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Virat Kohi: कोहली की सबसे बड़ी ताकत क्या है? ईशांत ने दिया जवाब, कोच गंभीर की भूमिका के बारे में भी बताया
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, गुरुग्राम
Published by: शोभित चतुर्वेदी
Updated Wed, 17 Dec 2025 01:27 PM IST
सार
अमर उजाला संवाद’ इस बार हरियाणा पहुंचा। इस खास आयोजन में मनोरंजन, खेल और राजनीति सहित अलग-अलग क्षेत्रों की तमाम दिग्गज हस्तियां हिस्सा ले रही हैं। इसी कड़ी में भारत के दिग्गज तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा भी इस खास कार्यक्रम में शामिल हुए। ईशांत ने इस दौरान विराट कोहली के साथ अपनी दोस्ती और लगातार आलोचना का सामना कर रहे मुख्य कोच गौतम गंभीर की भूमिका को लेकर बात की।
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ईशांत शर्मा
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
अमर उजाला संवाद’ इस बार हरियाणा पहुंचा है। गुरुग्राम में 17 दिसंबर यानी बुधवार को हो रहे इस खास आयोजन में मनोरंजन, खेल और राजनीति सहित अलग-अलग क्षेत्रों की तमाम दिग्गज हस्तियां हिस्सा ले रही हैं। इसी कड़ी में भारत के दिग्गज तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा भी इस खास कार्यक्रम में शामिल हुए। महज 18 साल की उम्र में डेब्यू कर रातों-रात दौलत-शोहरत और प्रसिद्धी पाने वाले इशांत शर्मा की कहानी किसी भी साधारण परिवार के युवक के लिए प्रेरणा हो सकती है। आइए जानते हैं ईशांत के साथ बातचीत के मुख्य अंश...
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ईशांत शर्मा
- फोटो : अमर उजाला
सवाल - रिकी पोंटिंग आए और जाए। क्या खास था कि वो इतने परेशान हो गए?
ईशांत: सर ऐसा कुछ था नहीं, जितना आपने उसको बना दिया। जो हमारा काम था, वो हमने किया। मैं यंग था रॉ था..जब आता था और सिर्फ बॉलिंग करता था। कुछ ज्यादा पता नहीं था। कभी भी ये ध्यान नहीं दिया कि कौन बैटर है। हमने अपना काम शिद्दत से किया। आप एक चीज भूल गए कि मेलबर्न में ड्रेसिंग रूम की वॉक बहुत लंबी होती है।
सवाल - 100 से ज्यादा टेस्ट मैच खेले। जब करियर को पलट कर देखते हैं तो क्या मोमेंट है जो सबसे ज्यादा याद आता है?
ईशांत: सर मैं हमेशा यकीन करता हूं कि ग्रजेज या पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। आगे क्या है उसपर ध्यान देना चाहिए। जैसे जैसे आप कोई भी स्पोर्ट हो लाइफ हो, अगर आप गलती करते हैं और तो उससे सीखते हैं। क्रिकेट में एक चीज है कि आप जो एक बार गलती हैं, उसे कितने समय बाद रिपीट करते हैं, वो कंसिस्टेंसी होती है। तो वही मैं कोशिश करता था कि गलती मैं जितने टाइम तक टाल सकूं। जब हम 2018 में ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज जीती वो एक ऐसी याद है कि वो हमेशा मेरे दिल के करीब रहेगी। मैं जो 100 टेस्ट खेला, उससे भी ज्यादा। ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराना बहुत मुश्किल काम है। आप सिर्फ उनके 15 खिलाड़ियों के खिलाफ नहीं खेलते, उनके पूरे देश के खिलाफ खेलते हो। जब आप खाना खाने जाते हो तो भी स्लेजिंग मिलती है, जब कॉफी पीने जाते हो तो भी आपको स्लेजिंग मिलती। वहां की भीड़ आपको फील कराती है कि आप सिर्फ ऑस्ट्रेलिया टीम के खिलाफ नहीं खेल रहे, बल्कि पूरे ऑस्ट्रेलिया देश के खिलाफ खेल रहे हो।
ईशांत: सर ऐसा कुछ था नहीं, जितना आपने उसको बना दिया। जो हमारा काम था, वो हमने किया। मैं यंग था रॉ था..जब आता था और सिर्फ बॉलिंग करता था। कुछ ज्यादा पता नहीं था। कभी भी ये ध्यान नहीं दिया कि कौन बैटर है। हमने अपना काम शिद्दत से किया। आप एक चीज भूल गए कि मेलबर्न में ड्रेसिंग रूम की वॉक बहुत लंबी होती है।
सवाल - 100 से ज्यादा टेस्ट मैच खेले। जब करियर को पलट कर देखते हैं तो क्या मोमेंट है जो सबसे ज्यादा याद आता है?
