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Uttarakhand News: कर्णप्रयाग-ऋषिकेश रेलवे परियोजना...14.5 किमी हुई टनलों की खोदाई, 95 फीसदी कार्य पूर्ण

राजीव खत्री, संवाद न्यूज एजेंसी, ऋषिकेश Published by: रेनू सकलानी Updated Fri, 19 Dec 2025 12:59 PM IST
सार

कर्णप्रयाग-ऋषिकेश रेलवे परियोजना का निर्माण कार्य वर्ष 2020 में शुरू किया गया था। इस वर्ष टनलों की कुल खोदाई 14.5 किमी की गई। टनलों के अंदर ट्रैक की कुल लंबाई 213 किमी है।

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Karnaprayag-Rishikesh railway project: 14.5 km of tunnel excavated 95 percent of work completed Uttarakhand
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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यह वर्ष रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के लिए उपलब्धियों भरा रहा। इस वर्ष ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना में कई महत्वपूर्ण कार्य हुए। इस वर्ष 14.5 किमी टनलों की खोदाई हुई। खोदाई का करीब 95 फीसदी कार्य पूरा हो गया है। वहीं, पूरी परियाेजना का करीब 70 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है।

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सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना का निर्माण कार्य चरम पर है। वर्ष 2020 में इस परियोजना का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। इस वर्ष टनलों की कुल खोदाई 14.5 किमी की गई। टनलों के अंदर ट्रैक की कुल लंबाई 213 किमी है। अब 11 किमी की खोदाई शेष रह गई है। टनलों की खोदाई का करीब 95 फीसदी कार्य पूरा हो गया है।

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वहीं, इस वर्ष कुल 9 ब्रेक थ्रू (सुरंगे आर-पार) किए गए। पूरी परियोजना में कुल 46 ब्रेक थ्रू होने हैं, जिनमें से अब तक 40 ब्रेक थ्रू हो चुके हैं। 2 सुरंगों का फाइनल लाइनिंग का कार्य भी पूर्ण हो गया है। 5 सुरंगों का फाइनल लाइनिंग कार्य अंतिम चरण में है। पूरी परियोजना 70 का फीसदी कार्य पूर्ण हो चुका है।


वर्ष 2016 में जब परियोजना स्वीकृत हुई थी तब 125 किमी लंबे ट्रैक वाली इस परियोजना की लागत करीब 16216 करोड़ थी। परियोजना पूर्ण होने का लक्ष्य वर्ष 2025 रखा गया था। अब परियोजना की लागत बढ़ कर करीब 30 हजार करोड़ पार कर गई है। लागत बढ़ने का कारण परियोजना में कुछ बदलाव व निर्माण सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी है। 
 

ट्रैक बिछाने के लिए सर्वे शुरू

इस वर्ष एक बड़ी उपलब्धि यह भी रही कि पटरी बिछाने की प्रक्रिया शुरू हुई। 25 किलोमीटर लंबी इस परियोजना पर 750 करोड़ रुपये की लागत से ट्रैक बिछाया जाना है। इसके लिए निविदा प्रक्रिया 4 जुलाई 2024 को पूर्ण हो गई थी। भारतीय रेलवे के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल ने 2027 तक ट्रैक बिछाने का कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा है। वीरभद्र से कर्णप्रयाग तक ट्रैक की लंबाई 125 किमी है। जिसमें से वीरभद्र से योगनगरी रेलवे स्टेशन तक 6 किमी के दायरे में ट्रेनों का संचालन मार्च 2020 से हो रहा है। शेष 119 किमी में ट्रैक बिछाने के लिए इसी वर्ष मार्च माह से सर्वे कार्य शुरू किया गया था। करीब 6 किमी लंबी टनल नंबर 2 (शिवपुरी से गूलर तक) में सर्वे कार्य पूर्ण कर लिया गया है।

स्टेशनों की निर्माण प्रक्रिया में तेजी

इस वर्ष स्टेशनों की निर्माण प्रक्रिया भी तेजी से बढ़ी है। परियोजना में कुल 13 स्टेशन हैं। हालांकि इन 13 स्टेशनों में वीरभद्र स्टेशन भी शामिल है, जो आजादी से पहले का है। इसी स्टेशन से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना के ट्रैक को जोड़ा गया है। इसके बाद नए स्टेशन हैं, जिनमें योगनगरी रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य वर्ष 2020 में पूर्ण हो चुका है। इस स्टेशन तक ट्रेनों का संचालन होता है। वहीं, शिवपुरी और ब्यासी रेलवे स्टेशनों का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। जबकि देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर स्टेशन (एक पैकेज) व धारीदेवी, घोलतीर, तिलड़ी और गौचर स्टेशन (दूसरा पैकेज) के लिए तकनीकी निविदाएं खुल गई है। वित्तीय निविदाएं गतिमान है। परियोजना के सबसे बड़े स्टेशन कर्णप्रयाग के लिए भी जल्द निविदा जारी होगी। सभी रेलवे स्टेशनों के निर्माण की लागत करीब 550 करोड़ रुपये है।

 

19 में से 8 पुलों का निर्माण कार्य पूरा

परियोजना में कुल 19 पुल हैं। इनमें से चंद्रभागा, शिवपुरी, गूलर, ब्यासी, कोड़ियाला, पौड़ी नाला, लक्ष्मोली और श्रीनगर पुल बनकर तैयार हो चुके हैं। शेष 11 पुलों का निर्माण भी 65 फीसदी से अधिक पूरा हो चुका है। वर्ष 2026 के अंत तक सभी पुलों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।

वर्ष 2024 में भी हुआ था महत्वपूर्ण बदलाव

वर्ष 2024 में परियोजना में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के सबसे बड़े कर्णप्रयाग रेलवे स्टेशन को और अधिक बड़ा बनाने का निर्णय लिया गया। यह निर्णय कर्णप्रयाग की सामरिक महत्ता को देखते हुए लिया गया। यहां 22 के बजाय 26 रेलवे ट्रैक होंगे। इस अतिरिक्त कार्य के लिए 611 करोड़ रुपये के टेंडर भी जारी कर दिए गए। जल्द निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

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परियोजना का कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है। टनलों की खोदाई का करीब 95 फीसदी कार्य पूर्ण हो चुका है। पूरी परियोजना का करीब 70 फीसदी कार्य पूर्ण हो चुका है। निर्धारित समयावधि में कार्य पूर्ण करने के संभव प्रयास किए जा रहे हैं। - ओपी मालगुड़ी, उप महाप्रबंधक, सिविल, आरवीएनएल

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