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जीवन धारा: बुद्धिमत्ता जन्मजात नहीं होती... स्वयं को पहचानना ही सबसे प्रभावी सूत्र

रॉबर्ट ग्रीन Published by: शुभम कुमार Updated Tue, 16 Sep 2025 07:13 AM IST
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सार

बुद्धिमत्ता जन्मजात नहीं होती, बल्कि यह सीखने की तीव्र इच्छा और उच्च-स्तरीय कौशल विकसित करने की प्रक्रिया से ही संभव है। मैं इस शक्ति को ‘निपुणता’ कहता हूं।
 

Jeevan Dhara: Intelligence is not by birth Knowing yourself is the most effective formula
जीवन धारा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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शक्ति और बुद्धिमत्ता का एक ऐसा रूप मौजूद है, जो मानवीय क्षमता के चरम बिंदु का प्रतिनिधित्व करता है। यह इतिहास की महानतम उपलब्धियों और खोजों का स्रोत है। यह एक ऐसी बुद्धिमत्ता है, जो न तो हमारे स्कूलों में पढ़ाई जाती है और न ही प्रोफेसरों द्वारा इसका विश्लेषण किया जाता है, लेकिन हममें से लगभग सभी ने, किसी न किसी समय, अपने अनुभव में इसकी झलक देखी है। जब हम परिणाम पाने के दबाव में किसी समय-सीमा के भीतर गहनता से काम करते हैं, तो कहीं से भी विचार हमारे पास आते प्रतीत होते हैं।
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हम मानसिक रूप से अधिक सक्रिय और रचनात्मक महसूस करते हैं। यह एक ऐसा मार्ग है, जिसका हम सभी अनुसरण कर सकते हैं। हम आम तौर पर उन लोगों की कल्पना करते हैं, जो दुनिया में महान उपलब्धियां हासिल करते हैं, जैसे कि उनके पास कोई बड़ा दिमाग या कोई जन्मजात प्रतिभा होती है, जिससे वे खुद को प्रतिभाशाली बनाते हैं। लेकिन बुद्धिमत्ता जन्मजात नहीं होती, बल्कि यह सीखने की तीव्र इच्छा और उच्च-स्तरीय कौशल विकसित करने की प्रक्रिया से ही संभव है। मैं इस शक्ति को ‘निपुणता’ कहता हूं और मेरा मानना है कि कोई भी इस तक पहुंच सकता है।
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याद रखें, निपुणता की ओर पहला कदम हमेशा यह जानना होता है कि आप वास्तव में कौन हैं और उस सहज शक्ति से फिर से जुड़ना होता है। इसके बाद, हम जीवन के सबसे महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश करते हैं, जिसे व्यावहारिक शिक्षा या प्रशिक्षुता कहते हैं। जैसे-जैसे आप अपने जीवन में अधिक कौशल अर्जित करेंगे और अपने क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले नियमों को आत्मसात करेंगे, आपका मन अधिक सक्रिय होना चाहेगा और इस ज्ञान का उपयोग उन तरीकों से करने की कोशिश करेगा, जो आपकी रुचियों के अनुकूल हों। इस रचनात्मक ऊर्जा को जगाने की कुंजी एक तरल व खुला मन बनाए रखना है, जो लगातार विचारों और समस्याओं पर नए दृष्टिकोणों के बीच संबंधों की तलाश करता रहता है।

निपुणता का मार्ग अपेक्षाकृत सरल है। पहला कदम सबसे महत्वपूर्ण है, अपनी रुचियों और झुकावों के अनुरूप कॅरिअर पथ अपनाएं। इस रुचि से संबंधित अधिकतर क्षेत्रों में कौशल विकसित करें। इस प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए मार्गदर्शकों से सलाह लें। स्वयं को अनुशासित करें, आत्म-निपुणता प्राप्त करें। लोगों के साथ काम करना और आक्रामक लोगों से अपनी रक्षा करना सीखें। फिर, समय को अपना काम करने दें। इससे रचनात्मक ऊर्जाएं उभरेंगी, साथ ही उच्च-स्तरीय अंतर्ज्ञान भी। जीवन में कोई शॉर्टकट नहीं है, इस मार्ग में कई वर्ष लग सकते हैं और इसमें रुकावटें और कई मोड़ भी आ सकते हैं।  अंत में आपकी जगह कोई नहीं ले सकता। आप अद्वितीय हैं, अपने क्षेत्र और अपने भाग्य के उस्ताद। जीवन में हमारी सफलताएं और विफलताएं इस बात पर निर्भर करती हैं कि हम आने वाले संघर्षों से कितनी अच्छी या बुरी तरह निपटते हैं।

सूत्र: स्वयं को पहचानें
ज्ञान प्राप्ति का पहला चरण मौन है, दूसरा सुनना, तीसरा स्मरण, चौथा अभ्यास, पांचवां दूसरों को सिखाना। बहुत से लोग मानते हैं कि जीवन में सब कुछ सुखद होना चाहिए। यदि आप स्वयं को नहीं जानते, तो आप अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख सकते। अपने महान लक्ष्य, अपने भाग्य पर ध्यान केंद्रित करें।
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