ईशांत: सर मैं हमेशा यकीन करता हूं कि ग्रजेज या पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। आगे क्या है उसपर ध्यान देना चाहिए। जैसे जैसे आप कोई भी स्पोर्ट हो लाइफ हो, अगर आप गलती करते हैं और तो उससे सीखते हैं। क्रिकेट में एक चीज है कि आप जो एक बार गलती हैं, उसे कितने समय बाद रिपीट करते हैं, वो कंसिस्टेंसी होती है। तो वही मैं कोशिश करता था कि गलती मैं जितने टाइम तक टाल सकूं। जब हम 2018 में ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज जीती वो एक ऐसी याद है कि वो हमेशा मेरे दिल के करीब रहेगी। मैं जो 100 टेस्ट खेला, उससे भी ज्यादा। ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराना बहुत मुश्किल काम है। आप सिर्फ उनके 15 खिलाड़ियों के खिलाफ नहीं खेलते, उनके पूरे देश के खिलाफ खेलते हो। जब आप खाना खाने जाते हो तो भी स्लेजिंग मिलती है, जब कॉफी पीने जाते हो तो भी आपको स्लेजिंग मिलती। वहां की भीड़ आपको फील कराती है कि आप सिर्फ ऑस्ट्रेलिया टीम के खिलाफ नहीं खेल रहे, बल्कि पूरे ऑस्ट्रेलिया देश के खिलाफ खेल रहे हो।
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सवाल - रील देखते हैं आप?
ईशांत: हां अगर जब बेटी देखने देती है। बेटी को हम नौ स्क्रीन टाइम दें। इसके बाद अगर थोड़ी सी एनर्जी बचती है तो रात में थोड़ा सा।
सवाल - आपने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एक खिलाड़ी को चिढ़ाया था। बाद में कोहली ने उसका मिमिक किया। वो क्या था?
ईशांत: सर वो एक प्लान था। अगर हम उस मैच में स्टीव स्मिथ को आउट नहीं करते तो वो टेस्ट मैच हम हार सकते थे। वो सब चीजें हीट ऑफ द मोमेंट में हो गईं। आप बाहर ये सब चीजें नहीं करते। आप जब खेलते हैं और जब आप बाहर होते हैं तो आपकी पर्सनैलिटी अलग अलग होती है। अगर आप अपना काम पूरी शिद्दत से या ईमानदारी से नहीं करोगे तो रिजल्ट नहीं मिलेगा।
ईशांत: हां अगर जब बेटी देखने देती है। बेटी को हम नौ स्क्रीन टाइम दें। इसके बाद अगर थोड़ी सी एनर्जी बचती है तो रात में थोड़ा सा।
सवाल - आपने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एक खिलाड़ी को चिढ़ाया था। बाद में कोहली ने उसका मिमिक किया। वो क्या था?
ईशांत: सर वो एक प्लान था। अगर हम उस मैच में स्टीव स्मिथ को आउट नहीं करते तो वो टेस्ट मैच हम हार सकते थे। वो सब चीजें हीट ऑफ द मोमेंट में हो गईं। आप बाहर ये सब चीजें नहीं करते। आप जब खेलते हैं और जब आप बाहर होते हैं तो आपकी पर्सनैलिटी अलग अलग होती है। अगर आप अपना काम पूरी शिद्दत से या ईमानदारी से नहीं करोगे तो रिजल्ट नहीं मिलेगा।
सवाल - ऑफ फील्ड आप कई बार रहे। कभी टीम से बाहर तो कभी चोट। ये बताइए आज की जनरेशन कैसे सीखे हाऊ टू कमबैक? और उस वक्त की क्या प्रोसेस होती है?
