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Uttarakhand: सरकारी गोदाम खाली, खेत से ही बिक रहा गेहूं...आंकड़े बता रहे गेंहू की फसल के लिए किसान आत्मनिर्भर

अवनीश चौधरी, अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Wed, 07 May 2025 12:01 PM IST
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सार

अभी तक महज 1757 क्विंटल गेहूं की खरीद हुई है। राज्य में गेहूं खरीद के लिए विभिन्न संस्थाओं की ओर से 84 क्रय केंद्र तो बना लिए गए, लेकिन अभी तक सिर्फ 39 किसानों ने ही पंजीकरण कराया है।

Uttarakhand Government godowns are empty wheat is being sold from the farm itself
गेहूं - फोटो : संवाद
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रबी विपणन सत्र में गेहूं की सरकारी खरीद सुस्त पड़ी है, लेकिन गेंहू उगाने वाले किसान चुस्त हैं। उन्हें अपने खेतों पर ही फसल की अच्छी कीमत मिल रही है। दरअसल केंद्र सरकार की ओर से गेंहू की खरीद का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपये प्रति क्विंटल तय है, लेकिन राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में किसानों को उनके खेतों पर ही 2600 से लेकर 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक की कीमत मिल रही है।

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यही वजह है कि राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए 50 हजार मीट्रिक टन गेंहू की खरीद का लक्ष्य दूर होता नजर आ रहा है। अभी तक महज 1757 क्विंटल गेहूं की खरीद हुई है। राज्य में गेहूं खरीद के लिए विभिन्न संस्थाओं की ओर से 84 क्रय केंद्र तो बना लिए गए, लेकिन अभी तक सिर्फ 39 किसानों ने ही पंजीकरण कराया है।
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यह आंकड़े बता रहे हैं कि गेंहू की फसल के लिए किसान आत्मनिर्भर स्थिति में हैं। उन्हें फिलहाल सरकारी केंद्रों की आवश्यकता नहीं है। सरकारी केंद्रों तक वही किसान पहुंचे हैं, जिनकी पैदावार कम है और उन तक उपभोक्ता या कंपनियों की सीधी पहुंच नहीं।

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खाद्य विभाग के आयुक्त हरिचंद्र सेमवाल ने कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों को नुकसान से बचाने के लिए तय करती है, यदि किसान उससे अधिक भाव बाजार या खेत में ही मिल रहा है तो बहुत अच्छा है। मकसद भी यही है कि किसानों को बिना परेशानी उनकी फसल के वाजिब दाम मिलें। फिर भी यदि किसी क्षेत्र में या किसी समय में किसान को गेंहू के लिए उचित बाजार भाव नहीं मिलता तो उनके लिए सरकारी केंद्र खुले हैं।

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