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विश्व सिनेमा की जादुई दुनिया: जोया अख्तर- युवाओं की कहानी

Dr. Vijay Sharma डॉ. विजय शर्मा
Updated Tue, 14 Oct 2025 04:16 PM IST
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सार

  • जोया का पूरा परिवार साहित्य और फिल्म से जुड़ा हुआ है। पिता जावेद अख्तर जाने-माने गीतकार, स्क्रीनप्ले राइटर, भाई फरहान अख्तर भी फिल्मों से जुड़े हुए हैं।
  • जोया अख्तर ग्लोबल दर्शक के लिए फिल्म बनाती हैं। उन्होंने ‘वॉयजेज ऑफ द स्ट्रीट’ (एक एपीसोड), ‘मेड इन हेवन’ (4 एपीसोड) टीवी सीरियल का भी निर्देशन किया है। 

history of world cinema Zoya Akhtar Indian director and film producer
जोया अख्तर - फोटो : एक्स (ट्विटर)
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विस्तार
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30 पुरस्कारों से लैस मुंबई में जन्मी जोया अख्तर कहानी कहने की उस्ताद हैं। वे रुपहले परदे पर कहानी कहती हैं। उन्होंने 10 फिल्में निर्देशित की हैं। 17 फिल्में प्रड्यूस भी हैं और क्यों न हों वे ऐसी? उनका पूरा परिवार साहित्य और फिल्म से जुड़ा हुआ है। पिता जावेद अख्तर जाने-माने गीतकार, स्क्रीनप्ले राइटर, भाई फरहान अख्तर भी फिल्मों से जुड़े हुए हैं।



उनकी पहली फिल्म ‘लकी बाई चान्स’ (2009) बहुत गैलमरस नहीं थी, पर उसका दर्शकों के बीच स्वागत हुआ। हालांकि इसके पहले पहले जोया ने 2004 में ‘नर्गिस’ बनाने का प्रयास किया। मगर वह बेल कभी मेढ़े न चढ़ सकी। पहली फिल्म का स्क्रीनप्ले उन्होंने अपने पिता एवं अतर नवाज के साथ मिल कर लिखा। नायक अपने भाई को बनाया, नायिका सोना मिश्रा के रूप में कोंकणा सेन शर्मा को रखा, साथ में हैं ऋषि कपूर,संजय कपूर, हृतिक रोशन, जूही चावला, डिम्पल कपाडिया, अली खान भी ।
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फिल्म से 8 पुरस्का झोली में आए, जिसमें फिल्मफेयर का सर्वोतम नव-निर्देशक एवं भारत का अनुअल सेंट्रल यूरोपियन बॉलीवुड अवार्ड्स भी शामिल हैं। द न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे ‘ए बॉलीवुड सटायर’ की संज्ञा दी है।

फिल्म  ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’

दो साल बाद 2011 में जोया ने ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ का निर्देशन किया। ढाई घंटे की इस फिल्म ने 35 पुरस्कार जीते। इस बार स्क्रीनप्ले लिखा भाई फरहान अख्तर एवं रीमा काग्टी के साथ मिल कर औरअभिनेता हैं, ऋतिक रोशन, फरहान अख्तर एवं अभय देओल। वैसे कटरीन कैफ, नसीरुद्दीन शाह, दीप्तिनवल, कल्की कोचलिन, भी यहां हैं।

यह रोड मूवी युवाओं एवं एन.आर. आई को ध्यान में रख कर बनाई गई है। जहां स्पेन के एक्जोटिक लोकेशन, बैचलर पार्टी, सी डाइविंग, टमाटर फेस्टिवल, पीना-पिलाना,रोमांस, एडवेंचर भरपूर हैं। तीनों दोस्तों की केमिस्ट्री अच्छी तरह काम करती है। दर्शक बार-बार इस फिल्म को देखने गया।

2013 की ‘बॉम्बे टाकीज’ चार कहानियां (‘शीला की जवानी’, ‘स्टार’, ‘अजीब दास्तान है’ तथा ‘मुरब्बा’) समेटे हुए है। जोया अख्तर ने ‘शीला की जवानी’ का निर्देशन किया है। चारों में इसे सबसे बढ़िया कह सकते हैं। अभिनेत्री कटरीन कैफ से प्रेरित विक्की (नमन जैन) डॉन्सर बनना चाहता है, कटरीना उसे अपने स्वप्न को चुपचाप पूरा करने की सलाह देती है।

अधिकांश पिताओं की तरह उसके पिता इसके खिलाफ हैं पर उसकी बहन काव्या (खुशी दुबे) उसे बढ़ावा देती है। वास्तविकता को जादुई तरीके से प्रस्तुत करना इस फिल्म की यूएसपी है। भाई-बहन की कैमेस्ट्री अच्छी जेल करती है। जोया की कई फिल्में दो-दो साल के अंतराल पर आई हैं। 

‘दिल धड़कने दो’

2015 की फिल्म भी उन्होंने जावेद अख्तर एवं रीमा काग्टी के साथ मिलकर लिखी है। करीब तीन घंटे उनकी निर्देशित फिल्म ‘दिल धड़कने दो’ में मेहरा परिवार शादी की 30वीं वर्षगांठ मना रहा है। अभिनय किया है, अनिल कपूर (कमल मेहरा), शेफाली शाह (नीलम मेहरा), प्रियंका चोपड़ा (आयशा अली), रनवीर सिंह (कबीर मेहरा) राहुल बोस, फरहान अख्तर, आमीर खान, अनुष्का शर्मा, ज़रीन बहाव, विक्रांत मैसी आदि ने।