ईशांत: बाहर दोष मत निकालो कभी भी। अगर आप गलतियां बाहर ढूंढने लगोगे तो खुद कभी इम्प्रूव नहीं कर पाओगे। मैं हमेशा गलतियां खुद में ढूंढने की कोशिश करता हूं। मैं कोशिश करता हूं कि जब प्रैक्टिस के लिए जाऊं तो उस गलती को न दोहराऊं। जब आप वो गलती नहीं दोहराओगे तो एक अलग आत्मविश्वास जगता है। आप मैच्योरिटी के साथ प्रदर्शन कर पाओगे। बाहर गलतियां मत ढूंढो। खुद में गलती ढूंढोगे तो और बेहतर हो पाओगे।
ईशांत: बाहर दोष मत निकालो कभी भी। अगर आप गलतियां बाहर ढूंढने लगोगे तो खुद कभी इम्प्रूव नहीं कर पाओगे। मैं हमेशा गलतियां खुद में ढूंढने की कोशिश करता हूं। मैं कोशिश करता हूं कि जब प्रैक्टिस के लिए जाऊं तो उस गलती को न दोहराऊं। जब आप वो गलती नहीं दोहराओगे तो एक अलग आत्मविश्वास जगता है। आप मैच्योरिटी के साथ प्रदर्शन कर पाओगे। बाहर गलतियां मत ढूंढो। खुद में गलती ढूंढोगे तो और बेहतर हो पाओगे।
सवाल - इतने सारे इंटरव्यू दिए, ऐसी कौन सी बात है जो किसी को नहीं पता? जो राज अब तक आपने छिपा रखा है?
ईशांत: बेटी के साथ कम टाइम स्पेंड कर पाता हूं, शायद ये लोगों को कम पता है।
सवाल - क्या हरकतें घर पर ऐसी करनी पड़ती हैं जो सार्वजनिक तौर पर क्रिकेटर नहीं कर पाए?
ईशांत: बेटी के पिता होने में सबसे बड़ी चीज है कि कभी आपको पेशेंट बनना पड़ता है, कभी आपको पार्लर का कस्टमर बनना पड़ता है। आई लैशेश लगती है, नेल पॉलिस लगती है, मैनिक्योर पैडिक्योर करना पड़ता है। मैं अपनी पत्नी को भी मना कर देता हूं कि ये तस्वीरें बाहर नहीं जानी चाहिए।
ईशांत: बेटी के साथ कम टाइम स्पेंड कर पाता हूं, शायद ये लोगों को कम पता है।
सवाल - क्या हरकतें घर पर ऐसी करनी पड़ती हैं जो सार्वजनिक तौर पर क्रिकेटर नहीं कर पाए?
ईशांत: बेटी के पिता होने में सबसे बड़ी चीज है कि कभी आपको पेशेंट बनना पड़ता है, कभी आपको पार्लर का कस्टमर बनना पड़ता है। आई लैशेश लगती है, नेल पॉलिस लगती है, मैनिक्योर पैडिक्योर करना पड़ता है। मैं अपनी पत्नी को भी मना कर देता हूं कि ये तस्वीरें बाहर नहीं जानी चाहिए।
सवाल - क्या खास है विराट कोहली में और क्या खास नहीं है उनमें?
ईशांत: अगर कुछ खास नहीं होता विराट में तो इतने बड़े रिकॉर्ड तो नहीं बनाता। कुछ न कुछ खास तो है विराट में। जो सबसे बड़ी चीज है वो है सेल्फ बिलीव। कोई भी सिचुएशन आ जाए मैं अपनी टीम को मुश्किल से निकालूंगा और मैच जिताऊंगा। खराब से खराब परिस्थिति में भी मैच जिता के लाऊंगा, यही उसकी सोच है और खासियत है।
ईशांत: अगर कुछ खास नहीं होता विराट में तो इतने बड़े रिकॉर्ड तो नहीं बनाता। कुछ न कुछ खास तो है विराट में। जो सबसे बड़ी चीज है वो है सेल्फ बिलीव। कोई भी सिचुएशन आ जाए मैं अपनी टीम को मुश्किल से निकालूंगा और मैच जिताऊंगा। खराब से खराब परिस्थिति में भी मैच जिता के लाऊंगा, यही उसकी सोच है और खासियत है।
सवाल - कहते हैं विराट बहुत बदले हैं। पहले एग्रेशन होता था, लेकिन अब देखिए कि अब वो सुनते हैं और समझते हैं। कितना बदलाव देखते हैं आप उस दोस्त में?
