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स्वतंत्रता दिवस: शहीद मेजर विभूति को मरणोपरांत शौर्य चक्र, शहीद चित्रेश को सेना मेडल का सम्मान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal Updated Thu, 15 Aug 2019 09:07 AM IST
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मेजर विभूति शंकर और मेजर चित्रेश बिष्ट - फोटो : फाइल फोटो
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पुलवामा हमले में शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल और शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट की वीरता को मरणोपरांत सम्मान मिला है। देहरादून निवासी दोनों युवा सैन्य अधिकारी इसी वर्ष फरवरी में देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए थे।

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शहीद मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल को शौर्य चक्र और शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट को सेना मेडल के लिए चुना गया। अपने दोनों जांबाज बेटों को मिले इस सम्मान के बहाने एक बार फिर पूरा राज्य उनकी गौरवगाथा का बखान कर रहा है, जिसने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया है।

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आईईडी ब्लास्ट में शहीद हुए थे मेजर चित्रेश

मूलरूप से अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील के अंतर्गत पिपली गांव निवासी मेजर चित्रेश बिष्ट का परिवार पिछले कई वर्षों से देहरादून की ओल्ड नेहरू कॉलोनी में रहा रहा है।

इसी वर्ष 16 फरवरी को राजौरी के नौसेरा सेक्टर में आतंकियों ने एलओसी पार कर यहां इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस लगा दिया। सूचना मिलने पर इंजीनियरिंग कोर में तैनात मेजर चित्रेश ने सैन्य टुकड़ी के साथ सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया।

उत्तराखंड पुलिस से इंस्पेक्टर पद से रिटायर हैं पिता

आईईडी डिफ्यूज करने के दौरान विस्फोट होने से मेजर चित्रेश शहीद हो गए। 2010 में भारतीय सैन्य अकादमी से प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अफसर बने 28 वर्षीय मेजर चित्रेश के पिता सुरेंद्र सिंह बिष्ट उत्तराखंड पुलिस से इंस्पेक्टर पद से रिटायर हैं।

उनके शहीद होने की खबर तब आई, जब उनकी शादी की तैयारियां चल रही थी। एक माह बाद उनकी शादी होनी थी, जिसके कार्ड भी बंट चुके थे। 
 

आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए थे मेजर विभूति

मेजर चित्रेश की शहादत के दो दिन बाद देहरादून ने अपना एक और बेटा खो दिया था। 18 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले में नेशविला रोड निवासी मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल शहीद हो गए।

14 फरवरी को पुलवामा में आतंकवादियों ने सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला किया, जिसमें तीन दर्जन से अधिक जवान शहीद हो गए। तब सेना ने आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाकर कार्रवाई की।

तीन बहनों के इकलौते भाई थे शहीद 

इसी दौरान दो खूंखार आतंकियों को मार गिराने वाले मेजर विभूति भी शहीद हो गए। 34 वर्षीय मेजर विभूति ढौंडियाल सेना के 55 आरआर (राष्ट्रीय रायफल) में तैनात थे।

तीन बहनों के इकलौते भाई विभूति की शादी पिछले ही साल कश्मीरी पंडित निकिता कौल से हुई थी। मूल रूप से पौड़ी के बैजरो ढौंड गांव निवासी मेजर विभूति के पिता स्व. ओमप्रकाश कंट्रोलर डिफेंस अकाउंट पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
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