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ब्रिक्स: सबके अपने एजेंडे, अपनी प्राथमिकता.. भारत की नजर में दक्षिण की वैश्विक दुनिया से जुड़ने का प्रभावी मंच

K S Tomar केएस तोमर
Updated Tue, 22 Oct 2024 09:37 AM IST
सार
ब्रिक्स: रूस के कजान में आज से शुरू हो रहे ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल हो रहे भारत, चीन और रूस बेशक बहु-ध्रुवीयता और वैश्विक शासन में सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हैं, लेकिन उनके आर्थिक, भू-राजनीतिक और रणनीतिक एजेंडे अलग-अलग हैं, क्योंकि उनकी प्राथमिकताएं अलग हैं।
 
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BRICS: Everyone has their own agenda, their own priorities, In India's view, it is an effective way to connect
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन - फोटो : अमर उजाला/ एजेंसी

विस्तार
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रूस  के कजान में आज से शुरू हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का एजेंडा आर्थिक सहयोग एवं भू-राजनीतिक रणनीति, दोनों के लिहाज से भारत, चीन और रूस के लिए महत्वपूर्ण है। इस बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का एजेंडा बहुपक्षवाद को मजबूत करने, व्यापार को बढ़ावा देने और सदस्य देशों-ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के बीच प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, ऊर्जा और सतत विकास जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने से संबंधित है। इस शिखर सम्मेलन का विषय है-‘न्यायसंगत वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना’, जो सदस्य देशों के नेताओं को प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करेगा।


आर्थिक सहयोग 
भारत ब्रिक्स को विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जैसी वैश्विक वित्तीय संस्थाओं में सुधार के एक मंच के रूप में देखता है, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए अधिक न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है। विकासशील देशों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए धन मुहैया कराने वाला ब्रिक्स खेमे का नया विकास बैंक (एनडीबी) पश्चिमी नेतृत्व वाली वित्तीय संस्थाओं को संतुलित करने का कार्य करता है।


ब्रिक्स की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ग्लोबल साउथ (तीसरी दुनिया के विकासोन्मुखी देश, जिन्हें वैश्विक दक्षिण भी कहा जाता है) में अपने प्रभाव का विस्तार करने और पश्चिमी प्रभुत्व वाली वित्तीय प्रणाली पर निर्भरता कम करना चाहता है। अमेरिकी डॉलर को चुनौती देने के लिए चीन व्यापार समझौतों में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग पर जोर देता है। पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस के लिए ब्रिक्स वैश्विक अलगाव से बचने का एक महत्वपूर्ण गठबंधन है।

भू-राजनीतिक संतुलन
भारत भले ही क्वाड जैसे गठबंधनों के जरिये पश्चिम और अमेरिका के साथ मजबूत संबंध बनाए हुए है, लेकिन अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखते हुए रूस और चीन के साथ अपने संबंधों को बढ़ावा देने के लिए ब्रिक्स का उपयोग करता है। भारत का जोर अक्सर बहुपक्षवाद पर रहता है, जो इस पर किसी एक देश के एजेंडे को हावी नहीं होने देता है। चीन के लिए ब्रिक्स एक वैश्विक व्यवस्था बनाने का साधन है, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं की बढ़ती शक्ति को दर्शाता है।

हालांकि यह समूह में प्रभुत्व का दावा करता है, लेकिन अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी विकासशील देशों के साथ साझेदारी बनाने की भी कोशिश करता है। ब्रिक्स बहुपक्षीय मंचों पर प्रभाव बनाने और अमेरिकी नेतृत्व वाली वैश्विक संरचनाओं का विकल्प प्रदान करने के चीन के व्यापक लक्ष्यों को पूरा करता है। पश्चिम के साथ बढ़ते तनाव के संदर्भ में ब्रिक्स रूस को अपनी वैश्विक प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है और नाटो एवं यूरोपीय संघ जैसे पश्चिमी-प्रभुत्व वाले अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का एक प्रतिपक्ष प्रदान करता है।

