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बारिश में बढ़ जाती है यहां के लोगों की धड़कनें
अंशुल डांगी
Updated Sat, 06 Jul 2013 09:34 AM IST
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नदी को ताकती निगाहें और हाथों में मोबाइल फोन। बारिश देख चेहरे का रंग भी बदल जाता है। हर पल चौकन्ने कान दूर से ही नदी की आवाज की आहट पकड़ने की कोशिश में, ताकि खतरे की स्थिति में परिवार और बच्चों को सुरक्षित निकाला जा सके। बरसात के दिनों में यह नजारा मोथरोवाला में नदी किनारे बसी बस्ती में दिखाई देता है।

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अमर उजाला टीम ने शुक्रवार को रिस्पना किनारे कारगी, बंजारावाला, भगतसिंह कालोनी और बिंदाल नदी के किनारे बस्ती पहुंची तो लोगों में बेचैनी और चिंताएं नजर आईं। यहां शासन ने बारिश को देखते हुए घर छोड़ने की मुनादी तो करवा दी है, लेकिन निकलकर लोग जाएं कहां, इसकी कोई जानकारी किसी को नहीं है।
देख रही हूं कितना पानी बढ़ा...
दोपहर 12:15 बजे मोथरोवाला में रिस्पना नदी के किनारे बस्ती में बारिश से पहले दिनचर्या सामान्य थी। अधिकतर पुरुष काम पर निकल चुके थे और महिलाएं घरों की सफाई में जुटी थीं। इसी बीच बारिश शुरू हुई तो माहौल बदल गया। बाहर रखा सामान समेटा जाने लगा। महिलाएं स्कूल गए बच्चों को नदी चढ़ने से पहले घर ले आईं।
एक महिला छाता लेकर नदी किनारे बने अधूरे पुश्ते के पास खड़ी थी। इस तरह खड़े होने का सबब पूछा तो बोली कि ऊपर (दून शहर) से फोन आ गया है कि बारिश हो रही है, ध्यान रखना। अब नदी को देख रही हूं कि कितना पानी बढ़ गया है। महिला ने किसी के डर से नाम बताने से इनकार कर दिया। केवल इतना बताया कि नदी में पानी बढ़ा तो कालोनी के भीतरी मकानों में शरण ले लेंगे।
कारगी-बंजारावाला में दिखी बेचैनी
समय : दोपहर 01:15 बजे। स्थान : कारगी-बंजारावाला। यहां पहली ही बारिश में कई फीट पानी में मकान-दुकान डूुबा देख चुके लोग बेचैन नजर आए। नाले के किनारे बनी दुकानों में दुकानदार सामान रखने में डर रहे हैं। दोपहर बाद दुकानें बंद हो गईं। लोग नाले में पानी का हाल देखते रहे। महज पांच मिनट में पानी दस इंच बढ़ा तो उनकी पेशानी पर बल पड़ने लगे। कई घर-दुकानें नाले से दो से ढाई फीट ऊपर हैं।
लोहे के गेट और चैनल बनाने वाले अंकित कुमार ने बताया कि पानी भरने से पहले ही मशीनें खराब हो गई हैं, अब दुकान जाने का डर है। शासन की मुनादी के बाद सामान ऊंचाई वाली जगह पर किराये के कमरे में पहुंचा दिया है। बंजारावाला के विजय कुमार ने अपनी दुकान बारिश के चलते बंद कर दी। बताया कि पानी भरा तो निकलना मुश्किल हो जाएगा। छत ही सहारा बनती है।
काम छोड़कर घर लौटे बिंदाल के लोग
दोपहर 02:00 बजे। बिंदाल नदी के किनारे बस्तियों में रहने वाले लोग काम धंधे छोड़ अपने ठिकानों पर लौट आए थे। यहां की एकमात्र दुकान भी बंद हो गई और लोग नदी पर बने पुश्तों के किनारे खड़े होकर नदी का बहाव देखते रहे। ऐसा ही हाल रिस्पना नदी के किनारे बसी भगत सिंह कालोनी की बस्ती में भी दिखाई दिया।
लोग बारिश में छाता लेकर बाहर नदी का बहाव देखते नजर आए। सभी की एक ही चिंता कि बारिश में तेज हुई और नदी का पानी बढ़ा तो उनका क्या होगा? कहां जाएंगे और कैसे रहेंगे?