Uttarakhand: बिजनेस बढ़ाने को उत्पाद का ट्रेडमार्क और पेटेंट करना जरूरी, विशेषज्ञों ने छात्रों को दिए टिप्स
विशेषज्ञों ने एमएसएमई, स्टार्टअप और कानूनी व तकनीकी विश्वविद्यालय के छात्रों को टिप्स दिए। बताया कि भारत एक उभरता हुआ देश है। पूरी दुनिया की नजर भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था पर है। उत्पादों की पहचान करने और उन्हें भौगोलिक संकेतांक में पंजीकृत करने की आवश्यकता है।

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पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और केंद्रीय लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय की ओर से बौद्धिक संपदा अधिकार कार्यशाला आयोजित की गई।, जिसमें एमएसएमई, स्टार्टअप, कानूनी एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के छात्रों को ट्रेडमार्क, पेटेंट और कॉपी राइट्स के टिप्स दिए गए। विशेषज्ञों ने कहा कि किसी भी उत्पाद या सेवा क्षेत्र में बिजनेस बढ़ाने के लिए ट्रेडमार्क और पेटेंट करना जरूरी है।

राजपुर रोड के एक होटल में आयोजित कार्यशाला में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के कार्यकारी निदेशक डॉ. रणजीत मेहता ने कहा कि एमएसएमई और स्टार्टअप को बौद्धिक संपदा अधिकार की जानकारी होनी बहुत जरूरी है। भारत एक उभरता हुआ देश है। पूरी दुनिया की नजर भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था पर है।
उत्पादों की पहचान करने और उन्हें भौगोलिक संकेतांक में पंजीकृत करने की आवश्यकता है। उत्तराखंड राज्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (यूकॉस्ट) के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तकनीकी और वित्तीय सहयोग से यूकॉस्ट उत्तराखंड में 30 पेटेंट सूचना केंद्र स्थापित हैं।
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अपर सचिव उद्योग देव कृष्ण तिवारी ने कहा कि बौद्धिक संपदा की आवश्यकता बहुत पहले महसूस की गई थी। दुनिया भर में बौद्धिक संपदा की सुरक्षा को बढ़ावा देने के एकमात्र उद्देश्य से 1967 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना की गई थी। उन्होंने एमएसएमई और स्टार्टअप को अधिक आईपी अधिकार दाखिल करके राज्य में आईपी प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उत्तराखंड के अध्यक्ष हेमंत कोचर ने व्यवसाय बढ़ाने के लिए आईपी अधिकारों के पंजीकरण के महत्व पर जानकारी दी। इस मौके पर विशेषज्ञ गौरव गोगिया, वसंत चंद्रा, प्रेम वीर सिंह ने ट्रेडमार्क, पेटेंट व कॉपीराइट अधिकारों की जानकारी दी।