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Uttarakhand News: राज्य के वन प्रभागों में बाघों का होगा आकलन, मानव-वन्यजीव संघर्ष बना हुआ है चुनौती
माई सिटी रिपोर्टर, देहरादून
Published by: रेनू सकलानी
Updated Mon, 20 Oct 2025 02:38 PM IST
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सार
देश में बाघों की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत प्रतिवर्ष होने का अनुमान लगाया गया है। वर्ष-2006 में बाघों की संख्या 1411 थी, जो वर्ष-2022 में बढ़कर 3682 हो गई है।

बाघ
- फोटो : ANI
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विस्तार
देश में बाघों की संख्या बढ़ी है। इसके साथ ही मानव- वन्यजीव संघर्ष की चुनौतियां भी बढ़ीं हैं। ऐसे में भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) टाइगर रिजर्व के बाहर के जिन वन प्रभागों में बाघ हैं, वहां पर मैनेजमेंट आफॅ टाइगर्स आउटसाइड टाइगर रिजवर्स प्रोजेक्ट के तहत अध्ययन के साथ मानव- संघर्ष को कम करने का सुझाव देगा।

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इसके तहत राज्य के 13 वन प्रभागों में डब्ल्यूआईआई काम करेगा। देश में बाघों की वृद्धि दर 6.1 प्रतिशत प्रतिवर्ष होने का अनुमान लगाया गया है। वर्ष-2006 में बाघों की संख्या 1411 थी, जो वर्ष-2022 में बढ़कर 3682 हो गई है। 103408 स्क्वायर किमी में बाघों की उपस्थिति है।
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टाइगर रिजर्व के बाहर वन प्रभागों में बाघों की अच्छी संख्या
30 से 35 प्रतिशत बाघ टाइगर रिजर्व के बाहर के वन प्रभागों में है। ऐसे में टाइगर रिजर्व के बाहर मानव- वन्यजीव संघर्ष की चुनौती को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान के वैज्ञानिक बिलाल हबीव कहते हैं कि टाइगर रिजर्व के बाहर वन प्रभागों में बाघों की अच्छी संख्या है।
इन प्रभागों में बाघों की संख्या का आकलन होगा। इसके साथ ही मानव- वन्यजीव संघर्ष को कम करने का उपाय बताना, वन कर्मियों की क्षमता में वृद्धि करना, वन कर्मियों को एआई से लेकर अन्य तकनीक से दक्ष करना, जन भागीदारी को बढ़ाने समेत कार्य होंगे। पहले चरण के प्रोजेक्ट की अवधि दस साल की है। इसके तहत देश के 220 वन प्रभागों में कार्य होगा।
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मानव-वन्यजीव संघर्ष बना हुआ है चुनौती
वर्ष-2014 से 2024 के बीच बाघ के हमलों में 68 लोगों की मौत हुई और 83 घायल हुए। इस वर्ष की बात करें तो जनवरी से जून के बीच 25 लोगों की मौत हुई। इसमें 10 लोग बाघ के हमले में मारे गए।
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