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दिल्ली की फिजा में ‘डेटा की धूल’: एक्यूआई गिरा... जहर घुला, विशेषज्ञ बोले- यह हवा की सफाई नहीं, आंकड़ों का खेल

नितिन राजपूत, नई दिल्ली Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Thu, 06 Nov 2025 06:31 AM IST
सार

वायु प्रदूषण विशेषज्ञों का दावा है कि यह हवा की सफाई नहीं, बल्कि आंकड़ों का एक सुनियोजित खेल है।

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Data dust in Delhi air: AQI drops... poison dissolves, experts say - this is a data game.
DELHI pollution - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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दिल्ली की जहरीली हवा में नवंबर का महीना हर साल दम घोंट देता है। इस बार भी हालात कुछ अलग नहीं रहे। 2 नवंबर को शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 366 पर पहुंच गया था, जोकि हवा की बेहद खराब श्रेणी है, लेकिन अगले दिन 3 नवंबर को यह अचानक 309 पर आ गया। सतह पर यह सुधार राहत भरा लगता है, मगर वायु प्रदूषण विशेषज्ञों का दावा है कि यह हवा की सफाई नहीं, बल्कि आंकड़ों का एक सुनियोजित खेल है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मॉनिटरिंग सिस्टम में डेटा गैप्स, मापने के पैटर्न में असंगतियां और एल्गोरिदम की कमियां ने वास्तविक स्थिति को धुंधला कर दिया है। कई बार तो स्थिति खराब होने पर दिल्ली के 39 मॉनिटरिंग स्टेशनों का लाइव एयर क्वालिटी इंडेक्स नहीं आता है।

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सीपीसीबी के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2 नवंबर को दिल्ली के 39 मॉनिटरिंग स्टेशनों में से कई पर एक्यूआई 400 से ऊपर यानी गंभीर श्रेणी में था, जिसमें आनंद विहार, 400 के पार, बुराड़ी 404, चांदनी चौक 404, आरके पुरम 401 और वजीरपुर 418 जैसे इलाके शामिल थे, लेकिन 3 नवंबर को औसत एक्यूआई 309 पर गिर गया, जो बेहद खराब श्रेणी में है। यह गिरावट इतनी तेज थी कि विशेषज्ञों ने इसे संदिग्ध करार दिया। ऐसे में एक विश्लेषण के अनुसार, इस दौरान प्रमुख प्रदूषक पीएम2.5 का डेटा कई स्टेशनों पर गायब रहा और प्रमुख प्रदूषक के रूप में पीएम10 या अन्य गैसों को एल्गोरिदम ने प्राथमिकता दी, जिससे स्टेशन-स्तरीय एक्यूआई में सुधार दिखा।
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अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म्स अलग दिखाते हैं एक्यूआई
दिल्ली-एनसीआर आधारित पर्यावरण विशेषज्ञ ने कहा कि सीपीसीबी के स्टेशनों को रीयल-टाइम मॉनिटरिंग के लिए अपग्रेड करने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्म्स जैसे आईक्यूएयर पर एक्यूआई 1000 से ऊपर दिख रहा था, जबकि सीपीसीबी के आंकड़े 400 से नीचे। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह डेटा मैनिपुलेशन का संकेत है, जहां वाटर स्प्रिंकलर्स या सॉफ्टवेयर ट्रिक्स से आंकड़े ''साफ'' किए जाते हैं, न कि हवा। एक अन्य विशेषज्ञ ने दावा करते हुए बताया कि यह सुधार वास्तविक नहीं है। सीपीसीबी के सॉफ्टवेयर में ग्लिच और डेटा की कमी के कारण औसत एक्यूआई अक्सर वास्तविक प्रदूषण को कमतर आंकता है। 24-घंटे औसत की गणना में अगर प्रमुख स्टेशनों से पीएम2.5 डेटा मिसिंग हो, तो एल्गोरिदम अन्य प्रदूषकों पर शिफ्ट हो जाता है, जो हवा की सच्ची तस्वीर नहीं दिखाता।

सुप्रीम कोर्ट ने की सीएक्यूएम से डेटा पर रिपोर्ट तलब
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 3 नवंबर को कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) से डेटा पर रिपोर्ट मांगी थी। इसमें शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि दीपावली के दौरान केवल 9 स्टेशन ही पूरी तरह काम कर रहे थे, जिससे ''मिसिंग डेटा'' की समस्या बढ़ गई। विशेषज्ञों के अनुसार, पराली जलाने, वाहनों के धुएं और ठंडी हवाओं से दिल्ली का प्रदूषण चरम पर है, लेकिन आंकड़ों की यह ''धूल'' वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटका रही है।

