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#कबतकनिर्भया: निर्भया फंड की योजना में राजधानी देहरादून ही शामिल नहीं 

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Fri, 06 Dec 2019 11:35 AM IST
सार

  • सबसे ज्यादा महिला अपराध वाले जिलों में से एक है देहरादून 
  • प्रदेश में सिर्फ चार जिलों में ही लागू है निर्भया फंड योजना 
  • जल्द ही देहरादून और पौड़ी के भी शामिल होने की संभावना 

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Nirbhaya Fund scheme Not Applicable in dehradun
- फोटो : प्रतीकात्मक तस्वीर
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विस्तार
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राजधानी देहरादून प्रदेश में सबसे ज्यादा महिला अपराध वाले जिलों में शामिल है, लेकिन अभी तक यहां निर्भया फंड स्कीम को लागू नहीं किया गया है। इसके तहत महिलाओं और युवतियों को आत्मरक्षा के गुर सीखाने, सीसीटीवी कैमरे लगवाने, महिला हॉस्टल बनवाने आदि के काम किए जाते हैं। बताया जा रहा है कि भारत सरकार के निर्देशों पर अब दून और पौड़ी जनपद को भी इस योजना में शामिल किया जाना है। 

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दरअसल, दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुए निर्भय कांड के बाद केंद्र सरकार ने निर्भया फंड की स्थापना की थी। इस फंड को सभी राज्यों को आवंटित किया जाता है। इस फंड के तहत महिलाओं की सुरक्षा के लिए तमाम कार्यक्रम चलाए जाते हैं। वर्ष 2014 में उत्तराखंड भी इस फंड को स्थापित कर पांच जनपदों को इसमें शामिल किया गया था। इनमें अल्मोड़ा, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल शामिल हैं।
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जबकि, देहरादून की बात करें तो यह उत्तराखंड में हरिद्वार के बाद सबसे अधिक महिला अपराध वाला जनपद है। यही नहीं किसी किसी वर्ष देहरादून में हरिद्वार से भी ज्यादा महिला अपराध दर्ज किए जाते हैं। इस साल भी देहरादून जनपद में 30 नवंबर तक 508 मुकदमे महिला अपराध से संबंधित दर्ज किए गए हैं। जबकि, पिछले साल इनकी संख्या 577 थी। इनमें अगर अकेले छेड़छाड़ की ही बात करें तो इस साल पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ोतरी हुई है।

इस साल कुल 71 महिलाओं और युवतियों से छेड़छाड़ हुई जबकि, पिछले साल यह संख्या 63 थी। निर्भया फंड के अंतर्गत अभी हमारा देहरादून जनपद नहीं आता है। भारत सरकार के निर्देशों पर अब जल्द ही देहरादून और पौड़ी जनपद को भी इसमें शामिल करने की बात चल रही है।

20 महीनों में 37 पीड़ितों को मिली आर्थिक मदद 
उत्तराखंड में वर्ष 2013 में अपराध पीड़ित सहायता योजना की शुरूआत हुई थी। वर्ष 2016 से इसमें बजट का आवंटन हुआ था, जिसके तहत बीते 20 माह में कुल 37 अपराध पीड़ितों को मदद जारी की जा चुकी है। इनमें ज्यादातर मामले दुष्कर्म से संबंधित हैं। मार्च 2018 से दिसंबर 2018 तक कुल 27 पीड़ितों को 29.50 लाख रुपये की मदद जारी की गई थी। जबकि, इस साल अब तक कुल 10 मामलों में दुष्कर्म पीड़िताओं और उनके परिवार वालों को 6.15 लाख रुपये की मदद मुहैया कराई गई है। 

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