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Uttarakhand News: कुप्रबंधन का शिकार हैं अभयारण्य व नेशनल पार्क, अस्कोट सबसे खराब श्रेणी में पहुंच गया

विजेंद्र श्रीवास्तव, अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Tue, 08 Jul 2025 11:09 AM IST
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सार

अभयारण्य व नेशनल पार्क कुप्रबंधन का शिकार हैं। मैनेजमेंट इफेक्टिवनेस इवोल्यूशन ऑफ 438 नेशनल पार्क एंड वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी इन इंडिया की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

Sanctuaries and national parks are victims of mismanagement Uttarakhand news in hindi
बैठक (फाइल फोटो) - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार
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राज्य के कुल भूभाग का 45.44 प्रतिशत हिस्सा वनाच्छादित होने के बावजूद उत्तराखंड में अभयारण्यों और नेशनल पार्कों की हालत बेहद खराब है। अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य तो खराब श्रेणी में पहुंच गया है। नंदा देवी पार्क की स्थिति में भी एक श्रेणी और गिरी है। बाकी नेशनल पार्कों और अभयारण्यों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है।

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ये खुलासा मैनेजमेंट इफेक्टिवनेस इवोल्यूशन ऑफ 438 नेशनल पार्क एंड वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी इन इंडिया 2020-2025 रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक तिब्बत और नेपाल सीमा से सटे अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य में मैनेजमेंट प्लान नहीं है। कर्मियों की भारी कमी है। 300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस अभयारण्य में समृद्ध जैव विविधता है।
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ये समुद्र तल से 2500 से 10 हजार फीट की ऊंचाई के क्षेत्र में फैला है। यहां पर कई संकटग्रस्त प्रजातियां मिलती हैं। इसके बावजूद यहां पर यहां ऊंचाई वाले क्षत्रों में उपयोगी उपकरणों की कमी है। जो उपकरण हैं भी वह काफी पुराने हो चुके हैं। हाल ही में भारतीय वन्यजीव संस्थान में केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस रिपोर्ट को जारी किया था।

रिपोर्ट में धारचूला में वन्यजीवों के लिए अलग एक विंग की स्थापना, पर्याप्त प्रशिक्षित कर्मियों को तैनात करने और उन्हें उच्च गुणवत्ता युक्त उपकरण देने, हथियार उपलब्ध कराने, पुराने भवनों की मरम्मत करने समेत अन्य सुझाव दिए गए हैं। इस संबंध में प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव रंजन मिश्रा का कहना है कि जिन जगहों पर कमियों का उल्लेख रिपोर्ट में किया गया है वहां पर सुधार किया जाएगा।

कस्तूरी हिरण के शिकार के लिए है संवेदनशील

अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य कस्तूरी हिरन के शिकार के लिए संवेदनशील है। इसके बावजूद यहां अव्यवस्थाएं होने और उपकरणों व कर्मियों की कमी के कारण इसे खराब श्रेणी में रखा गया है। 2020-2022 में हुए अध्ययन में यह ठीक श्रेणी में था।

32 बिंदुओं पर हुआ मूल्यांकनभारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों ने देश के 438 वन्यजीव अभयारण्यों और नेशनल पार्कों में संसाधनों की स्थिति, कर्मियों की संख्या, खतरे की स्थिति, स्थानीय समुदाय को संरक्षित का विचार, बुनियादी ढांचे का प्रबंधन और उसके लिए धनराशि समेत 32 बिंदुओं पर परखा है। इसके आधार पर बहुत अच्छा, अच्छा, ठीक और खराब श्रेणी दी है।

इस तरह श्रेणियों में आई गिरावट

पार्क व अभयारण्य         पहले  अब
अस्कोट वन्यजीव अभयारण्य   ठीक    खराब
नंदा देवी नेशनल पार्क  बहुत अच्छा  ठीक
गोविंद नेशनल पार्क  ठीक ठीक
केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य  ठीक     ठीक
फूलों की घाटी     अच्छा अच्छा
 

 


 

बिनसर, मसूरी और गंगोत्री में सुधरे हालात

मैनेजमेंट इफेक्टिवनेस इवोल्यूशन ऑफ 438 नेशनल पार्क एंड वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी इन इंडिया 2020-2025 रिपोर्ट में भारतीय वन्य जीव संस्थान ने राज्य के अस्कोट, बिनसर, केदारनाथ, मसूरी और नंधौर अभयारण्य और गोविंद, गंगोत्री, फूलों की घाटी व नंदा देवी नेशनल पार्क का अध्ययन किया। पिछली बार संंबंधित क्षेत्रों में हुए अध्ययन का भी उल्लेख किया। कुछ जगह अच्छा भी हुआ है। बिनसर, मसूरी, नंधौर अभयारण्य और गंगोत्री नेशनल पार्क ठीक से अच्छे की श्रेणी में पहुंचे हैं।

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