सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttarakhand ›   Dehradun News ›   Now rhinoceros will not come to Uttarakhand, government will not be able to bear the expenses

उत्तराखंड में सुर्खियों में गैंडा: पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार का ये फैसला रद्द, इंसानों को खतरा और हिफाजत की चुनौती

आफताब अजमत, अमर उजाला, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Fri, 24 Jun 2022 01:55 PM IST
सार

पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार में लिया गया एक फैसला सरकार ने रद्द कर दिया है। कार्बेट में गैंडे लाने का जो फैसला था, वह इस बोर्ड बैठक में विलोपित कर दिया गया है। गैंडे लाने से एक ओर जहां आर्थिक बोझ बढ़ता तो दूसरी ओर मानव-वन्यजीव संघर्ष की चुनौती भी बढ़ जाती।

विज्ञापन
Now rhinoceros will not come to Uttarakhand, government will not be able to bear the expenses
गैंडा - फोटो : सोशल मीडिया
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

आर्थिक बोझ और जनसुरक्षा के चलते कार्बेट टाइगर रिजर्व में अब असम से 10 गैंडे नहीं आएंगे। सरकार ने पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार में लिया गया यह अहम फैसला रद्द कर दिया है। हाल ही में हुई राज्य वन्यजीव बोर्ड की बैठक में 2019 में बोर्ड की 14वीं बैठक में गैंडे लाने के फैसले को रद कर दिया गया।

Trending Videos


इसके पीछे कई कारण गिनाए गए हैं। फिलहाल कार्बेट पार्क में गैंडे लाने की कोई योजना अस्तित्व में नहीं रह गई है। यह बात अलग है कि 14वीं बोर्ड बैठक में जो तथ्य गैंडे के पक्ष में बताए गए थे, वहीं अब विपक्ष में बताते हुए सरकार ने इसे खत्म किया है। 

विज्ञापन
विज्ञापन

इस वजह से खत्म की गई योजना

आर्थिक कारण : शुरू में दस गैंडे लाकर उन्हें रखने के लिए सालाना करीब चार करोड़ की राशि खर्च होगी। इन गैंडों की हिफाजत को विशेष फोर्स गठित करनी होगी, जिसका खर्च अलग बढ़ जाएगा। लिहाजा, इस आधार पर प्रस्ताव को खत्म किया गया।

सुरक्षा कारण 

वन विभाग के आला अधिकारियों के मुताबिक, मानव-वन्यजीव संघर्ष उत्तराखंड के लिए एक बड़ी चुनौती है। लाख कोशिश के बाद भी मानव-वन्यजीव संघर्ष में उत्तराखंड, देश के शीर्ष तीन राज्यों की जमात में शामिल है। वर्ष 2001 से लेकर अब तक वन्यजीवों के हमले से 995 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 4858 लोग घायल हो चुके हैं। लिहाजा, यह माना गया कि कार्बेट चारों ओर से गांवों से घिरा हुआ है। ऐेसे में जनहानि का खतरा भी बढ़ जाएगा।  

एके-47 से लैस फोर्स

गैंडों के सींग की तस्करी सबसे बड़ी चुनौती है। दस गैंडे आने के बाद सबसे बड़ी चुनौती असम की तर्ज पर उनकी सुरक्षा को ऐसी फोर्स बनाने की होगी, जो एके-47 से लैस हो। इससे भी सरकार का खर्च बढ़ जाएगा। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पराग मधुकर धकाते का कहना है कि इस फोर्स और उसके हथियारों पर ही बड़ा बजट खर्च हो जाएगा। 

ये भी पढ़ें...रील नहीं रियल है ये: दोस्त ने शादी में बुलाया पर बरात में न ले गया, दिल में चुभी ये बात तो भेजा 50 लाख का नोटिस

कार्बेट में गैंडे लाने का जो फैसला था, वह इस बोर्ड बैठक में विलोपित कर दिया गया है। गैंडे लाने से एक ओर जहां आर्थिक बोझ बढ़ता तो दूसरी ओर मानव-वन्यजीव संघर्ष की चुनौती भी बढ़ जाती। वहीं गैंडों की सुरक्षा करना भी मुश्किल काम था। -पराग मधुकर धकाते, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed