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Uttarakhand: डिजिटल अरेस्ट...11 दिनों तक साइबर ठगों के खाैफ में रही वरिष्ठ प्राध्यापिका, फिर भाई ने दी हिम्मत

चरनजीत सिंह, संवाद न्यूज एजेंसी, कोटद्वार Published by: रेनू सकलानी Updated Mon, 22 Dec 2025 10:04 AM IST
सार

राजकीय पीजी कॉलेज की वरिष्ठ प्राध्यापिका को डिजिटल अरेस्ट कर 1.11 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। व्हाट्सएप कॉल पर खुद को जांच एजेंसी का अधिकारी बताकर आरोपी ने प्राध्यापिका को झांसे में लिया। इसके बाद इस कदर दहशतजदा कर दिया कि 11 दिनों में उन्होंने न सिर्फ अपनी जमापूंजी गंवाई बल्कि रिश्तेदारों से भी रकम लेकर ठगों के हवाले कर दिया।

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Digital arrest Case senior professor remained in fear of cyber fraudsters for 11 days Kotdwar Uttarakhand News
डिजिटल अरेस्ट
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विस्तार
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बंगलुरू से टेलीफोन डिपार्टमेंट का अधिकारी बताकर आठ दिसंबर को एक व्यक्ति ने वरिष्ठ प्राध्यापिका को व्हाट्सएप कॉल की थी। प्राध्यापिका के नंबर से लड़कियों को आपत्तिजनक मैसेज करने से परेशान होकर एक लड़की के खुदकुशी कर लेने पर अभिभावकों की ओर से मुकदमा दर्ज कराए जाने की बात कहकर कथित अधिकारी द्वारा एक महिला अधिकारी से संपर्क कराया गया। इसके बाद वही महिला लगातार वरिष्ठ प्राध्यापिका से बात करती रही और सेटलमेंट के नाम पर झांसा देकर 1.11 करोड़ वसूल लिए।

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वरिष्ठ प्राध्यापिका ने संवाद प्रतिनिधि से बातचीत में बताया कि व्हाट्सएप पर लगातार उन लोगों ने संपर्क बनाकर रखा और डराते धमकाते रहे। किसी से संपर्क करने की बात कहने पर उनके द्वारा कहा गया कि जिससे भी आप अपने मोबाइल से संपर्क करेंगे, वह भी मुसीबत में पड़ जाएंगे। इस कारण वह किसी से संपर्क नहीं कर सकीं और 11 दिन तक दहशत में रही।

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वरिष्ठ प्राध्यापिका के भाई ने उनसे कई बार रुपयों की आवश्यकता के बारे में पूछा, लेकिन प्रोफेसर ने नहीं बताया। भाई ने रुपया ट्रांसफर करने की कोशिश भी की, लेकिन बहन के खाते में पैसा किसी कारण नहीं पहुंच पाया। आखिरकार भाई ने भावुक होकर बहन से रुपयों की आवश्यकता का कारण पूछा, तो प्रोफेसर ने घटना की जानकारी दी। इसके बाद भाई के कहने पर उन्होंने रुपये ट्रांसफर न करने का मन बनाया और फिर पुलिस से शिकायत दी गई।

16 दिसंबर को कोटद्वार से हुई पहली ट्रांजेक्शन

वरिष्ठ प्राध्यापिका ने पहली बार 16 दिसंबर को अपने इंडियन बैंक खाते से 37 लाख रुपये कथित जांच अधिकारी द्वारा बताए गए अकाउंट में ट्रांसफर किए। इसके बाद भी उनके द्वारा व्हाट्सएप पर कॉल कर लगातार धमकियां दी जाती रहीं और कॉल डिस्कनेक्ट नहीं करने की चेतावनी दी गई।

18 सितंबर को इलाहाबाद से हुई दूसरी ट्रांजेक्शन

पैसा खत्म होने पर वरिष्ठ प्राध्यापिका इलाहाबाद पहुंचीं। वहां उन्होंने अपने अकाउंट से फिक्स्ड डिपॉजिट और पॉलिसी मेच्योरिटी का पैसा, जोकि 30 लाख से अधिक था, कथक जांच अधिकारी के खाते में ट्रांसफर कर दिए।

19 दिसंबर को हुई तीसरी ट्रांजेक्शन

सेवानिवृत्त बड़ी बहन को जानकारी न देकर उनकी जमा पूंजी करीब 40 लाख रुपये भी साइबर ठग को ट्रांसफर कर दिए।

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अरेस्ट वारंट कैंसिलेशन के नाम पर मांग रहे 64 लाख रुपये

ठगी की शिकार वरिष्ठ प्राध्यापिका ने बताया कि साइबर ठग अब भी लगातार उनसे व्हाट्सएप कॉल पर संपर्क बनाए हुए हैं और कैंसिलेशन आफ अरेस्ट वारंट के नाम पर 64 लाख रुपये मांगे जा रहे हैं।

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