ईशांत: लाइफ सर्किल की तरह चलती है। कभी न कभी उस सर्किल में वापस में तो आना पड़ता है। अच्छी चीज है कि आप अपने धर्म से जुड़ रहे हैं, आप अपने भगवान से जुड़ रहे हैं। ये सब चीजें कॉन्फिडेंस बढ़ाती है, आपको लड़ने की शक्ति देती हैं। जब चीजें आपके हिसाब से नहीं चल रही हैं तो क्या करना चाहिए, उनमें ये सब चीजें जरूरी हो जाती हैं। क्रिकेट आप एक समय तक खेल सकते हो। उसके बाद में क्या है वो ज्यादा जरूरी है। सबसे पहले आती है फैमिली। वो फैमिली आपको परिवार आपके डिस्क्राइब करती है कि एक इंसान के तौर पर कैसे हैं। जो
समय आप परिवार के साथ बिताते हैं वो बताती है कि इंसान के तौर पर आप कैसे हैं।
ईशांत: लाइफ सर्किल की तरह चलती है। कभी न कभी उस सर्किल में वापस में तो आना पड़ता है। अच्छी चीज है कि आप अपने धर्म से जुड़ रहे हैं, आप अपने भगवान से जुड़ रहे हैं। ये सब चीजें कॉन्फिडेंस बढ़ाती है, आपको लड़ने की शक्ति देती हैं। जब चीजें आपके हिसाब से नहीं चल रही हैं तो क्या करना चाहिए, उनमें ये सब चीजें जरूरी हो जाती हैं। क्रिकेट आप एक समय तक खेल सकते हो। उसके बाद में क्या है वो ज्यादा जरूरी है। सबसे पहले आती है फैमिली। वो फैमिली आपको परिवार आपके डिस्क्राइब करती है कि एक इंसान के तौर पर कैसे हैं। जो
समय आप परिवार के साथ बिताते हैं वो बताती है कि इंसान के तौर पर आप कैसे हैं।
सवाल- हम स्पिन ट्रैक पर टेस्ट हार रहे हैं। इंडिया क्रिकेट अप डाउन फेज से जा रहा है या फिर वो बस एक टेस्ट था?
ईशांत: बदलाव का दौर होता है और ये हमलोग इतना जीत चुके थे, जब मैं खेल रहा था और विराट कप्तान थे। तो ट्रांजिशन फेज होता है उसमें ये चीजें होंगी ही। आप फर्स्ट क्लास के रिकॉर्ड मत देखो, आप टेस्ट के रिकॉर्ड देखो। फर्स्ट क्लास में विकेट होती हैं वो फ्लैट होती हैं। तीसरे चौथे दिन वह टूटना शुरू करती हैं। तो जब तक आप टूटे ट्रैक पर नहीं खेलेंगे तो सीखेंगे नहीं। टीम फिलहाल बदलाव के दौर से गुजर रही है। आने वाले 10 साल में ये टीम एक ऐसी टीम होगी जो मौजूदा रिकॉर्ड्स को भी तोड़ेगी। तो थोड़ा सा धैर्य रखने की जरूरत है। जब माही भाई ने कप्तानी छोड़ी थी तो हम हर जगह हारे थे। लेकिन हमने वो कमबैक जल्दी किया। क्योंकि मेरे पास थोड़ा अनुभव था, शमी के पास अनुभव था, उमेश था, भुवनेश्वर था, फिर बुमराह एड हो गया। अभी धीरे धीरे करके जब खिलाड़ी सेलेक्ट होते हैं तो उन्हें समझ आता है कि उनका रोल क्या है। किस तरीके से खेलना है, विकेट कैसी होगी। धीरे धीरे चीजें समझ आने लग जाती है। अभी सब यंग हैं।
ईशांत: बदलाव का दौर होता है और ये हमलोग इतना जीत चुके थे, जब मैं खेल रहा था और विराट कप्तान थे। तो ट्रांजिशन फेज होता है उसमें ये चीजें होंगी ही। आप फर्स्ट क्लास के रिकॉर्ड मत देखो, आप टेस्ट के रिकॉर्ड देखो। फर्स्ट क्लास में विकेट होती हैं वो फ्लैट होती हैं। तीसरे चौथे दिन वह टूटना शुरू करती हैं। तो जब तक आप टूटे ट्रैक पर नहीं खेलेंगे तो सीखेंगे नहीं। टीम फिलहाल बदलाव के दौर से गुजर रही है। आने वाले 10 साल में ये टीम एक ऐसी टीम होगी जो मौजूदा रिकॉर्ड्स को भी तोड़ेगी। तो थोड़ा सा धैर्य रखने की जरूरत है। जब माही भाई ने कप्तानी छोड़ी थी तो हम हर जगह हारे थे। लेकिन हमने वो कमबैक जल्दी किया। क्योंकि मेरे पास थोड़ा अनुभव था, शमी के पास अनुभव था, उमेश था, भुवनेश्वर था, फिर बुमराह एड हो गया। अभी धीरे धीरे करके जब खिलाड़ी सेलेक्ट होते हैं तो उन्हें समझ आता है कि उनका रोल क्या है। किस तरीके से खेलना है, विकेट कैसी होगी। धीरे धीरे चीजें समझ आने लग जाती है। अभी सब यंग हैं।
सवाल: एक तेज गेंदबाज को अगर कप्तान को सलाह देनी हो तो वो क्या सलाह होगी?
