कमाल का मैच: ओवल के मैदान पर हारी बाजी पलटकर 'बाजीगर' बना भारत

'हारकर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं', एंडरसन-तेंदुलकर सीरीज के पांचवें और अंतिम ओवल टेस्ट में कुछ ऐसा ही परिणाम आया है। जहां चौथे दिन के अंत में मैच मेजबान इंग्लैंड के पक्ष में था, वहीं पांचवें दिन भारत के गेंदबाजों ने पासा पलट कर रख दिया। इंग्लैंड की मुट्ठी में आया मैच फिसलकर भारत की झोली में आ गिरा। भारत की साहसिक गेंदबाजी ने सीरीज को 2-2 पर ला दिया। ओवल टेस्ट में न केवल भारतीय बल्लेबाजों, बल्कि गेंदबाजों ने भी बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

पहली पारी में भारत कुछ खास बड़ा स्कोर खड़ा नहीं कर पाया था। मात्र 224 रन पर पारी धराशाही हो गई थी। हालांकि, इंग्लैंड भी अपनी पहली पारी में ज्यादा बढ़त नहीं ले पाया और मात्र 23 रन की लीड उसे मिली। भारत की दूसरी पारी में यशस्वी जायसवाल के शतक, आकाशदीप, रविंद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर के अर्धशतकों की बदौलत मेजबानों को 374 रन का टारगेट मिला। भारत की दूसरी पारी में वाशिंगटन सुंदर के अंतिम क्षणों में 40 गेंदों पर 53 रन भारत को पांचवें दिन बेहद काम आए।
गेंदबाजों का जबरदस्त प्रदर्शन
मो. सिराज और प्रसिद्ध कृष्णा ने पूरे मैच में जबर्दस्त गेंदबाजी का प्रदर्शन किया। पहली पारी में दोनों ने चार-चार विकेट लिए तो दूसरी पारी में भी मो. सिराज को पांच और प्रसिद्ध कृष्ण को चार विकेट मिले। अंतिम दिन जिस तरह से दोनों तेज गेंदबाजों ने मैच प्रारंभ होते ही इंग्लैंड को झटके दिए, उसने पूरा गेम बदल कर रख दिया। जसप्रीत बुमराह की गैर मौजूदगी में भारत के तेज गेंदबाजों का ऐसा प्रदर्शन बेहद सुखद है।
मेजबान इंग्लैंड ने मैच बचाने की भरसक कोशिश की। अपने घायल खिलाड़ी क्रिस वॉक्स को एक हाथ से बैटिंग करने के लिए भेजा, लेकिन उनका यह समर्पण भी टीम के काम नहीं आया। गस एटकिंसन ने अंत तक संघर्ष किया और एक छोर से बल्लेबाजी कर भारतीय गेंदबाजों पर हावी होने की कोशिश की।
मोहम्मद सिराज की एक गेंद पर छक्का मारकर उन्होंने अपने इरादे भी जता दिए थे, लेकिन अंततः एटकिंसन के विकेट उखाड़ कर मो. सिराज ने भारत को 6 विकेट से रोमांचकारी और अविस्मरणीय जीत दिलाई।
एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी रहेगी यादगार
क्रिकेट को अनप्रिडिक्टेबल यानी जिसका पूर्वानुमान न लगाया जा सके, खेल कहा जाता है। यह ओवल के मैदान पर एक बार फिर साबित भी हुआ। चौथी पारी में जिस तरह से मेजबानों ने बल्लेबाजी की। जो रूट और हैरी ब्रूक के शतक और 195 रन की पार्टनरशिप से कहीं नहीं लग रहा था कि इंग्लैंड इस मैच को हारेगा, लेकिन अंतिम 5 विकेट मात्र 35 रनों पर लेकर भारत ने पूरा मैच ही बदल दिया।
एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी को इस मायने से भी याद किया जाएगा कि टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार किसी सीरीज में 9 बल्लेबाजों ने 400 रनों का आंकड़ा पार किया, जिसमें भारत के पांच और इंग्लैंड के चार बल्लेबाज शामिल हैं। यह टेस्ट इतिहास की दूसरी ऐसी सीरीज है, जिसमें 7000 से ज्यादा रन बने हैं। इससे पहले वर्ष 1993 में एशेज सीरीज में 7221 रन बने थे। हालांकि, उस सीरीज में 6 टेस्ट मैच खेले गए थे।
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