बुधवार को भी एक्यूआई में आई गिरावट
राजधानी में सर्दी के मौसम में प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है, लेकिन बीते दो दिन से प्रदूषण में गिरावट आ रही है। बुधवार को हवा की गति तेज होने और दिशा बदलने से प्रदूषण का स्तर बेहद नीचे आ गया। बुधवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 202 दर्ज किया गया। यह हवा की खराब श्रेणी है। इसमें सोमवार की तुलना में 89 सूचकांक की गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा, एनसीआर में गुरुग्राम की हवा सबसे अधिक प्रदूषित रही। यहां एक्यूआई 225 दर्ज किया गया, यह खराब श्रेणी है। वहीं, गाजियाबाद में 207, नोएडा में 215 और ग्रेटर नोएडा में 187 एक्यूआई दर्ज किया गया। इसके अलावा, फरीदाबाद की हवा सबसे साफ रही। यहां सूचकांक 171 दर्ज किया गया। यह हवा की मध्यम श्रेणी है। वहीं, सुबह की शुरुआत धुंध और हल्के कोहरे से हुई। वहीं, इतने दिन से छा रही स्माग की चादर भी दिखाई नहीं दी। इसके चलते दृश्यता भी सही रही।

आज फिर फिर हवा बेहद खराब श्रेणी में पहुंचने की आशंका
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का पूर्वानुमान बृहस्पतिवार को एक बार फिर हवा बेहद खराब श्रेणी में पहुंचने की आशंका है। इसके चलते सांस के मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, लोगों को आंखों में जलन जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। सीपीसीबी के अनुसार, दिल्ली में पिछले 24 घंटों में 14 किमी प्रति घंटे की गति से दक्षिण-पूर्वी हवाएं चल रही हैं। इसके चलते प्रदूषण में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। ऐसे में बुधवार को हवा उत्तर-पश्चिम दिशा से 15 किलोमीटर प्रतिघंटे के गति से चली। वहीं, अनुमानित अधिकतम मिश्रण गहराई 2700 मीटर रही। इसके अलावा वेंटिलेशन इंडेक्स 12800 मीटर प्रति वर्ग सेकंड रहा।

पीएम10 और पीएम2.5 का स्तर रहा इतना
दूसरी ओर, दोपहर चार बजे हवा में पीएम10 की मात्रा 172.8 और पीएम2.5 89.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई। सीपीसीबी के अनुसार, राजधानी के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर हवा खराब में रिकॉर्ड की गई, जबकि कुछ इलाकों में एक्यूआई मध्यम रहा। आनंद विहार 236, अलीपुर 217, अशोक विहार में 206, बवाना में 241, जहांगीरपुरी में 210, मुंडका में 202, एनएसआईटी द्वारका में 244, पंजाबी बाग में 222, नरेला में 214, पटपड़गंज में 217 और चांदनी चौक में 203 समेत अन्य इलाकों में एक्यूआई 200 के ऊपर दर्ज किया गया। दीपावली के बाद से दिल्ली में कई इलाकों में एक्यूआई खराब और बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है, जबकि ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान-2 (ग्रेप-2) के प्रतिबंध अब भी लागू हैं।

हवा की स्थिति प्रदूषक तत्व के फैलाव के लिए ठीक नहीं
सीपीसीबी के आधिकारिक आकंड़ों के अनुसार, दिल्ली में इस साल अभी तक ''गंभीर'' हवा वाला कोई दिन रिकॉर्ड नहीं किया गया है, लेकिन इस हफ्ते ऐसा होने की आशंका है। पिछली बार ऐसी रीडिंग 23 दिसंबर, 2024 को ली गई थी, जब एक्यूआई 406 रिकॉर्ड किया गया था। दिल्ली के लिए एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम (एक्यूईडब्ल्यूएस) के अनुसार, मंगलवार शाम और रात के समय दक्षिण-पूर्व से हवा की स्पीड 15 किमी प्रति घंटे से कम हो गई, जिससे हवा में प्रदूषक तत्व का फैलाव कम हो गया है। इससे कई लोगों को खासकर फेफड़ों या दिल की बीमारियों वाले लोगों, बच्चों और बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, हवा की स्थिति प्रदूषक तत्व के फैलाव के लिए ठीक नहीं थी, जिससे धीरे-धीरे जमाव हो रहा था।

लगातार 23वें दिन खराब हवा रही
सीपीसीबी के अनुसार, दिल्लीवासियों ने बुधवार को लगातार 23वें दिन खराब हवा में सांस ली। इस सीजन में 14 अक्तूबर को दिल्ली की वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में पहुंच गई थी। इसके बाद से लगातार ही प्रदूषण का स्तर खराब या बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है। दिल्ली में इस बार पहले तो नियमित अंतराल पर पश्चिमी विक्षोभ आते रहे। इसके चलते मई और जून में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई। इसके बाद अच्छे मानसून के चलते जुलाई, अगस्त और सितंबर में भी बारिश का आंकड़ा सामान्य से ज्यादा रहा। अच्छी बारिश के चलते जहां तापमान में गिरावट हुई वहीं, हवा भी काफी हद तक पहले से ज्यादा साफ-सुथरी रही।

दिल्ली का बीते 10 दिन का एक्यूआई

  • 26 अक्तूबर: 321
  • 27 अक्तूबर: 301
  • 28 अक्तूबर: 294
  • 29 अक्तूबर: 279
  • 30 अक्तूबर: 373
  • 31 अक्तूबर: 218
  • 1 नवंबर: 303
  • 2 नवंबर: 366
  • 3 नवंबर: 309
  • 4 नवंबर: 291
  • 5 नवंबर: 202

(स्त्रोत: सीपीसीबी)

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