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उत्तराखंड: फूलों की खेती का रकबा बढ़ा, लेकिन आज भी दिल्ली की मंडियों पर निर्भर हैं उत्तराखंड के किसान
अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून
Published by: अलका त्यागी
Updated Tue, 07 Mar 2023 07:41 PM IST
सार
सरकार ने फूलों की खेती को 2018 में उत्तराखंड कृषि उत्पाद एवं विकास विनियमन अधिनियम (एपीएमसी) में अधिसूचित भी किया था। साथ ही सरकार ने प्रदेश में पुष्प मंडी बनाने का एलान किया था लेकिन यह घोषणा पूरी नहीं हो पाई है।
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फूल
- फोटो : pexel
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विस्तार
उत्तराखंड में फूलों की खेती का रकबा हर साल बढ़ रहा है। इसके बावजूद मार्केटिंग के लिए अलग से मंडी की व्यवस्था नहीं हो पाई है। ऐसे में किसानों को दिल्ली की मंडियों में फूल भेजने पड़ रहे हैं।
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राज्य गठन के समय उत्तराखंड में मात्र 150 हेक्टेयर क्षेत्र में फूलों की खेती होती थी। अब यह आंकड़ा बढ़कर 1635 हेक्टेयर हो चुका है।
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इसके बावजूद उत्तराखंड के किसान दिल्ली की मंडी पर निर्भर हैं। सरकार ने फूलों की खेती को 2018 में उत्तराखंड कृषि उत्पाद एवं विकास विनियमन अधिनियम (एपीएमसी) में अधिसूचित भी किया था। साथ ही सरकार ने प्रदेश में पुष्प मंडी बनाने का एलान किया था लेकिन यह घोषणा पूरी नहीं हो पाई है। वैसे सरकार की ऊधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर में पुष्प मंडी बनाने की योजना है।
पुष्प क्षेत्रफल उत्पादन
जरबेरा 114 1114.43 लाख
कारनेशन 20.59 125.85 लाख
गुलाब 148 216.33 मीट्रिक टन
गेंदा 860 2999.38 मीट्रिक टन
ग्लोडियोलाई 321 659 लाख