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Delhi: फर्जी वीजा गिरोह के सरगना समेत 8 गिरफ्तार, एक हजार को भेजा विदेश
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: विजय पुंडीर
Updated Thu, 01 Dec 2022 03:20 AM IST
सार
पुलिस ने गिरोह के आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके कब्जे से तीन सौ फर्जी पासपोर्ट बरामद किए हैं। जिसमें बांग्लादेश और नेपाल के पासपोर्ट भी शामिल हैं।
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पुलिस की गिरफ्त में आरोपी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने फर्जी वीजा के जरिये लोगों को विदेश भेजने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सरगना समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपी 1,000 से ज्यादा लोगों को विदेश भेज चुके हैं। कनॉट प्लेस में टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी की आड़ में आरोपी सात साल से इस गिरोह को चला रहे थे।
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आरोपियों के पास से चार बांग्लादेशी व दो नेपाली समेत 239 पासपोर्ट, बैंकों के फर्जी स्टेटमेंट, पांच लाख रुपये, एपल के 11 मोबाइल फोन, आईपैड, एपल मैकबुक-प्रो, विभिन्न कंपनियों व फर्मों के 25 फर्जी स्टांप जैसे सामान बरामद हुए हैं। गिरोह यूपी, पंजाब व हरियाणा के लोगों को निशाना बनाता था।
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अपराध शाखा के डीसीपी रोहित मीणा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में फरीदाबाद के बलदेव राज उर्फ गुरुजी उर्फ रॉनी (54), करनाल निवासी अंश मदान (23), बलिहार सिंह (43) और कुलदीप सिंह (56), दिल्ली के शिवा रामाकृष्ण (39), सुनील बिष्ट (40), नंदा जोशी (43) और यूपी के आजमगढ़ निवासी पंकज कुमार शुक्ल (30) शामिल हैं। मूलरूप से पंजाब निवासी बलदेव पंचायत चुनाव लड़ चुका है।
वह 2003 में दिल्ली आ गया था। दिल्ली में कोई काम नहीं चला, तो इसने साथियों के साथ फर्जी वीजा बनाने का गिरोह बना लिया। सुनील बिष्ट के खिलाफ वीजा फ्रॉड के 27 मामले दर्ज हैं। इसने बलदेव के साथ ट्रैवल कंपनी खोल लोगों को ठगना शुरू किया। नंदा 2006 में ब्रिटेन गया था। काम नहीं मिला, तो 2012 में लौट आया। पंकज फर्जी बैंक स्टेटमेंट, आईटीआर व अन्य कागजात तैयार करता था। बलिहार भजन व सत्संग करता था। लोग इस पर भरोसा करते थे और जल्द झांसे में आ जाते थे।
ज्यादातर लोगों को यूरोप के देशों में भेजते थे
आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे ज्यादातर लोगों को यूरोपीय देशों या दक्षिण अमेरिका भेजते थे। एक फर्जी वीजा के लिए 50 हजार से दो लाख रुपये तक वसूल कर लेते थे। बीते सात साल में एक हजार से ज्यादा लोगों को विदेश भेज चुके हैं। बलदेव और शिवा, नीरज, सुनील व पंकज साथ गिरोह चला रहे थे।
कई राज्यों में नेटवर्क
गिरोह के तार हरियाणा, पंजाब, यूपी व राजस्थान से जुड़े हैं। इन्हीं राज्यों के लोगों को ही ये शिकार बनाते थे। एसआई अजय को मिली सूचना से गिरोह का खुलासा हुआ। इसके बाद एसीपी नरेश कुमार की देखरेख में इंस्पेक्टर राकेश, पवन कुमार, सत्यवीर व एसआई अजय की टीम बनाई गई। टीम ने कई दिनों की मेहनत के बाद गिरोह को धर दबोचा।