Bomb Blast: खाद उर्वरक ने कैसे दहला दी राष्ट्रीय राजधानी, यूपी और महाराष्ट्र में हो चुका है इसका इस्तेमाल
उर्वरक ने कैसे दिल्ली को दहला दिया और कैसे विस्फोटक बना। यह सवाल सभी के जेहन में है। दरअसल इस उर्वरक ने इससे पहले भी तबाही मचाई है।
विस्तार
आम भाषा में अमोनियम नाइट्रेट को खाद उर्वरक कहा जाता है। मगर इस उर्वरक ने कैसे दिल्ली को दहला दिया और कैसे विस्फोटक बना। यह सवाल सभी के जेहन में है। दरअसल इस उर्वरक ने इससे पहले भी तबाही मचाई है। अमेरिका में 1000 किलो अमोनियम नाइट्रेट से विस्फोट किया गया था जिसके टुकड़े धमाके के बाद आठवीं मंजिल तक गए थे। भारत में भी यूपी और महाराष्ट्र में इसका इस्तेमाल हो चुका है।
स्पेशल सेल के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लालकिला बम धमाका घटनास्थल से दो तरह के केमिकल और गंध होने के सबूत मिले हैं। ऐसे में अमोनियम नाइट्रेट के साथ अन्य विस्फोटक मिलाया गया है। सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर अमोनियम नाइट्रेट होता क्या है? क्या ये बम होता है या विस्फोटक होता है? और अगर ये विस्फोटक होता है तो इतनी बड़ी मात्रा में कैसे इसको स्टॉक कर के रखा गया था। अमोनियम नाइट्रेट ये असल में एक तरह का नमक होता है। नमक की तरह ही इसके सफेद क्रिस्टल होते हैं।
इसका इस्तेमाल मुख्य तौर पर तो एक खाद के रूप में होता है। ये प्राकृतिक नहीं होता, मतलब इसको लैब में बनाया जाता है। नाइट्रेट वाले ज्यादतर केमिकल खाद के रूप में इस्तेमाल होते हैं, क्योंकि इनसे फसल को नाइट्रोजन मिलती है। हालांकि यह खुद विस्फोट करने में सक्षम नहीं है। इसमें कोई अन्य विस्फोटक पदार्थ मिलते ही यह ब्लास्ट को कई गुना घातक बना देता है।
लाइसेंस की जरूरत होती है
भारत में 2012 में कानून बनाया गया था कि कोई भी चीज जिसमें 45 प्रतिशत से ज्यादा अमोनियम नाइट्रेट होगा उसे कानूनी तौर पर विस्फोटक माना जाएगा। इससे बनाने, बेचने और स्टोर करने के लिए लाइसेंस चाहिए होता है। बिक्री का भी पूरा रिकॉर्ड रखना पड़ता है, कहां से आया, किसे दिया और कहां इस्तेमाल हुआ। ऐसे में बड़े पैमाने पर यह आतंकियों के पास कैसे आए यह अहम सवाल है।
- अमोनियम नाइट्रेट से पहले भी हुए हैं बम धमाके, लालकिले बम धमाके में दो तरह के केमिकल होने के साक्ष्य मिले
सबसे पहले अमेरिका में हुआ था
अमेरिका में 1970 में विस्कॉन्सिन की यूनिवर्सिटी में वियेतनाम जंग के विरोध में एक वैन में 1000 किलो एएनएफओ से एक विस्फोट किया गया था। कहते हैं वैन के टुकड़े बिल्डिंग की आठवीं मंजिल तक उड़ कर चले गए थे। भारत में 2012 में पुणे में जंगली महाराज रोड पर कई छोटे विस्फोट हुए थे, उनमें भी एएनएफओ पाया गया था। उससे पहले मुंबई में ऑपेरा हाउस, ज़ावेरी बाज़ार और दादर में धमाकों में 26 लोगों की जान गई थी, उसमें भी एएनएफओ इस्तेमाल होने की आशंका जताई गई थी।
पूरी दुनिया में मचा चुका है तबाही
वर्ष 2020 में बेरूत में बंदरगाह पर एक गोदाम में 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट रखा हुआ था। पास में कहीं आग लगी कुछ धमाका हुआ और उस पास की आग से गोदाम में रखे अमोनियम नाइट्रेट में विस्फोट हो गया। उस गोदाम में ऐसा विस्फोट हुआ था कि पूरा का पूरा बंदरगाह ही उड़ गया था। 7 किलोमीटर दूर तक इमारतें हिल गई थीं, 218 लोगों की जान चली गई थी और 7000 लोग घायल हो गए थे। यानी शांत से दिखने वाला ये नमक अगर विस्फोटक से मिल जाए तो तबाही मचाने की ताक़त रखता है।