दिल्ली में यहां मिल रहे सस्ते टमाटर: सरकार ने बाजार भाव से बहुत कम रखी है कीमत, प्याज के लिए बफर स्टॉक तैयार
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में कीमतों में वृद्धि स्थानीय और अस्थायी कारणों से हुई है, न कि मांग-आपूर्ति के असंतुलन या उत्पादन की कमी के कारण।
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भारी बारिश के कारण दिल्ली में टमाटर की कीमतों में उछाल के बीच केंद्र सरकार ने आम लोगों को राहत देने के लिए रियायती दरों पर टमाटर बेचने की पहल शुरू की है। नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनसीसीएफ) के जरिए दिल्ली में टमाटर 47 से 60 रुपये प्रति किलो की दर पर बेचने की घोषणा की है।
कहां मिल रहा सस्ता टमाटर?
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार, एनसीसीएफ ने 4 अगस्त से आजादपुर मंडी से टमाटर खरीदना शुरू किया है और इन्हें न्यूनतम मार्जिन के साथ बेचा जा रहा है। अब तक 27,307 किलोग्राम टमाटर 47 से 60 रुपये प्रति किलो की दर पर बेचे जा चुके हैं, जो खरीद लागत पर निर्भर करता है। बिक्री के लिए एनसीसीएफ ने नेहरू प्लेस, उद्योग भवन, पटेल चौक और राजीव चौक जैसे स्थानों पर अपने स्थायी आउटलेट्स के साथ-साथ छह से सात मोबाइल वैन भी तैनात की हैं, जो शहर के विभिन्न इलाकों में टमाटर उपलब्ध करा रही हैं।
बारिश ने बढ़ाई कीमतें
मंत्रालय ने बताया कि जुलाई के आखिरी सप्ताह से उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के कारण दिल्ली में टमाटर की आपूर्ति प्रभावित हुई, जिससे कीमतें 85 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थीं। हालांकि, पिछले एक सप्ताह में आजादपुर मंडी में आपूर्ति सामान्य होने से मंडी और खुदरा कीमतों में कमी देखी जा रही है। वर्तमान में दिल्ली में टमाटर की औसत खुदरा कीमत 73 रुपये प्रति किलो है।
अन्य शहरों में कीमतें स्थिर
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में कीमतों में वृद्धि स्थानीय और अस्थायी कारणों से हुई है, न कि मांग-आपूर्ति के असंतुलन या उत्पादन की कमी के कारण। चेन्नई और मुंबई जैसे प्रमुख शहरों में, जहां हाल के हफ्तों में मौसम सामान्य रहा, टमाटर की कीमतें 50 रुपये और 58 रुपये प्रति किलो हैं, जो दिल्ली की तुलना में काफी कम हैं।
प्याज के लिए बफर स्टॉक तैयार
कीमतों को स्थिर रखने के लिए सरकार ने इस साल 3 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक तैयार किया है। मंत्रालय ने बताया कि सितंबर से इस स्टॉक का नियोजित और लक्षित रिलीज शुरू होगा। इस साल खाद्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर और नियंत्रित रही हैं और जुलाई 2025 में घर पर बने थाली की लागत में 14 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई, जो खाद्य मुद्रास्फीति में कमी को दर्शाता है।