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धोनी को मिली सुप्रीम कोर्ट से राहत, धार्मिक भावनाएं आहत करने संबंधी याचिका खारिज
टीम डिजिटल / अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 05 Sep 2016 07:06 PM IST
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धोनी
- फोटो : ..
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भारत के वनडे और टी-20 कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनके खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने संबंधी दायर याचिका को खारिज कर दिया है।
साल 2013 में बिजनेस टुडे मैगजीन के अप्रैल के अंक में पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर धोनी की भगवान विष्णु के रूप में तस्वीर छपी थी जिसमें उन्हें हाथों में कई उत्पादों के साथ जूता पकड़े दिखाया गया था।
इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता जयाकुमार हिरेमथ ने आरोप लगाया था कि धोनी पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर भगवान विष्णु के रूप में अपने हाथ में जूता पकड़े हुए दिखाए गए हैं और इससे लोगों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंची है। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए बेंगलुरु के एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्टेट ने धोनी के खिलाफ एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और अपमान करने के आरोप में आईपीसी की धारा 295 व 34 के अंतर्गत मामला दर्ज किया था।
इसके बाद धोनी ने बेंगलुरु की निचली अदालत के फैसले को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसपर रोक लगाने से कर्नाटक हाई कोर्ट ने इंकार कर दिया था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान धोनी की फटकार भी लगाई थी और कहा था कि उन जैसी मशहूर हस्ती को इस तरह के विज्ञापन करते समय धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए। इसके बाद धोनी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
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साल 2013 में बिजनेस टुडे मैगजीन के अप्रैल के अंक में पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर धोनी की भगवान विष्णु के रूप में तस्वीर छपी थी जिसमें उन्हें हाथों में कई उत्पादों के साथ जूता पकड़े दिखाया गया था।
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इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता जयाकुमार हिरेमथ ने आरोप लगाया था कि धोनी पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर भगवान विष्णु के रूप में अपने हाथ में जूता पकड़े हुए दिखाए गए हैं और इससे लोगों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंची है। इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए बेंगलुरु के एडिशनल चीफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्टेट ने धोनी के खिलाफ एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और अपमान करने के आरोप में आईपीसी की धारा 295 व 34 के अंतर्गत मामला दर्ज किया था।
इसके बाद धोनी ने बेंगलुरु की निचली अदालत के फैसले को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसपर रोक लगाने से कर्नाटक हाई कोर्ट ने इंकार कर दिया था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान धोनी की फटकार भी लगाई थी और कहा था कि उन जैसी मशहूर हस्ती को इस तरह के विज्ञापन करते समय धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए। इसके बाद धोनी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।