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समृद्धि के संकेत: रियल एस्टेट सेक्टर की यह प्रगति संतुलित-समावेशी होनी जरूरी, तभी होंगे समाज में वांछित बदलाव

अमर उजाला Published by: दीपक कुमार शर्मा Updated Mon, 25 Nov 2024 04:37 AM IST
सार
राष्ट्रीय आवास बैंक की सालाना रिपोर्ट उस धारणा को बदलती है, जिसके अनुसार लोग घर खरीदने के बजाय किराये के घरों को ज्यादा तवज्जो देते हैं। आंकड़े लोगों व अर्थव्यवस्था की समृद्धि का संकेत बेशक देते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि यह प्रगति संतुलित व समावेशी भी हो।
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Signs of prosperity real estate sector growth must be balanced and inclusive for desired makeover in society
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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राष्ट्रीय आवास बैंक की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में इससे पिछले वर्ष की तुलना में गांव एवं शहरों में कहीं ज्यादा यानी रिकॉर्ड 1.71 करोड़ मकान बने, जो रियल एस्टेट में उछाल के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का भी एक महत्वपूर्ण संकेत है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2023-24 में जिस तरह से दो से दस लाख रुपये तक के और दस से 25 लाख रुपये मूल्य तक के मकानों की बिक्री बढ़ी है, वह कुल मिलाकर देश में आवासीय मांग के बढ़ने का ही इशारा करती है।



हालांकि एक करोड़ रुपये से ज्यादा महंगे मकानों की बिक्री भी जिस रफ्तार से बढ़ रही है, उसका प्रमुख कारण दूसरी और तीसरी श्रेणी के शहरों में बुनियादी ढांचे का विकास है। मेट्रो नेटवर्क का विस्तार, सड़क नेटवर्क में बढ़ोतरी और कनेक्टिविटी में सुधार ने पूरे देश में भू-संपदा की मांग को गति दी है। कुछ समय पहले तक लोग किराये के घरों में रहने को समझदारी मानते थे, लेकिन जिस तरह से अब फिर से आम लोगों की तीन प्रमुख प्राथमिकताओं (रोटी, कपड़ा और मकान) में अपना घर खरीदना शामिल हो गया है, वह दर्शाता है कि लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी है और आवास ऋण पर ऊंची ब्याज दरों के बावजूद लोग घर खरीदने को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दो साल यानी 2022-23 और 2023-24 के तहत प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत कुल 83.67 लाख मकानों का निर्माण किया गया।


दरअसल, मकानों की कीमतों में तेजी और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बावजूद अगर इस सेक्टर ने निवेशकों को आकर्षित किया है, तो इसका श्रेय वर्ष 2015 से आवासीय मांग की पूर्ति के क्षेत्र में केंद्र सरकार के सकारात्मक हस्तक्षेप को भी जाता है। इसके अतिरिक्त, कोविड महामारी के बाद घर खरीदने की बढ़ती आकांक्षा, आवश्यकता के अनुसार समय पर आपूर्ति, अर्थव्यवस्था के विकास अनुमानों के बीच अपरिवर्तित रेपो दर और अपेक्षाकृत नियंत्रित महंगाई के कारण भी देश का आवास क्षेत्र बेहतर गति का प्रदर्शन कर रहा है। हालांकि रेरा के गठन के बावजूद बिल्डर की मनमानी की शिकायतें मिलती रही हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है। रियल एस्टेट के क्षेत्र में आया उछाल भविष्य के लिए भी आश्वस्त करता है, क्योंकि माना जाता है कि कृषि के बाद यही ऐसा क्षेत्र है, जो सर्वाधिक रोजगार का सृजन करता है। साथ ही, इस क्षेत्र के विकास से लोहा, सीमेंट आदि अन्य बुनियादी औद्योगिक क्षेत्रों का भी विकास होता है। लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि रियल एस्टेट सेक्टर में यह प्रगति संतुलित और समावेशी हो, तभी यह क्षेत्र आर्थिक विकास में योगदान देने के साथ समाज में भी वांछित बदलाव ला सकेगा।

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