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बिहार चुनाव परिणाम: सधी हुई रणनीति, 2020 की गलतियों से भी सबक

अमर उजाला Published by: लव गौर Updated Sat, 15 Nov 2025 06:21 AM IST
सार
बिहार के जनादेश ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राजद और कांग्रेस, दोनों को झटका दिया है, जो उनके वोट चोरी अभियान की विफलता को ही इंगित करता है। अगर कांग्रेस दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सकी, तो उसके लिए नितांत जरूरी है कि वह एक ही तरह की गलतियां बार-बार दोहराने के बजाय, गंभीर आत्ममंथन करे।
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Bihar election results reflect NDA well-planned strategy learning from 2020 mistakes
पीएम मोदी, सीएम नीतीश कुमार - फोटो : PTI

विस्तार
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एग्जिट पोल के नतीजों के बावजूद बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में कड़े संघर्ष के जो कयास लगाए जा रहे थे, वह भी एकतरफा मुकाबले में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ऐतिहासिक जीत से ध्वस्त होते दिखे। राजग की जीत का श्रेय चुनाव से पहले हर मतदाता तक पहुंचने की उसकी रणनीति के अलावा सीट बंटवारे के उसके सुविचारित फॉर्मूले को भी जाता है, जिसमें यह तय किया गया था कि भाजपा और जद (यू) बराबर सीटों पर लड़ेंगे।


इसके अलावा, उसने 2020 की गलतियों से भी सबक लिया, जब चिराग पासवान की लोजपा ने अकेले 135 सीटों पर चुनाव लड़ा था। चिराग पासवान और जीतनराम मांझी के साथ आने से राजग की ताकत कई गुना बढ़ी, जो नतीजों में दिखी भी। बिहार के जनादेश ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली राजद और कांग्रेस, दोनों को झटका दिया है, जो उनके वोट चोरी अभियान की विफलता को ही इंगित करता है। अगर कांग्रेस दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सकी, तो उसके लिए नितांत जरूरी है कि वह एक ही तरह की गलतियां बार-बार दोहराने के बजाय, गंभीर आत्ममंथन करे।


यही बात प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के लिए भी कही जा सकती है, जो बिहार की राजनीति में एक विकल्प होने का दावा कर रही थी, लेकिन दौड़ में कहीं नजर ही नहीं आई। अब तक अपनी सहयोगी जदयू पर निर्भर रही भाजपा, अब अगर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, तो यह उसके लिए कोई कम बड़ी उपलब्धि नहीं है। लगभग दो दशकों से बिहार पर शासन कर रहे नीतीश कुमार के लिए, यह चुनाव उनकी राजनीतिक शक्ति और जनता के भरोसे की परीक्षा माना जा रहा था। बदलते राजनीतिक गठबंधनों और अपनी सेहत को लेकर भी उन्हें काफी सवालों का सामना करना पड़ा है।

हालांकि, चुनाव से ऐन पहले घोषित की गई उनकी मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना को इस जीत का बड़ा श्रेय दिया जा रहा है, जिसके तहत एक करोड़ से अधिक महिलाओं के खाते में दस हजार रुपये भेजे गए। महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों की तुलना में करीब दस फीसदी अधिक रहने के पीछे यही योजना रही हो, तो हैरानी की बात नहीं। बिहार को देश में सर्वाधिक राजनीतिक चेतना वाला राज्य माना जाता है, जो अतीत में कई बार पूरे देश के लिए राजनीतिक रुझानों को बदलता आया है। ऐसे में, देखना होगा कि यहां के विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर 2026 में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु और केरल के विधानसभा चुनावों पर किस सीमा तक पड़ता है।
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