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'तू चुप रह, बल्ला बोलेगा': कंगारुओं से बहस पर शास्त्री ने सचिन को दी थी खास नसीहत, पढ़िए 34 साल पुराना किस्सा
स्पोर्ट्स डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: स्वप्निल शशांक
Updated Fri, 07 Nov 2025 03:02 PM IST
सार
शास्त्री ने बताया कि जैसे ही उन्होंने शतक पूरा किया और सचिन क्रीज पर आए, स्टीव वॉ और मार्क वॉ लगातार सचिन को उकसाने की कोशिश कर रहे थे। इसके आगे क्या हुआ, पढ़िए पूरी कहानी....
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बेकहम, सचिन और शास्त्री
- फोटो : ANI
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विस्तार
भारत के पूर्व कप्तान और कोच रवि शास्त्री ने हाल ही में एक मजेदार पुरानी घटना साझा की, जिसमें उनके साथ सचिन तेंदुलकर भी शामिल थे। यह किस्सा 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर खेले गए टेस्ट मैच का है। उस वक्त सचिन अपने करियर के शुरुआती दौर में थे और मैदान पर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की स्लेजिंग का सामना कर रहे थे।
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वॉ ब्रदर्स ने की थी स्लेजिंग
शास्त्री ने बताया कि जैसे ही उन्होंने शतक पूरा किया और सचिन क्रीज पर आए, स्टीव वॉ और मार्क वॉ लगातार सचिन को उकसाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने बताया, 'सचिन से कहा जा रहा था- यू लिटिल दिस, यू लिटिल दैट। उसी वक्त माइक व्हिटनी, जो बारहवां खिलाड़ी था, मैदान पर आया और मुझसे बोल- अगर तू क्रीज से बाहर निकला तो सिर फोड़ दूंगा।'
शास्त्री ने बताया कि जैसे ही उन्होंने शतक पूरा किया और सचिन क्रीज पर आए, स्टीव वॉ और मार्क वॉ लगातार सचिन को उकसाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने बताया, 'सचिन से कहा जा रहा था- यू लिटिल दिस, यू लिटिल दैट। उसी वक्त माइक व्हिटनी, जो बारहवां खिलाड़ी था, मैदान पर आया और मुझसे बोल- अगर तू क्रीज से बाहर निकला तो सिर फोड़ दूंगा।'
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शास्त्री का जवाब बना यादगार
शास्त्री ने बताया कि उस समय मैदान पर माइक लगे थे और खिलाड़ियों पर जुर्माना लग सकता था, इसलिए उन्होंने बीच पिच से ही जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'मैंने माइक व्हिटनी से चिल्लाकर कहा- अगर तू गेंद फेंकने जितना अच्छा थ्रो कर पाता, तो आज ऑस्ट्रेलिया का 12वां खिलाड़ी नहीं होता। बस, उसके बाद मैदान पर सन्नाटा छा गया।'
शास्त्री ने बताया कि उस समय मैदान पर माइक लगे थे और खिलाड़ियों पर जुर्माना लग सकता था, इसलिए उन्होंने बीच पिच से ही जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'मैंने माइक व्हिटनी से चिल्लाकर कहा- अगर तू गेंद फेंकने जितना अच्छा थ्रो कर पाता, तो आज ऑस्ट्रेलिया का 12वां खिलाड़ी नहीं होता। बस, उसके बाद मैदान पर सन्नाटा छा गया।'
'सचिन बोले- मैं भी दूंगा जवाब'
घटना के बाद सचिन ने शास्त्री से कहा, 'रुको, जब मैं सौ बनाऊंगा, तो मैं भी जवाब दूंगा।' तब शास्त्री ने मुस्कुराते हुए सचिन से कहा, 'तू चुप रह, तेरे पास क्लास है। तेरा बल्ला बोलेगा, बात करने का काम मुझे करने दे।' इसके बाद सचिन ने बल्ले से जवाब दिया और 100 से 200 तक बिना एक शब्द बोले रन बनाते गए। मैच खत्म होने पर वही ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी भारतीय ड्रेसिंग रूम में आए और दोनों टीमों ने सम्मानपूर्वक मैच का अंत किया।
घटना के बाद सचिन ने शास्त्री से कहा, 'रुको, जब मैं सौ बनाऊंगा, तो मैं भी जवाब दूंगा।' तब शास्त्री ने मुस्कुराते हुए सचिन से कहा, 'तू चुप रह, तेरे पास क्लास है। तेरा बल्ला बोलेगा, बात करने का काम मुझे करने दे।' इसके बाद सचिन ने बल्ले से जवाब दिया और 100 से 200 तक बिना एक शब्द बोले रन बनाते गए। मैच खत्म होने पर वही ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी भारतीय ड्रेसिंग रूम में आए और दोनों टीमों ने सम्मानपूर्वक मैच का अंत किया।
शास्त्री और सचिन, दो पीढ़ियों का मेल
रवि शास्त्री ने भारत के लिए 1981 से 1992 तक क्रिकेट खेला और एक ऑलराउंडर के रूप में खुद को स्थापित किया। इसी दौर में सचिन तेंदुलकर ने 1989 में डेब्यू किया और आने वाले वर्षों में विश्व क्रिकेट का सबसे बड़ा नाम बन गए।
रवि शास्त्री ने भारत के लिए 1981 से 1992 तक क्रिकेट खेला और एक ऑलराउंडर के रूप में खुद को स्थापित किया। इसी दौर में सचिन तेंदुलकर ने 1989 में डेब्यू किया और आने वाले वर्षों में विश्व क्रिकेट का सबसे बड़ा नाम बन गए।