Badrinath Highway: हाइड्रोसीडिंग मल्च से रुकेगा कमेड़ा का भूस्खलन, बीजों का सहारा ले रहा एनएच
बदरीनाथ हाईवे पर गौचर के कमेड़ा में करीब 120 मीटर हिस्से में बरसात में भूस्खलन होता है। अब विभिन्न बीजों के मिश्रण हाइड्रोसीडिंग मल्च का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे भूस्खलन को रोका जा सके।
विस्तार
गौचर के कमेड़ा में पहाड़ी से हो रहे लगातार भूस्खलन को रोकने के लिए अब एनएच बीजों का सहारा ले रहा है। पहाड़ी में भूस्खलन वाले क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के बीजों को डालकर मिट्टी की पकड़ को मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा। जिसके लिए हाइड्रोसीडिंग मल्च विधि का प्रयोग किया जा रहा है।
रुद्रप्रयाग जनपद की सीमा से सटे कमेड़ा में विगत पांच वर्षों से अधिक समय से पहाड़ी से लगातार भूस्खलन हो रहा है। जो साल दर साल काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। यहां पर हाईवे के ठीक ऊपर करीब 110 मीटर में पहाड़ी से लगातार भूस्खलन हो रहा है। बारिश आने पर पहाड़ी से मलबा और बोल्डर लगातार छिटक कर हाईवे पर गिरते है। जिससे घंटो तक हाईवे बंद रहता है।
एनएचडीआईसीएल ने बरसात से पूर्व भूस्खलन को रोकने के लिए पहाड़ पर जाली लगाकर भूस्खलन रोकने का प्रयास किया था। जिसमें उन्होंने पहाड़ी पर 6 से 8 इंच तक एंकर (लोहे की छड़) डाले थे। इसके बाद शुरू हुई बरसात में पहाड़ी से काफी मात्रा में भूस्खलन हुआ था। ऐसे में अब विभिन्न बीजों के मिश्रण हाइड्रोसीडिंग मल्च का प्रयोग किया जा रहा है।
क्या होता है हाइड्रोसीडिंग मल्च
यह एक आधुनिक तकनीक है। जिसमें बीज, पानी, उर्वरक का मिश्रण होता है। जिसे मिट्टी पर स्प्रे किया जाता है। यह तकनीक ढलानों, सड़कों के किनारों, खदानों या पहाड़ी इलाकों में तेजी से घास या पौधों की परत विकसित करने के लिए की जाती है। यह मल्व मिट्टी को एक परत की तरह ढककर रखता है। ताकि बारिश या हवा में मिट्टी का बहाव न हो। इसमें मौजूद रेशे मिट्टी को आपस में पकड़ने में मदद करते हैं।
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कोटपहाड़ी में भूस्खलन रोकने के लिए हाइड्रोसीडिंग मल्च का प्रयोग किया जा रहा है। जिससे भूस्खलन रुकने की संभावना है। फिलहाल एंकरों की जांच की जा रही है जिसके बाद इस विधि का प्रयोग होगा। पहाड़ों में यह कारगर साबित होता है। -जेपी शर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर, आरसीसी डेवलपर्स लिमिटेड।