शहरी दर्शकों को लुभाने वाली फिल्म ने 10 पुरस्कार बटोरे। क्रूज पर परिवार एवं दोस्तों के साथ 10 दिन-रात रहना आसान नहीं है। इस करोड़पति बाहर से सुखी दीखते परिवार का अंतर्जगत इतना न तो सुखी है और न ही इतना कूल एवं शांत। कॉमेड और मसाला फिल्म पर बॉलीवुड का ठप्पा है।

‘लस्ट स्टोरीज’ (2018) तथा ‘घोस्ट स्टोरीज’ (2020) भी ‘बॉम्बे टाकीज’ की तरह चार निर्देशकों (जोया अख्तर, दिबाकर बैनर्जी, करण जोहर एवं अनुराग कश्यप) द्वारा बनाई चार कहानियों का समुच्चय है। लस्ट स्टोरीज को एक एवं घोस्ट स्टोरीज को तीन पुरस्कार मिले।

जोया अख्तर के लिए ‘लस्ट स्टोरीज में भूमि पेडनेकर (सुधा महेश्वरी), नील भूपालम (अजित खन्ना), निकेता दत्ता (रुक्मिनी सोनकरी), रसिका दुग्गल (सोनालिका अतिहरन) ने काम किया है। ‘घोस्ट स्टोरीज; में उन्होंने जान्हवी कपर (समीरा), सुरेखा सीकरी (मिसेज मलिक), विजय वर्मा (गुड्डु) को लिया है।

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जोया अख्तर - फोटो : इंस्टाग्राम @zoieakhtar

‘गली बॉय’ (2019) ने मचाई धूम

जोया अख्तर की ‘गली बॉय’ (2019) ने धूम मचाई। 76 पुरस्कारों के साथ यह एक कल्ट फिल्म साबित हुई। आर्टिस्ट नैस द्वारा प्रड्यूस यह म्युजिकल ड्रामा ‘कमिंग ऑफ एज’ है जो मुंबए के एक स्ट्रीट रैपर मुराद अहमद (रनवीर सिंह) के बारे में है।

आलिया भट्ट, सिद्धांत चतुर्वेदी, विजय राज़ भी यहां नजर आते हैं, सबका काम बहुत अच्छा है। ऑस्कर में यह भारत की ऑफीसियल एंट्री थी। गरीबी में भी प्रतिभा के फूल खिलते हैं। बचपन भले ही बुरा रहा हो, उसके पार जाकर भी कुछ कर दिखाया जा सकता है।

आकर्षक पात्र में रणवीर कपूर ने अपनी ऊर्जा से जान डाल दी है। गाने बच्चे-बच्चे की जबान पर चढ़ गए, खासकर ‘अपनाटाइम आएगा’। सत्याधारित फिल्म ‘गली बॉय’ सबने देखी, सबको देखनी चाहिए।

ग्लोबल दर्शक के लिए फिल्में

जोया अख्तर ग्लोबल दर्शक के लिए फिल्म बनाती हैं। उन्होंने ‘वॉयजेज ऑफ द स्ट्रीट’ (एक एपीसोड), ‘मेड इन हेवन’ (4 एपीसोड) टीवी सीरियल का भी निर्देशन किया है। उनकी पहली फिल्म कम बजट वाली थी मगर बाद में ऐसा न रहा। उन्होंने खूब चमक-दमक वाली फिल्में बनाईं। 2023 में एक बार फिर जोया ने कमिंग ऑफ एज की फिल्म ‘दि आर्चीज’ बनाई। इसका लेखन उन्होंने फरहान अख्तर एवं आएशा डिव्ट्रे के साथ मिल कर किया।

अगस्त्या नन्दा, खुशी कपर तथा सुहाना खान अभिनीत ‘दि आर्चीज’ भारत के पिछ्ली सदी के साठ के दशक में, एक काल्पनिक स्थान रिवरडेल में स्थित है। यह भी म्युजिकल फिल्म है। युवा हैं तोरोमांस, दोस्ती है और साथ में है युवाओं का भविष्य।

युवा अपने प्रिय पार्क को पूंजीपतियों के हवाले कर पर्यावरण का नुकसान नहीं होने दे सकते हैं। उद्योगपतियों एवं युवाओं एक लंबा संघर्ष होता। फिल्म है अत: युवाओं की जीत होती है। पूर्वार्द्ध मस्ती में गुजरता है, तो उत्तरार्द्ध जिम्मेदारी के एहसास के साथ। एनीमेशन, कार्टून का सहारा लेती यह फिल्म म्युजिकल है, तो मनभावन संगीत है, जिसका निर्माण शंकर महादेवन, लोय मेन्डोन्सा, एहसान नूरानी, अंकुर तिवारी एवं दि आईलैंडर्स ने किया है।

'खो गए हम कहां’

12 पुरस्कार से लैस 2023 में ही आई है, ‘खो गए हम कहां’। जोया अख्तर ने अर्जुन वरेन सिंह और रीमाकाग्टी के सात मिल कर इसका लेखन किया है मगर इस बार उनका निर्देशन नहीं है। इस फिल्म का निर्देशन अर्जुन वरेन सिंह ने किया है। सवा दो घंटे की फिल्म में अनन्या पाण्डेय, सिद्दांत चतुर्वेदी एवं आदर्श गौरव ने अभिनय किया है।

जमाना डिजिटल है, ओटीटी की बहार है तो उसके अनुरूप मुंबई के तीन जेन-जी हैं। जिनकी दोस्ती है और वे आज के युग में जिंदगी का अर्थ खोज रहे हैं। जोया युवाओं केलिए स्फूर्तिदायक फिल्म बनाती हैं। वे आज के युवाओं की नब्ज पहचानती हैं इसीलिए उनकी फिल्में खूब चलती हैं। अभी उनसे सिने जगत को बहुत उम्मीदें हैं।

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डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।

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