Haridwar: नहीं मिल रहा कोई पढ़ने वाला, लग गया स्कूल पर ताला, दो सहायक अध्यापकों को किया दूसरे विद्यालय अटैच
छात्र संख्या शून्य होने पर स्कूल पर ताला लटक गया। दो सहायक अध्यापकों को दूसरे विद्यालय में अटैच कर दिया गया।
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पहाड़ों में पलायन से बंद हो रहे सरकारी स्कूलों की तरह मैदान के जनपद हरिद्वार में राजकीय प्राथमिक विद्यालय बच्चे विहीन होने लगे हैं। दरअसल, राजकीय प्राथमिक विद्यालय घोलूवाला में तीन माह पहले बिहार के दो बच्चे नाम कटावकर चले गए थे। इसलिए बच्चे नहीं होने से सरकारी स्कूल पर ताला लग गया है। इसमें तैनात दो सहायक अध्यापकों को भी दूसरे विद्यालय में अटैच कर दिया गया है।
विकास खंड बहादराबाद क्षेत्र की ग्राम पंचायत ग्राम रायपुर दरेड़ा के मजरा गांव घोलूवाला के नाम सहदेवपुर में राजकीय प्राथमिक स्कूल बनाया गया है, जबकि सहदेव में भी राजकीय प्राथमिक है। दोनों स्कूलों के बीच लगभग पांच सौ मीटर के दायरे में है। घोलूवाला छोटा गांव है, गांव के अधिकांश बच्चे निजी स्कूलों में जा रहे हैं। इस कारण घोलूवाला स्कूल में बच्चों की संख्या निरंतर कम होती चली गई।
बच्चों की संख्या शून्य हो गई
स्थिति यह पहुंच गई कि चालू वित्तीय वर्ष में बिहार के एक श्रमिक परिवार के दो बच्चे कक्षा दो और कक्षा तीन में रह गए। परिवार तीन माह पहले जब वापस बिहार चला गया तो बच्चे भी नाम कटवाकर साथ चले गए। इससे स्कूल में बच्चों की संख्या शून्य हो गई।
इस वजह से उप शिक्षा अधिकारी बहादराबाद के पत्र पर छात्र संख्या शून्य होने पर स्कूल पर ताला लटक गया है। दोनों सहायक अध्यापकों को 31 मार्च 2026 तक नवोदय नगर के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में तैनात कर दिया गया है। माना जा रहा है कि यह जनपद का पहला विद्यालय है, जो बच्चों की संख्या शून्य होने पर चालू शिक्षा सत्र के लिए बंद किया गया है।
स्थाई रूप से बंद करने के लिए मांगा प्रस्ताव
राजकीय प्राथमिक विद्यालय घोलूवाला को स्थायी रूप से बंद करने के लिए उप शिक्षा अधिकारी से प्रस्ताव मांगा गया है। जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक शिक्षा) की ओर से स्कूल को बंद करने के लिए प्रस्ताव देने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि स्कूल को बंद करने के लिए उच्चाधिकारियों की अनुमति प्राप्त की जा सके।
पांच सौ मीटर पर दो स्कूल पर भी सवाल
राजकीय प्राथमिक विद्यालय घोलूवाला गांव में न होकर सहदेवपुर में बनाया गया है, जबकि सहदेवपुर में भी सरकारी स्कूल है। ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर पांच सौ मीटर के दायरे में दो स्कूल कैसे बनाए गए और घोलूवाला में स्कूल क्यों नहीं स्थापित किया गया। ये सवाल तत्कालीन शिक्षा अधिकारियों को सवालों के घेरे में खड़े रहे हैं, जिन्होंने सरकारी धन खर्च करने के बाद भी घोलूवाला में स्कूल न खोलकर सहदेवपुर में बनाया।
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स्कूल में एक भी छात्र नहीं होने पर फिलहाल स्कूल में तैनात दोनों सहायक अध्यापकों को दूसरे विद्यालय में अटैच कर दिया गया है, जब तक अन्य विद्यालयों में पद रिक्त नहीं हो जाते हैं, तब तक दोनों सहायक अध्यापक अटैच रहेंगे। -आशुतोष भंडारी, जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक शिक्षा), हरिद्वार