तकनीकी और नवाचार
भारत का लक्ष्य तकनीकी सहयोग के लिए ब्रिक्स का लाभ उठाना है, खासकर डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य सेवा व अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में। ब्रिक्स सहयोग डिजिटल अर्थव्यवस्था और उभरती प्रौद्योगिकियों में वैश्विक नेता बनने की भारत की आकांक्षाओं के अनुरूप है। प्रौद्योगिकी में चीन का प्रभुत्व उसे नवाचार के मामले में ब्रिक्स के भीतर एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित करता है। रूस ब्रिक्स को ऊर्जा, साइबर सुरक्षा और रक्षा प्रौद्योगिकी सहित उच्च तकनीक क्षेत्रों में सहयोग के एक मार्ग के रूप में देखता है। प्रतिबंधों के बावजूद रूस परमाणु ऊर्जा जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में एक प्रमुख खिलाड़ी बना हुआ है।

ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन 
ब्रिक्स के भीतर ऊर्जा सुरक्षा भारत की मुख्य प्राथमिकता है। यह ऊर्जा विविधीकरण पर सहयोग के लिए ब्रिक्स की ओर देखता है, विशेष रूप से स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्रों में। सतत विकास पहलों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन शमन भी भारत के एजेंडे में है। प्रमुख ऊर्जा निर्यातक रूस ब्रिक्स के माध्यम से वैश्विक ऊर्जा बाजारों में अपनी भूमिका मजबूत करना चाहता है। ब्रिक्स रूस को पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच, विशेष रूप से गैस और तेल जैसे क्षेत्रों में नए बाजारों और ऊर्जा परियोजनाओं की खोज करने की अनुमति देता है।

सुरक्षा और आतंकवाद-विरोध 
भारत अपने आतंकवाद विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के मंच के रूप में ब्रिक्स को देखता है, विशेष रूप से पाकिस्तान से उत्पन्न सीमा पार आतंकवाद को उजागर करने के लिए। यह आतंकवाद के वित्तपोषण, साइबर खतरों और अंतरराष्ट्रीय अपराध से निपटने के लिए ब्रिक्स सदस्यों के बीच बेहतर तालमेल का आह्वान करता है।

चीन उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ अपने सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए ब्रिक्स का उपयोग करता है, जिसमें आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दे शामिल हैं। हालांकि चीन का ध्यान अक्सर अपने व्यापक बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने पर केंद्रित रहता है। रूस का उद्देश्य ब्रिक्स रक्षा पहलों के माध्यम से सैन्य सहयोग, खुफिया जानकारी साझा करना और पश्चिमी सैन्य प्रभुत्व का मुकाबला करने जैसे मुद्दों पर संबंधों को मजबूत बनाना है।

दक्षिण-दक्षिण सहयोग 
भारत ब्रिक्स को ग्लोबल साउथ के साथ जुड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण ढांचे के रूप में देखता है। ब्रिक्स भारत की भागीदारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की दावेदारी के लिए समर्थन जुटाने में भी मदद करता है। ब्रिक्स चीन को विकासशील देशों के बीच अपनी नेतृत्वकारी स्थिति बनाने और अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया में अपने भू-राजनीतिक हितों को आगे बढ़ाने का मौका देता है। रूस ब्रिक्स के जरिये बहुध्रुवीयता को बढ़ावा देने व पश्चिमी वर्चस्व का मुकाबला करने वाले ग्लोबल साउथ में खुद को प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना चाहता है। यह पश्चिमी जगत के साथ अपने तनावपूर्ण रिश्ते के मद्देनजर ब्रिक्स के जरिये अफ्रीकी व लैटिन अमेरिकी देशों से संबंधों को मजबूत करना चाहता है।

भारत, चीन व रूस के लिए ब्रिक्स उनके आर्थिक, भू-राजनीतिक और रणनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के मंच का काम करता है। हालांकि सभी देश बहु-ध्रुवीयता और वैश्विक शासन में सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हैं, लेकिन प्रत्येक देश की ब्रिक्स को लेकर प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं। भारत के लिए ब्रिक्स रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने और पूर्व व पश्चिम के बीच संबंधों को संतुलित करने का माध्यम है, चीन के लिए यह वैश्विक प्रभाव के विस्तार का साधन, तो रूस के लिए यह अलगाव का मुकाबला करने और वैकल्पिक वैश्विक गठबंधनों को मजबूत करने का मंच है।
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