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देहरादून: ग्लेशियर, नदियों से 2.50 लाख करोड़ की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का अनुमान, विशेषज्ञ एजेंसी की तलाश

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Sat, 16 Sep 2023 03:13 PM IST
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सार

नियोजन विभाग के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गुड गवर्नेंस (सीपीपीजीजी) इसकी योजना बना रहा है। एजेंसी राज्य को हर साल जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले नुकसान का भी आकलन करेगी। इस विषय पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार होगी जिसे 16वें वित्त आयोग के समक्ष रखा जाएगा।

Ecosystem services estimated at Rs 2.50 lakh crore from glaciers rivers and streams Uttarakhand news in hindi
ग्लेशियर - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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प्रदेश सरकार विशेषज्ञ एजेंसी के माध्यम से यह पता लगाएगी कि राज्य के ग्लेशियर, नदियों, बुग्यालों व अन्य प्राकृतिक संसाधनों से देश को कितनी राशि की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं दी जा रही हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार, उत्तराखंड के जंगलों, ग्लेशियर, घास के मैदानों और नदियों से प्रदान हो रही पारिस्थितिकी तंत्र सेवा का मौद्रिक मूल्य लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष है।

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इसका पता लगाने के लिए सरकार ने एजेंसी का चयन करने की कवायद शुरू कर दी है। यह पूरी कसरत 16वें वित्त आयोग के लिए की जा रही है ताकि जब वह राज्य में आए तो उसके सामने राज्य को ग्रीन बोनस दिलाने की मजबूत पैरवी की जा सके। नियोजन विभाग के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गुड गवर्नेंस (सीपीपीजीजी) इसकी योजना बना रहा है।
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एजेंसी राज्य को हर साल जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले नुकसान का भी आकलन करेगी। इस विषय पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार होगी जिसे 16वें वित्त आयोग के समक्ष रखा जाएगा। 15वें आयोग का कार्यकाल वर्ष 2025-26 में समाप्त हो रहा है।

हर साल 95 हजार करोड़ की इको सेवाएं दे रहे राज्य के जंगल

नियोजन विभाग राज्य के वनों से देश को प्रदान की जाने वाली पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का आकलन करा चुका है। वर्ष 2018 में भारतीय वानिकी प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम) से यह अध्ययन व मूल्यांकन कराया गया था। इसके मुताबिक, राज्य के वनों से देश को हर साल 95 हजार करोड़ की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्राप्त हो रही हैं।

15वें वित्त आयोग से पैरवी में काम आई थी रिपोर्ट

जब एनके सिंह की अध्यक्षता में 15वां वित्त आयोग राज्य में आया था, तब राज्य सरकार ने पर्यावरणीय सेवाओं के एवज में ग्रीन बोनस की पैरवी में पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के कराए गए अध्ययन और आकलन रिपोर्ट के जरिये तर्कसंगत और वैज्ञानिक पक्ष रखा था। तब आयोग ने केंद्र से उत्तराखंड को पांच साल की अवधि के लिए 89,845 करोड़ रुपये देने की सिफारिश की थी। 14वें वित्त आयोग की तुलना में हुई बढ़ोतरी की वजह इको सेवाओं के लिए की गई मजबूत पैरवी को भी माना गया।

उत्तराखंड में 1439 ग्लेशियर

उत्तराखंड वर्ष 2021 में अपने वन संसाधनों के मौद्रिक मूल्य की गणना करने और उनके सकल पर्यावरणीय उत्पाद (जीईपी) का निर्धारण करने वाला पहला राज्य था। राज्य में 24,305 वर्ग किमी का वन क्षेत्र है। उत्तराखंड में 1439 ग्लेशियर हैं जो अनुमानित 4060 वर्ग किमी क्षेत्र को कवर करते हैं।

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ग्लेशियर, नदियों, घास के मैदानों से प्रदान की जाने वाली परिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को निर्धारित किया जाएगा। इसके लिए एजेंसी नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। रुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) पहले ही जारी की जा चुकी है। प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जल्द ही जारी किया जाएगा। विकासात्मक परियोजनाओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन भी किया जाएगा। - डॉ. मनोज कुमार पंत, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सीपीपीजीजी

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