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जन्मदिवस विशेष पीएम मोदी: प्रचारक से प्रधानमंत्री तक एक अनूठी राजनीतिक यात्रा का नायक

Ashish Kumar Anshu आशीष कुमार 'अंशु'
Updated Tue, 16 Sep 2025 12:52 PM IST
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सार

लगातार आलोचनाओं और विपक्ष के निशाने पर रहने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीवन के 75 वर्ष पूर्ण कर चुके हैं। संगठन और राजनीति के बीच लगातार सक्रिय रहने वाले पीएम मोदी ने एक कार्यकर्ता से लेकर भारत के शीर्षस्थ शिखर तक की यात्रा की है। एक दशक से ज्यादा समय तक बतौर भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भी कई आयामों में महत्वपूर्ण रहा है। 

From campaigner to Prime Minister know how was Narendra Modi political journey
गुजरात में तीन बार मुख्यमंत्री और फिर दो बार प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने का उनका रिकॉर्ड उनकी लोकप्रियता और जनता के विश्वास को दर्शाता है। - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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नरेन्द्र मोदी की राजनीति सबसे अलग इसलिए रही, क्योंकि यह केवल सत्ता की चाह तक सीमित नहीं थी, बल्कि यह राष्ट्रसेवा और सामाजिक परिवर्तन का एक मिशन थी। उनके प्रचारक जीवन ने उन्हें अनुशासन, संगठनात्मक कौशल और समाज के प्रति गहरी संवेदनशीलता दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में प्रचारक के रूप में उन्होंने भारत के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की, जिससे उन्हें समाज के हर वर्ग की चुनौतियों और आकांक्षाओं को समझने का अवसर मिला। यह अनुभव उनकी राजनीति का आधार बना।

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जब 2001 में उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री का पद संभाला, तब उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि पारंपरिक नेताओं से भिन्न थी। वह न तो किसी राजनीतिक परिवार से थे, न ही उनकी कोई प्रशासनिक अनुभव की पारंपरिक पृष्ठभूमि थी। फिर भी, उन्होंने गुजरात को भूकंप की त्रासदी से उबारकर विकास के नए मॉडल का प्रतीक बनाया। ‘गुजरात मॉडल’ ने निवेश, उद्योग और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छुईं। उनकी नीतियों ने न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया, बल्कि सामाजिक समावेशन को भी प्राथमिकता दी।
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विकास के मॉडल गुजरात की भूमिका 

गुजरात मॉडल नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात में लागू की गई विकास नीतियों का प्रतीक है, जिसने 2001 से 2014 तक राज्य को आर्थिक और सामाजिक प्रगति के पथ पर अग्रसर किया। इस मॉडल की आधारशिला थी, निवेश आकर्षण, बुनियादी ढांचे का विकास, और उद्योग-केंद्रित नीतियां। 'वाइब्रेंट गुजरात' समिट ने वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया, जिससे गुजरात औद्योगिक केंद्र बना। सड़क, बिजली, बंदरगाह और ग्रामीण विकास पर जोर ने राज्य को समृद्ध बनाया। सामाजिक योजनाओं जैसे 'ज्योतिग्राम योजना' ने ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली सुनिश्चित की, जबकि 'कन्या केलवणी' ने बालिका शिक्षा को बढ़ावा दिया। इन उपलब्धियों से गुजरात देश भर में विकास का मॉडल बना।

 
हालांकि, मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार का अभियान, खासकर 2002 के दंगों को लेकर, उनके शासनकाल में तेज रहा। कुछ राजनीतिक विरोधियों और मीडिया ने उन पर धार्मिक ध्रुवीकरण और प्रशासनिक विफलता के आरोप लगाए। इन आरोपों को अक्सर अतिशयोक्तिपूर्ण और पक्षपातपूर्ण माना गया, जिसका उद्देश्य उनकी छवि को धूमिल करना था। फिर भी, मोदी ने जनता का विश्वास जीता और गुजरात मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर प्रेरणा बनाया।
 

