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सेहत से जुड़ी बात: बीमार होने पर बलगम का रंग क्यों बदल जाता है, प्रदूषण-धूम्रपान कितने खतरनाक; जानिए सबकुछ
सैमुअल जे. व्हाइट
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Mon, 03 Feb 2025 06:19 AM IST
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सार
बलगम का रंग प्रतिरक्षा प्रणाली और बीमारियों के प्रति शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता है, इसकी जानकारी दे सकता है। हरे बलगम का अर्थ है, हमारा शरीर आक्रामक रोगाणुओं का मजबूती से सामना कर रहा है। वहीं काला बलगम गंभीर समस्या की ओर इशारा करता है। साफ बलगम स्वस्थ नाक की आधार रेखा है। यह सामान्य तौर पर पानी, प्रोटीन, लवण और कोशिकाओं के साथ मिलकर नाक के मार्ग को नम रखता है, साथ में बाहरी कणों को अंदर जाने से रोकता है।

सांकेतिक तस्वीर और सैमुअल जे. व्हाइट
- फोटो : अम
विस्तार
क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप बीमार होते हैं, तो बलगम का रंग क्यों बदल जाता है? वास्तव में इसके कई कारण हैं, बलगम का रंग और स्थिरता आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली और बीमारियों के प्रति आपका शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता है, इसकी जानकारी दे सकता है। नाक के मार्ग में मौजूद ऊतकों द्वारा ही बलगम का निर्माण होता है। हालांकि, अक्सर लोग इससे घृणा करते हैं, लेकिन बलगम की बहुत ही अहम भूमिका होती है। यह सुरक्षा ढाल के रूप में कार्य करता है और श्वसन प्रणाली के गहरे हिस्सों में धूल, बैक्टीरिया, वायरस और अन्य हानिकारक चीजों को जाने से रोकता है।
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बलगम में मौजूद लोइसोजाइम और लैक्टोफेरिन जैसे एंजाइम बैक्टीरिया को मारते हैं, और उन्हें बीमारी पैदा करने से रोकते हैं। जब हम बीमार होते हैं, तो बलगम का रंग बदल जाता है। साफ बलगम स्वस्थ नाक की आधार रेखा है। यह सामान्य तौर पर पानी, प्रोटीन, लवण और कोशिकाओं के साथ मिलकर नाक के मार्ग को नम रखता है, साथ में बाहरी कणों को अंदर जाने से रोकता है। वहीं एलर्जी और वायरल संक्रमण के शुरुआती समय में बलगम अधिक बनते हैं, जब शरीर रोगाणुओं के संपर्क में आ जाता है। सफेद बलगम संकुलन का संकेत है। नाक के ऊतकों में सूजन बलगम के प्रवाह को धीमा कर देती है, जिससे यह गाढ़ा हो जाता है। इस तरह से यह सर्दी का संकेत देता है। श्वेत रक्त कोशिकाएं संक्रमण से लड़ते हुए जब मर जाती हैं, तो वह ऐसे एंजाइम छोड़ती हैं, जिनसे बलगम पीला हो जाता है। यह कई वायरल संक्रमणों के शरीर की प्रतिक्रिया की कसौटी है, जिसके अंतर्गत सामान्य सर्दी, इन्फ्लूएंजा और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस शामिल हैं। हरा बलगम हमें तब देखने को मिलता है, जब हमारा शरीर आक्रामक रोगाणुओं का मजबूती से सामना करता है।
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बलगम में खून की मौजूदगी नाक के ऊतक में लगातार जलन, सूखने व क्षतिग्रस्त होने और शुष्क हवा के संपर्क में आने की वजह से होता है। थोड़े-से खून की मौजूदगी कोई चिंता का विषय नहीं है। बलगम में खून का अंश सूखने या श्वसन द्वारा पर्यावरण संबंधी अवशेष सांस के द्वारा अंदर जाने से बलगम का रंग भूरा व नारंगी हो जाता है। आम तौर पर यह हानिकारक नहीं होता है, लेकिन संभव है कि यह जलन व सूजन का कारण बने। वहीं काला बलगम गंभीर समस्या की ओर इशारा करता है, जैसे कि फफूंद से होने वाला संक्रमण। यह विशेष रूप से ऐसे लोगों में होता है, जो प्रदूषण व धूम्रपान के संपर्क में रहते हैं। ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सलाह की जरूरत है। -साथ में फिलिप बी. विल्सन (द कन्वर्सेशन से)