ईशांत: जो गेंदबाज होता है वो बहुत ज्यादा स्मार्ट होता है। लोगों को लगता है कि तेज गेंदबाज का दिमाग घुटनो में होता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है। तेज गेंदबाज का दिमाग बहुत ज्यादा चलता है, वो इसलिए चलता है क्योंकि हर एक गेंद में विविधता लानी बहुत जरूरी है। विकेट अगर सपाट है तो किस तरह से गेंदबाजी करनी है, गेंद रिवर्स नहीं हो रही तो गेंद कैसे रिवर्स करानी है। ये सब चीजें बहुत महत्वपूर्ण होती है। जो गेंदबाज होता है वो कप्तानी भी बहुत अच्छी करता है। इसमें दो चीजें होती है। पहला ये कि गेंदबाज क्या चाहता है। जो अच्छा कप्तान होगा वो यही कहेगा कि अच्छा ठीक है जो तुझे सही लग रहा है उस पर आगे बढ़। मैं माही भाई की कप्तानी में खेला, विराट के नेतृत्व में खेला। कभी भी दोनों ने मुझे ये नहीं बोला कि आप ये करो या ये मत करो। उन्होंने एक ही चीज बोली है को जो तुझे ठीक लगता है वो कर। जब मेरी रणनीति काम नहीं करती थी तो वो बोलते थे कि अब इस प्लान पर चलेंगे। कभी भी मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ कि किसी ने मुझे बोला हो कि नहीं, आप इसी प्लान के साथ चलेंगे क्योंकि मुझे पता है कि मेरी गेंदबाजी क्या है। फील्ड में बेस्ट करना मेरा काम है। नहीं करूंगा तो आपको पता है कि एक पेशेवर खिलाड़ी होने के नाते, आपके लिए चीजें कैसे खराब हो सकती हैं।
ईशांत: जो गेंदबाज होता है वो बहुत ज्यादा स्मार्ट होता है। लोगों को लगता है कि तेज गेंदबाज का दिमाग घुटनो में होता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है। तेज गेंदबाज का दिमाग बहुत ज्यादा चलता है, वो इसलिए चलता है क्योंकि हर एक गेंद में विविधता लानी बहुत जरूरी है। विकेट अगर सपाट है तो किस तरह से गेंदबाजी करनी है, गेंद रिवर्स नहीं हो रही तो गेंद कैसे रिवर्स करानी है। ये सब चीजें बहुत महत्वपूर्ण होती है। जो गेंदबाज होता है वो कप्तानी भी बहुत अच्छी करता है। इसमें दो चीजें होती है। पहला ये कि गेंदबाज क्या चाहता है। जो अच्छा कप्तान होगा वो यही कहेगा कि अच्छा ठीक है जो तुझे सही लग रहा है उस पर आगे बढ़। मैं माही भाई की कप्तानी में खेला, विराट के नेतृत्व में खेला। कभी भी दोनों ने मुझे ये नहीं बोला कि आप ये करो या ये मत करो। उन्होंने एक ही चीज बोली है को जो तुझे ठीक लगता है वो कर। जब मेरी रणनीति काम नहीं करती थी तो वो बोलते थे कि अब इस प्लान पर चलेंगे। कभी भी मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ कि किसी ने मुझे बोला हो कि नहीं, आप इसी प्लान के साथ चलेंगे क्योंकि मुझे पता है कि मेरी गेंदबाजी क्या है। फील्ड में बेस्ट करना मेरा काम है। नहीं करूंगा तो आपको पता है कि एक पेशेवर खिलाड़ी होने के नाते, आपके लिए चीजें कैसे खराब हो सकती हैं।
सवाल: गंभीर को आप क्रिकेटर के तौर पर भी जानते हैं और अब कोच के तौर पर भी देख रहे हैं। क्या इससे फर्क पड़ता है कि वो किस तरह की कोचिंग कर रहे हैं? क्या चयनकर्ता और कोच की जोड़ी पर जो सवाल उठ रहे हैं वो सही है?
