{"_id":"67a0101cb5060785220a0c5c","slug":"budget-2025-finance-minister-sitharaman-safe-and-balanced-effort-concerns-about-economy-amid-uncertainties-2025-02-03","type":"story","status":"publish","title_hn":"बजट 2025: अनिश्चितताओं के बीच अर्थव्यवस्था की फिक्र... वित्त मंत्री सीतारमण ने किया सुरक्षित और संतुलित प्रयास","category":{"title":"Opinion","title_hn":"विचार","slug":"opinion"}}
बजट 2025: अनिश्चितताओं के बीच अर्थव्यवस्था की फिक्र... वित्त मंत्री सीतारमण ने किया सुरक्षित और संतुलित प्रयास
अशोक कुमार लाहिड़ी, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Mon, 03 Feb 2025 06:08 AM IST
विज्ञापन
निरंतर एक्सेस के लिए सब्सक्राइब करें
सार
आगे पढ़ने के लिए लॉगिन या रजिस्टर करें
अमर उजाला प्रीमियम लेख सिर्फ रजिस्टर्ड पाठकों के लिए ही उपलब्ध हैं
अमर उजाला प्रीमियम लेख सिर्फ सब्सक्राइब्ड पाठकों के लिए ही उपलब्ध हैं
फ्री ई-पेपर
सभी विशेष आलेख
सीमित विज्ञापन
सब्सक्राइब करें


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
- फोटो :
अमर उजाला/एजेंसी
विस्तार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आठवीं बार पेश केंद्रीय बजट में भारतीय अर्थव्यवस्था की असंख्य जरूरतों को ध्यान में रखते हुए संतुलन बनाया गया है। इस संतुलन में कृषि के साथ-साथ विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना, एक ही समय में निवेश और खपत को बढ़ावा देना, मध्यम वर्ग को कर में छूट देना, सरकारी व्यय को बढ़ाना और राजकोषीय समेकन करना शामिल है।
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही यानी अप्रैल-सितंबर 2024 चुनौतीपूर्ण समय था। सरकारी खर्च में कुल मिलाकर कमी आई, असुरक्षित ऋण में कसावट आई, खपत मांग में कमी आई, मानसून में देरी हुई और मुद्रास्फीति बढ़ी। वर्ष 2024-25 में जीडीपी वृद्धि पिछले वर्ष के 8.2 प्रतिशत से घटकर लगभग 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
हालांकि भारत विश्व में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है, फिर भी 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को पाने के लिए आठ प्रतिशत या उससे अधिक की दर से विकास करने की आवश्यकता है। वित्त मंत्री ने लोगों की दीर्घकालिक आकांक्षाओं के साथ-साथ उनकी वर्तमान जरूरतों और मांगों को ध्यान में रखते हुए अपना 2025-26 का बजट तैयार किया है।
सुस्त अर्थव्यवस्था के कारण, 2024-25 में संशोधित अनुमान (आरई) में राजस्व बजट अनुमान (बीई) से 41,240 करोड़ रुपये कम हो गया है। संशोधित अनुमान में राजस्व व्यय बजट अनुमान से केवल 11,343 करोड़ रुपये कम होने के कारण संशोधित अनुमान में राजस्व घाटा बजट अनुमान से 29,897 करोड़ रुपये अधिक है। संशोधित अनुमान पर अन्य गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियां भी बजट अनुमान स्तर से कम होने तथा मुद्रास्फीति के खतरे के बावजूद, सरकार को उम्मीद है कि संशोधित अनुमान पर राजकोषीय घाटे को बजट अनुमान स्तर से 43,785 करोड़ रुपये कम 15,69,527 करोड़ रुपये पर रखा जा सकेगा। इसके लिए वह संशोधित अनुमान स्तर पर पूंजीगत व्यय को बजट अनुमान स्तर से 92,682 करोड़ रुपये कम करेगी।
बजट में आपूर्ति और मांग पक्ष के उपायों का विवेकपूर्ण मिश्रण किया गया है। मसलन, कृषि में, आपूर्ति पक्ष पर, कम उत्पादकता वाले 100 जिलों में कृषि उत्पादकता बढ़ाने, फसल विविधीकरण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने, फसल कटाई के बाद भंडारण बढ़ाने, सिंचाई सुविधाओं में सुधार करने और दीर्घकालिक व अल्पकालिक ऋण उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना है।
दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन का उद्देश्य दालों की आपूर्ति बढ़ाना है, जिसमें तूर, उड़द और मसूर पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। बिहार में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा से इसकी आपूर्ति को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा गया है। भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र और गहरे समुद्र से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने, कपास उत्पादकता के लिए मिशन और स्वदेशी यूरिया उत्पादन बढ़ाने की योजना भी है।