अपराजेय छवि: चुनौतियों पर विजय

2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद, मोदी ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी दूरदृष्टि को लागू किया। उनकी नीतियां, जैसे डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, मेक इन इंडिया और जन-धन योजना, जन-केंद्रित और समावेशी थीं। सबका साथ, सबका विकास’ का नारा उनकी सरकार की नीतियों का आधार बना। उनकी नेतृत्व शैली में एक स्पष्ट दृष्टिकोण और कार्यान्वयन पर जोर था, जो उन्हें अन्य नेताओं से अलग करता है।
मोदी की सबसे बड़ी ताकत उनकी अपराजेय छवि रही है। तमाम विरोधों, आलोचनाओं और विवादों के बावजूद, उन्होंने हर चुनाव में जीत हासिल की।

गुजरात में तीन बार मुख्यमंत्री और फिर दो बार प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने का उनका रिकॉर्ड उनकी लोकप्रियता और जनता के विश्वास को दर्शाता है। उनकी यह सफलता केवल राजनीतिक रणनीति का परिणाम नहीं थी, बल्कि उनकी मेहनत, जनता के साथ सीधा संवाद और नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन का नतीजा थी। मोदी की संवाद शैली उनकी सबसे बड़ी ताकत रही है। चाहे "मन की बात" जैसे रेडियो कार्यक्रम हों या सोशल मीडिया के माध्यम से जनता तक पहुंचना, उन्होंने हमेशा जनता के साथ एक व्यक्तिगत रिश्ता बनाया। उनकी भाषण शैली प्रेरक और प्रभावी रही, जो न केवल नीतियों को समझाती थी, बल्कि जनता को उनमें भागीदार बनाती थी।

मोदी का व्यक्तित्व उनकी साधना और समर्पण से परिभाषित होता है। प्रचारक के रूप में उनके शुरुआती वर्षों में उन्होंने व्यक्तिगत जीवन को त्यागकर राष्ट्रसेवा को प्राथमिकता दी। उनकी दिनचर्या में अनुशासन और आत्मसंयम स्पष्ट झलकता है। योग और ध्यान उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा रहे हैं, जो उनकी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा का आधार हैं। 75 वर्ष की आयु में भी उनकी कार्यक्षमता और ऊर्जा युवाओं को प्रेरित करती है। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया। चाहे वह जी-20 जैसे मंच हों या जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक चर्चा, मोदी ने भारत को एक जिम्मेदार और प्रभावशाली शक्ति के रूप में स्थापित किया। उनकी विदेश नीति में "वसुधैव कुटुंबकम" का दर्शन झलकता है, जो वैश्विक सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देता है।


फैसलों से मुश्किलें और पैदा हुई चुनौतियां 

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और नीतियों की कुछ आलोचना भी हुई है। नोटबंदी (2016) और जीएसटी जैसे बड़े सुधारों को लागू करने में कार्यान्वयन की कमियों पर संपादकिय लिखे गए। छोटे व्यवसायों और अनौपचारिक क्षेत्र पर इन नीतियों के प्रभाव की आलोचना हुई। इसके अलावा, इंडि अलायंस इको सिस्टम के कुछ यू ट्यूबर्स उनकी सरकार पर ध्रुवीकरण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने का आरोप लगाते हैं। मोदी की नेतृत्व शैली को कुछ आलोचक अतिव्यक्तिगत मानते हैं, जहां निर्णय लेने की प्रक्रिया में सहभागिता की कमी दिखती है। उनकी सरकार पर विपक्ष के साथ संवाद की कमी का भी आरोप लगता रहा है।

इधर उनकी कुछ नीतियों और निर्णयों ने विवादों को जन्म दिया, जिससे उनकी छवि पर सवाल उठे चाहे फिर वह भाजपा के अंदर सांगठनिक स्तर पर एकतरफा फैसलों को लेकर हो या फिर संवैधानिक संस्थाओं के भीतर लोकतांत्रिक मूल्यों के क्षरण को लेकर हो। लेकिन बावजूद इसके जनपक्षधरता की नीयत और जमीनी स्तर पर लगातार योजनाओं का सफल क्रियान्वयन उनकी सरकार की सबसे बड़ी ताकत रही है।

75वे जन्मदिन पर भारत के प्रधानमंत्री को बहुत-बहुत शुभकामनाएं और बधाई। 

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें blog@auw.co.in पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।
 

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