800 विमानों पर कोहरे की मार: दिल्ली हवाईअड्डे पर हालात बिगड़े, पांच घंटे की देरी से उड़े विमान; कई डाइवर्ट
राजधानी दिल्ली में कोहरा विमान यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। पिछले एक सप्ताह से 300 से 800 विमान कोहरे चपेट में आ गए हैं। एयरपोर्ट प्रबंधन के साथ ही एयलाइंस की वजह से भी यात्री परेशान हो रहे हैं। एयरपोर्ट पर फ्लाइट की वास्तविक स्थिति तक यात्रियों को नहीं मिल रही है।
विस्तार
पूरे उत्तर भारत में कोहरे का सितम बदस्तूर बना हुआ है। इसका सबसे ज्यादा असर इस साल विमानों पर दिखने को मिल रहा है। पिछले एक सप्ताह से लगातार 300 से लेकर 800 तक विमान देरी से सिर्फ दिल्ली के एयरपोर्ट से संचालित हो रही है। विमानों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित है। विमानों की लेटलतीफी की वजह से हजारों लोग इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचकर अपने को ठगा महसूस कर रहे है। स्थिति यह है कि 3 घंटे की देरी वाली उड़ानें रद्द हो रही है। बृहस्पतिवार को ही खराब मौसम की वजह से चार विमान को दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरने की इजाजत नहीं दी गई। लिहाजा दो को जयपुर व एक को मुंबई और एक विमान को हैदराबाद के लिए डाइवर्ट किया गया।
अभी तक कोहरे की सबसे अधिक मार रेलगाड़ियों पर पड़ रहा था। लेकिन इस साल कोहरे की वजह से विमान सेवा बुरी तरह चरमरा गई है। बृहस्पतिवार को ही 280 से अधिक विमान 5 मिनट से 5 घंटे की देरी से संचालित हुई। बुधवार देर रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक रनवे पर दृश्यता 50 से 100 मीटर ही रहा। सबसे अधिक कोहरा रात 1:30 बजे से 2:30 तक रहा जब पुरा रनवे कोहरे की चादर में लिपट गया। इस दौरान आवाजाही करने वाले विमान पर एक तरह से पहरा लग गया। सुबह 6 बजे के बाद ही विमानों की आवाजाही ठीक हुआ।
बुजुर्ग और बच्चे है सबसे अधिक बेबस
एयरपोर्ट पर यात्रियों को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर बुजुर्गों और बच्चे अपने को बेबस पा रहे है। लोगों की कनेक्टिंग फ्लाइट भी लगातार छूट रही है। विमानन कंपनियों व एयरपोर्ट प्रशासन का रवैया ठीक नहीं होने की वजह से भी यात्री परेशान हो रहे है। इसकी शिकायत सोशल मीडिया पर आसानी से देखे जा सकते है। एयरपोर्ट पर भी यात्री रोजाना हंगामा करते है। हालांकि कोहरे के सामने एयरपोर्ट प्रशासन बेबसी की बात कर रहा है। एयरपोर्ट का आलम यह है कि रोजाना 300-500 फ्लाइट देरी से संचालित हो रही है। घरेलू ही नहीं अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट भी देरी से संचालित हो रही है। रद्द होने की वजह से कई फ्लाइट अपने निर्धारित समय से पहले भी उड़ान भर रही है।
सिर्फ कोहरा ही नहीं परेशानी के लिए जिम्मेदार
एयरपोर्ट पर काबू से बाहर हालात हो चले है। यात्रियों की हर समस्या के लिए सिर्फ कोहरा ही जिम्मेदार नहीं है। इसके लिए एयरपोर्ट ऑपरेटर से लेकर एयरलाइंस भी जिम्मेदार है। एयरपोर्ट पर लगे डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड पर भी सही जानकारी नहीं मिल पा रही है। यात्रियों की शिकायत यह है कि एयरलाइंस स्टाफ और रेल कर्मी जानकारी देना तो दूर, बात करने तक के लिए राजी नहीं होते है। विमान के यात्रियों को खाने के लिए सिर्फ एक पैकेट थमा दिया जाता है, जो पेट भरने के लिए ना काफी होता है। लिहाजा बच्चों के लिए अतिरिक्त पैसे खर्च कर खाना खिलाने की मजबूरी है। अंतरराष्ट्रीय विमान के यात्रियों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। उनका कनेक्टिंग फ्लाइट छूट रहा है। उन यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिन्हें किसी अन्य शहर से अंतरराष्ट्रीय विमान के लिए दिल्ली के एयरपोर्ट पर आना पड़ता है। ये हालाता मुसाफिरों की परेशानियों को जद्दोजहद में बदल दिया है।
एयरपोर्ट की क्या रही स्थिति
बुधवार देर रात से ही दिल्ली एयरपोर्ट पर विमानों का संचालन प्रभावित होने लगा था। दृश्यता घटने की वजह से लो विजिबिलिटी प्रोसीजर यानी कृत्रिम लाइट से विमानों की अवाजाही का प्रबंधन किया गया था लेकिन दृश्यता 125 मीटर से कम होने पर रनवे ठप हो गया। एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट संख्या 769 गोवा के लिए दोपहर दो बजे की जगह शाम 7 बजे के लिए निर्धारित की गई। इसी तरह रियाद के लिए निर्धारित फ्लाइट सुबह 4:10 बजे की जगह दोपहर 12:20 के लिए निर्धारित की गई। इंडिगो की फ्लाइट संख्या 5203 जो दो बजे रात को पुने जाने वाली थी उसे सुबह 6:58 के लिए पुर्न निर्धारित किया गया। एयर इंडिया की फ्लाइट 105 न्यूयार्क के लिए बुधवार देर रात 1:50 बजे की जगह दोपहर बाद 3:30 बजे के लिए निर्धारित की गई। इसके अलावा रांची से आने-जाने वाली फ्लाइट निरस्त रही तो देवघर, देहरादून, दरभंगा की फ्लाइट के निरस्त होने से परेशानी बढ़ी रही।
बंद रनवे को खोलने की तैयारी
री-कारपेटिंग की वजह से दिल्ली एयरपोर्ट पर 13 सितंबर से रनवे 10/28 बंद है। इसके खुलने की कवायद तेज हो गई है। शुक्रवार इस रनवे की जांच होनी है। इस रनवे को कैट-3बी सिस्टम से लैस किया गया है। पिछले साल 15 दिसंबर तक इसे शुरू करने का लक्ष्य रखा गया था। उपकरण समय पर आयात नहीं होने की वजह से यह तैयार नहीं हो सका। जांच में सबकुछ ठीक रहा तो उम्मीद है कि 19 जनवरी को ही इस रनवे को शुरू कर दिया जाएगा। फिलहाल, कैट थ्री विमानों के ऑपरेशन के लिए सिर्फ 29/11 रनवे ही उपलब्ध है। नवनिर्मित रन-वे का अभी तक कैट-थ्री सर्टिफिकेशन नहीं हुआ है। रनवे संख्या 27/09 ही कैट-वन तकनीक से लैस इनदिनों है। कैट थ्री-बी से लैस पायलट विमान को 50 मीटर रनवे विजबिलिटी रेंज (आरवीआर) पर लैंड करा सकते है। टेकऑफ करने के लिए 125 मीटर आरवीआर जरूरी है। एयरपोर्ट पर आरवीआर 125 से कम होने पर विमानों की लैंडिंग तो चलती रहती है, लेकिन टेकऑफ न होने की वजह से पार्किंग-वे की कमी हो जाती है। इस वजह से फ्लाइट कतार में लग जाती है।