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कुंभ के लिए हुए निर्माण कार्य: गंगनहर में जलस्तर कम हुआ तो दिखने लगी अनदेखी की बुनियाद, दिख रही दरारें

माई सिटी रिपोर्टर, हरिद्वार Published by: अलका त्यागी Updated Sun, 26 Oct 2025 08:50 PM IST
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सार

वार्षिक बंदी समाप्त होते ही नहर में जलधारा फिर से छोड़ दी गई। शनिवार को जब जलस्तर कम हुआ तो इन नए घाटों के लिए बनाया गया सीसी (कंक्रीट) फाउंडेशन कई जगहों पर बह गया।

Haridwar As water level in Ganganagar decreased foundation of negligence in construction becomes visible
निर्माण कार्य में अनदेखी - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो
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विस्तार
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कुंभ मेला वर्ष 2021 के दो करोड़ घोटाले की गुत्थी अभी सुलझी भी नहीं है कि वर्ष 2027 में होने वाले कुंभ को भव्य और दिव्य बनाने की तैयारियों में ही भ्रष्टाचार की बुनियाद दिखने लगी है।



करोड़ों रुपये खर्च कर बनाए गए घाट अभी से ही क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जगह-जगह आरसीसी निर्माण बह गया है और कई जगह पर दरारें और सरिये नजर आने लगे हैं। इसको लेकर न केवल विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की भी मांग की गई है।
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इस वर्ष दशहरा की आधी रात को हुई वार्षिक बंदी में उत्तराखंड सिंचाई विभाग ने कुल प्रस्तावित 11 घाटों में से 9 पर तेजी से काम शुरू कर दिया था। यह तब किया गया जब उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने इन घाटों के निर्माण पर आधिकारिक तौर पर आपत्ति भी की थी। आनन-फानन में फाउंडेशन का काम पूरा कर दिया गया।

वार्षिक बंदी समाप्त होते ही नहर में जलधारा फिर से छोड़ दी गई। शनिवार को जब जलस्तर कम हुआ तो इन नए घाटों के लिए बनाया गया सीसी (कंक्रीट) फाउंडेशन कई जगहों पर बह गया। इसके अलावा, जगह-जगह दरारें दरक गईं और फाउंडेशन में लगाया गया सरिया भी दूर से साफ दिखने लगा। ऋषिकुल से लेकर अमरापुर घाट तक बने नए घाटों की नींव में इस तरह की गंभीर अनदेखी दिखने पर पूरे शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। आमजन ने इसे भ्रष्टाचार का पहला चरण बताया।

वहीं, पूर्व मेयर अनीता शर्मा, कांग्रेस नेता अमन गर्ग और कैश खुराना ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। विभागीय अनदेखी की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी, जिस पर लोग लगातार कमेंट कर रहे हैं। यह बड़ा सवाल भी खड़ा हो गया है कि आखिर लाखों श्रद्धालुओं की जान की परवाह किए बिना यह घटिया निर्माण किसकी निगरानी में किया गया।

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अधिकारियों ने किया था एडवांस टेक्नोलॉजी का दावा
नए घाटों के निर्माण में अनदेखी का हाल यह है कि इसको लेकर निर्माण शुरू होते ही सवाल उठे थे। बावजूद इसके अधिकारियों ने करोड़ों रुपये खर्च में एडवांस टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने का दावा किया था। अधिशासी अभियंता सिंचाई का दावा था कि नहर खुलने के बाद किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। आखिरकार वही हुआ जिसे स्वयं विभागीय जिम्मेदारों का भय था। बताया जा रहा है कि निर्माण पूरा नहीं होने की स्थिति में सिंचाई विभाग उत्तराखंड ने उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर घाट निर्माण के लिए अतिरिक्त समय देने का अनुरोध किया था। इस अनुरोध को उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने आपत्ति के साथ लौटा दिया था।

फाउंडेशन टूटने की सूचना पर पहुंचीं मेला अधिकारी
नवनिर्मित घाट के फाउंडेशन के बहने और जगह-जगह दरकने की सूचना मिलते ही मौके पर मेलाअधिकारी सोनिका भी अपर मेला अधिकारी दयानंद सरस्वती के साथ पहुंचीं। उन्होंने नवनिर्मित घाट का जायजा लिया। अधिशासी अभियंता सिंचाई ओमजी गुप्ता का कहना है कि जिस जगह से सीमेंट, कंकरीट बहा है वह उसी दिन पूर्ण किया जिस रात में गंगनहर को चालू किया गया। उनका दावा है कि जिन जगहों पर घाट दरके हैं और समस्या आई है उसे जल्द ही दुरुस्त कर लिया जाएगा। फिलहाल, मेला अधिकारी ने इस संबंध में अभी तक कार्यदायी संस्था से कोई सवाल जवाब नहीं किया है। मेला प्रशासन का कहना है कि थर्ड पार्टी को मौके पर बुलाकर सैंपलिंग करा ली गई है।

घाट निर्माण की शुरुआत नहर की वार्षिक बंदी में की गई। फर्म को एक भी रुपया भुगतान नहीं किया गया है। जहां भी क्षति हुई है उसके समेत थर्ड पार्टी क्वालिटी जांच करने वाली संस्था की रिपोर्ट आने और सुधारीकरण के बाद ही भुगतान पर विचार किया जाएगा। इस पूरे मामले की गहनता से जांच की जाएगी। रविवार का अवकाश है बावजूद इसके मातहतों को निर्देशित कर दिया गया है कि विशेषज्ञों के साथ वह मौके पर पहुंचे। मैं स्वयं निरीक्षण के दौरान मौजूद रहूंगा। जहां भी कमी होगी ठेकेदार को नोटिस दिया जाएगा।
-ओमजी गुप्ता, अधिशासी अभियंता सिचाई विभाग उत्तराखंड

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