ट्रायल हुआ पूरा: दिल्ली में कृत्रिम वर्षा की तारीख हुई तय, जानें राजधानी में कब होगी नकली मेघ से असली बारिश
सिरसा ने कहा कि गुरुवार को आईआईटी कानपुर से मेरठ, खेकड़ा, बुराड़ी, सादकपुर, भोजपुर, अलीगढ़ होते हुए दिल्ली क्षेत्र तक और वापस आईआईटी कानपुर तक एक ट्रायल सीडिंग उड़ान भरी गई, जिसमें खेकड़ा और बुराड़ी के बीच और बादली क्षेत्र में पायरो तकनीक का उपयोग करके क्लाउड सीडिंग फ्लेयर्स दागे गए।
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दिल्ली में कृत्रिम बारिश के लिए मौसमी दशा अनुकूल होने के चलते कृत्रिम बारिश का रास्ता साफ हो गया है। ऐसे में दीपावली के बाद हुई प्रदूषित हवा पर सरकार प्रहार करेगी। इस मौके पर दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आशीर्वाद के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं, जिनके कारण इस अभिनव प्रयास के लिए सभी अनुमतियों समय पर उपलब्ध हो सकीं।
सिरसा ने कहा कि गुरुवार को आईआईटी कानपुर से मेरठ, खेकड़ा, बुराड़ी, सादकपुर, भोजपुर, अलीगढ़ होते हुए दिल्ली क्षेत्र तक और वापस आईआईटी कानपुर तक एक ट्रायल सीडिंग उड़ान भरी गई, जिसमें खेकड़ा और बुराड़ी के बीच और बादली क्षेत्र में पायरो तकनीक का उपयोग करके क्लाउड सीडिंग फ्लेयर्स दागे गए। यह उड़ान क्लाउड सीडिंग की क्षमताओं, विमान की तैयारी और क्षमता, क्लाउड सीडिंग फिटिंग और फ्लेयर्स की क्षमता का आकलन, और सभी संबंधित एजेंसियों के बीच समन्वय की जांच के लिए एक परीक्षण उड़ान थी।
क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम वर्षा कराने की तैयारियां पूरी : मुख्यमंत्री
राजधानी में कृत्रिम बारिश करने को लेकर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में पहली बार क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम वर्षा कराने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। गुरुवार को विशेषज्ञों की तरफ से बुराड़ी क्षेत्र में इसका सफल परीक्षण किया गया है। यही नहीं, मौसम विभाग ने 28, 29 और 30 अक्तूबर को बादलों की उपस्थिति की संभावना जताई है। यदि परिस्थितियां अनुकूल रहीं, तो 29 अक्तूबर को दिल्ली पहली कृत्रिम बारिश का अनुभव करेगी।
सीएम ने कहा कि यह पहल न सिर्फ तकनीकी दृष्टि से ऐतिहासिक है, बल्कि दिल्ली में प्रदूषण से निपटने का एक वैज्ञानिक तरीका भी स्थापित करने जा रही है। सरकार का उद्देश्य है कि इस नवाचार के माध्यम से राजधानी की हवा को स्वच्छ और वातावरण को संतुलित बनाया जा सके। इस प्रयास को सफल बनाने में लगे हमारे कैबिनेट सहयोगी पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा और सभी अधिकारियों को शुभकामनाएं।
इस तरह होती कृत्रिम बारिश
कृत्रिम वर्षा के लिए सिल्वर आयोडाइड और नमक जैसे रसायनों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका उद्देश्य बादलों में संघनन बढ़ाकर बारिश कराना और हवा में मौजूद जहरीले कणों को नीचे गिराकर प्रदूषण कम करना है। विशेष सेना एयरक्राफ्ट कानपुर से मेरठ से पहुंच गया है, जो पाइरोटेक्निक तकनीक का उपयोग करेगा। एयरक्राफ्ट की दोनों विंग्स के नीचे 8 से 10 पॉकेट रखे गए हैं, जिनमें रासायनिक फ्लेयर्स रखी गई हैं। बटन दबाने पर ये फ्लेयर्स बादलों के नीचे ब्लास्ट होंगी, जिससे संघनन बढ़ेगा और बारिश होगी। इसका प्रभाव लगभग 100 किलोमीटर की दूरी में महसूस किया जा सकेगा। कृत्रिम बारिश प्रदूषण में अस्थायी सुधार लाएगी। इस पहल से न केवल प्रदूषण कम करने की उम्मीद है, बल्कि यह विज्ञान और तकनीक के माध्यम से राजधानी में नई दिशा तय करने वाला कदम भी माना जा रहा है।