिकापुर सेंट्रल जेल से दो विचाराधीन कैदी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जेल वार्ड से फरार हो गए। यह 15 दिनों में दूसरी बार है जब जेल से कैदियों के भागने की खबर आई है, जिससे जेल प्रशासन और पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। कैदियों के फरार होने की सूचना मंगलवार सुबह जेल अधिकारियों के साथ-साथ सरगुजा पुलिस को दी गई। सूचना मिलते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया और दोनों कैदियों की तलाश में व्यापक अभियान चलाया गया है।

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सेंट्रल जेल में बंद दो कैदी, रितेश सारथी (ग्राम अंधला, लखनपुर) और पवन पाटिल (ग्राम जमड़ी, भैयाथान, सूरजपुर), तबीयत खराब होने के कारण मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती थे। दीपावली की रात लगभग तीन बजे, दोनों कैदियों ने जेल वार्ड में तैनात सुरक्षा प्रहरियों को चकमा देते हुए चुपके से वार्ड से निकलकर फरार होने में सफल हो गए। सुरक्षा कर्मियों को इस घटना की भनक तक नहीं लगी। फरार हुए कैदियों में रितेश सारथी एक विचाराधीन बंदी है, जिसे पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। वहीं, पवन पाटिल एनडीपीएस एक्ट का आरोपी है, जिसे सूरजपुर जेल से अंबिकापुर शिफ्ट किया गया था। सेंट्रल जेल के अधीक्षक अक्षय राजपूत ने दोनों कैदियों के फरार होने की पुष्टि की है और बताया है कि इस संबंध में पुलिस को सूचित कर दिया गया है।
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सुरक्षा व्यवस्था पर उठते सवाल
यह घटना जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। पिछले पखवाड़े भर के भीतर बंदियों के फरार होने की यह दूसरी घटना है। इससे पहले, 4 अक्तूबर की रात बिलासपुर जिले के मस्तूरी थाना क्षेत्र के ग्राम मल्हार निवासी मुकेश कांत को भी अंबिकापुर जेल से शिफ्ट किए जाने के बाद बिलासपुर जेल से भाग निकला था। मुकेश कांत को हत्या के आरोप में सजा सुनाई गई थी। हालांकि, वह दो दिनों बाद बिलासपुर पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था।

जेल में वसूली के आरोप और कर्मियों की बर्खास्तगी 
हाल ही में अंबिकापुर सेंट्रल जेल में वसूली और प्रताड़ना के आरोप भी सामने आए थे। बंदी मुकेश कांत की पत्नी अमेरिका बाई कुर्रे ने कलेक्टर से शिकायत की थी कि जेल के कुछ अधिकारी और कर्मचारी उसके पति से पैसों की मांग कर रहे थे और पैसे न देने पर जातिगत गालियां देते हुए मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे। इस गंभीर आरोप के बाद, जेल प्रबंधन ने कार्रवाई करते हुए अंबिकापुर सेंट्रल जेल के तीन कर्मियों को जेल मुख्यालय रायपुर द्वारा बर्खास्त कर दिया गया था। फिलहाल, फरार कैदियों की तलाश जारी है और पुलिस प्रशासन किसी भी तरह की कोताही बरतने के मूड में नहीं है। इस घटना ने एक बार फिर जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली और सुरक्षा तंत्र की खामियों को उजागर कर दिया है।

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