{"_id":"69198396d6169ef0d20f7619","slug":"amid-rising-air-pollution-a-lawyer-has-requested-the-high-court-for-a-hybrid-hearing-2025-11-16","type":"story","status":"publish","title_hn":"Delhi: वायु प्रदूषण का चरम देख वकील ने हाईकोर्ट से मांगी हाइब्रिड सुनवाई की सुविधा, पत्र लिखकर किया ये दावा","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Delhi: वायु प्रदूषण का चरम देख वकील ने हाईकोर्ट से मांगी हाइब्रिड सुनवाई की सुविधा, पत्र लिखकर किया ये दावा
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: विजय पुंडीर
Updated Sun, 16 Nov 2025 01:26 PM IST
सार
पाहवा ने पत्र में दावा करते हुए बताया कि पीएम 2.5 का स्तर 190 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक हो गया है, जो अनुमेय सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से तीन गुना ज्यादा है। इसे चिकित्सकीय रूप से विषैले और जीवन के लिए खतरा बताया गया है।
विज्ञापन
प्रतीकात्मक तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के ''गंभीर'' स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे में कई क्षेत्रों में 450-600 तक दर्ज होने के बीच वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने हाईकोर्ट से अस्थायी रूप से हाइब्रिड या पूरी तरह वर्चुअल सुनवाई शुरू करने की गुहार लगाई है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय को लिखे पत्र में मांग की ताकि वकीलों, मुवक्किलों और कोर्ट स्टाफ के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके।
Trending Videos
पाहवा ने पत्र में दावा करते हुए बताया कि पीएम 2.5 का स्तर 190 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक हो गया है, जो अनुमेय सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से तीन गुना ज्यादा है। इसे चिकित्सकीय रूप से विषैले और जीवन के लिए खतरा बताया गया है। ऐसे प्रदूषण से हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को अपूरणीय क्षति पहुंचती है। वरिष्ठ वकीलों और अस्थमा, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है।
विज्ञापन
विज्ञापन
पत्र में दावा किया गया है कि कई वकीलों में लगातार खांसी, गले में जलन, सांस लेने में तकलीफ और थकान जैसे लक्षण दिख रहे हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र और दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) के स्टेज-3 और स्टेज-4 के तहत निर्माण कार्यों पर रोक, कुछ डीजल वाहनों पर प्रतिबंध, कार्यालय समय में बदलाव और एंटी-स्मॉग गन तैनात करने जैसे आपात उपाय लागू कर दिए हैं। फिर भी कोर्ट परिसर में हजारों वकीलों-मुवक्किलों की अनिवार्य शारीरिक उपस्थिति से उन्हें गंभीर और टालने योग्य स्वास्थ्य जोखिम का सामना करना पड़ रहा है।
पाहवा ने कोविड-19 महामारी के दौरान सफलतापूर्वक अपनाई गई वर्चुअल व हाइब्रिड व्यवस्था को दोबारा शुरू करने का अनुरोध किया है। इससे जहरीली हवा के संपर्क में कमी आएगी, न्यायिक कार्य सुचारु रहेगा तथा यातायात और उत्सर्जन कम करने में सरकार के प्रयासों को बल मिलेगा।