विनिर्माण क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के विकास को प्रोत्साहित करने और आपूर्ति बढ़ाने के लिए उनके निवेश, टर्नओवर और ऋण सीमा को बढ़ाया गया है। फुटवियर और चमड़ा, खिलौना, जहाज निर्माण और परमाणु ऊर्जा उद्योगों के लिए विशेष योजनाएं हैं। बजट में निर्यात ऋण, सीमा पार बुरे ऋण के जोखिमों को खत्म करने के लिए सहायता और विदेशी बाजारों में गैर-टैरिफ उपायों से निपटने के लिए एमएसएमई को सहायता जैसे उपायों के जरिये निर्यात बढ़ाने का भी प्रस्ताव है, जिसमें व्यापार दस्तावेजीकरण और वित्तपोषण समाधान के लिए एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘भारत ट्रेडनेट’ (बीटीएन) और वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के साथ बेहतर एकीकरण शामिल है।
भारत में बीमा की पहुंच बहुत कम है और स्थिति को सुधारने के लिए बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। बजट 2025-26 में चिकित्सा पर्यटन सहित पर्यटन को बढ़ावा देने के उपाय भी शामिल हैं। इसके अलावा, बजट में व्यापार सुगमता के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिसमें 180 से ज्यादा दूसरे प्रावधानों को अपराधमुक्त करना, केवाईसी प्रक्रिया को आसान बनाना, कंपनियों के विलय और दूसरे नियामक सुधार शामिल हैं। वित्त मंत्री ने जिस नए सरलीकृत आयकर विधेयक का वादा किया है, उससे न सिर्फ कारोबार को आसान बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि जीवन जीने में भी आसानी होगी।
मानव पूंजी निर्माण को बढ़ाने के लिए सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के तहत पोषण सहायता के लिए लागत मानदंडों को बढ़ाने, भारतनेट परियोजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सभी सरकारी माध्यमिक विद्यालयों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने, आईआईटी की छात्र क्षमता को 6,500 तक बढ़ाने और अगले 5 वर्षों में 75,000 सीटें जोड़ने, मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में 10,000 यूजी और पीजी सीटें जोड़ने का प्रस्ताव है। वर्ष 2025-26 के बजट अनुमान में, सरकार ने 2024-25 (संशोधित अनुमान) से पूंजीगत व्यय को 1,02,661 करोड़ रुपये बढ़ाकर 11.21,090 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा है। इसमें से अधिकांश खर्च बुनियादी ढांचे पर होगा। उम्मीद है कि इससे प्रतिदिन सड़क निर्माण में फिर से तेजी आएगी।
सरकार ने सालाना 12.75 लाख रुपये से कम आय वाले लोगों को छूट देने का प्रस्ताव रखा है, उन्हें कोई व्यक्तिगत आयकर नहीं देना होगा। मूल छूट सीमा में बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन कर स्लैब में संशोधन किया गया है। जबकि स्ट्रीट वेंडरों के लिए पीएम स्वनिधि और ग्रामीण परिवारों के लिए जल जीवन मिशन जैसी कई नई कल्याणकारी योजनाएं हैं। सीमा शुल्क दरों के युक्तिकरण के साथ, अप्रत्यक्ष करों की संख्या शून्य दर सहित घटकर आठ हो जाएगी। हालांकि, प्रभावी शुल्क भार को बनाए रखने के लिए उपकर जारी रहेंगे। इसके अलावा, कुछ जीवन रक्षक दवाओं, महत्वपूर्ण खनिजों और टेक्सटाइल मशीनरी को सीमा शुल्क से विशेष छूट प्रदान की गई है।
यह बजट ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका की अपरंपरागत नीतियों के जोखिम से अनिश्चितता पैदा हुई है, जहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के बाहर उत्पादित और अमेरिका में आयातित वस्तुओं और सेवाओं पर उच्च टैरिफ लगाने और आय पर करों को कम करने की धमकी दी है, जिसका असर पहले से ही उच्च अमेरिकी राजकोषीय घाटे पर पड़ेगा। ऐसी नीतियों से न केवल अमेरिका, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है। फिर भी वित्त मंत्री सीतारमण ने हमें एक सुरक्षित व संतुलित बजट दिया है।