ईशांत: बिल्कुल सही नहीं हैं। गंभीर खुद जाकर तो खेल नहीं रहे। कोच का काम है खिलाड़ी को तैयार करना। चयनकर्ता का काम है सेलेक्ट करना। कोच को खराब बोलने का कोई फायदा नहीं है। उससे क्या होता है कि टीम का माहौल खराब होगा। जज करने से पहले देखो कि टीम ट्रांजिशन फेज में है। अभी इंग्लैंड में अच्छा किया। यंग टीम थी और शुभमन गिल ने रन बनाए थे। पिछली सीरीज में वो चोटिल थे, तो हम वो सीरीज हार गए। मेन खिलाड़ी अगर ऐने मौके पर चोटिल हो जाएगा तो आप कैसे कोई बड़ी सीरीज जीत पाओगे। कोच का काम होता है खिलाड़ी को तैयार करना और वो कर भी रहे हैं। पर हम फैंस का काम है कि हम अपने खिलाड़ियों को कितना समर्थन कर रहे हैं, जब वो फेल होते हैं। चढ़ते सूरज को तो हर कोई सलाम करता है। फैन का काम होता है कि जब आपकी टीम का मनोबल गिर जाता है तो आप कैसे रिस्पॉन्ड करते हो।
ईशांत: बिल्कुल सही नहीं हैं। गंभीर खुद जाकर तो खेल नहीं रहे। कोच का काम है खिलाड़ी को तैयार करना। चयनकर्ता का काम है सेलेक्ट करना। कोच को खराब बोलने का कोई फायदा नहीं है। उससे क्या होता है कि टीम का माहौल खराब होगा। जज करने से पहले देखो कि टीम ट्रांजिशन फेज में है। अभी इंग्लैंड में अच्छा किया। यंग टीम थी और शुभमन गिल ने रन बनाए थे। पिछली सीरीज में वो चोटिल थे, तो हम वो सीरीज हार गए। मेन खिलाड़ी अगर ऐने मौके पर चोटिल हो जाएगा तो आप कैसे कोई बड़ी सीरीज जीत पाओगे। कोच का काम होता है खिलाड़ी को तैयार करना और वो कर भी रहे हैं। पर हम फैंस का काम है कि हम अपने खिलाड़ियों को कितना समर्थन कर रहे हैं, जब वो फेल होते हैं। चढ़ते सूरज को तो हर कोई सलाम करता है। फैन का काम होता है कि जब आपकी टीम का मनोबल गिर जाता है तो आप कैसे रिस्पॉन्ड करते हो।
ईशांत का अंतरराष्ट्रीय और आईपीएल करियर
ईशांत ने भारत के लिए 105 टेस्ट, 80 वनडे और 14 टी20 मैच खेले। टेस्ट में उनके नाम 311 विकेट और वनडे में 115 विकेट हैं। वहीं, टी20 में ईशांत ने आठ विकेट लिए। टेस्ट में ईशांत का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन 74 रन देकर सात विकेट है, जबकि वनडे में 34 रन देकर चार विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। टी20 में ईशांत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 34 रन देकर दो विकेट है। ईशांत ने टेस्ट में 11 बार पारी में पांच विकेट लिए। इसके अलावा ईशांत ने 117 आईपीएल मैच भी खेले। इसमें उन्होंने 96 विकेट लिए हैं। उनका इकोनॉमी रेट 8.38 का है। आईपीएल में इशांत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 12 रन देकर पांच विकेट है। ईशांत ने अब तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास नहीं लिया है।
ईशांत ने भारत के लिए 105 टेस्ट, 80 वनडे और 14 टी20 मैच खेले। टेस्ट में उनके नाम 311 विकेट और वनडे में 115 विकेट हैं। वहीं, टी20 में ईशांत ने आठ विकेट लिए। टेस्ट में ईशांत का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन 74 रन देकर सात विकेट है, जबकि वनडे में 34 रन देकर चार विकेट उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। टी20 में ईशांत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 34 रन देकर दो विकेट है। ईशांत ने टेस्ट में 11 बार पारी में पांच विकेट लिए। इसके अलावा ईशांत ने 117 आईपीएल मैच भी खेले। इसमें उन्होंने 96 विकेट लिए हैं। उनका इकोनॉमी रेट 8.38 का है। आईपीएल में इशांत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 12 रन देकर पांच विकेट है। ईशांत ने अब तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास नहीं लिया है।