Delhi: लापरवाही जल बोर्ड की... भुगत रही यमुना, DPCC ने DJB पर ठोका 18.54 करोड़ का जुर्माना; रिपोर्ट NGT में
राजधानी के 22 नालों में से 8 का पानी बिना उपचारित किए हुए सीधे यमुना में जा रहा है। भारी मात्रा में गंदा पानी नदी को और प्रदूषित कर रहा है।
विस्तार
यमुना की सफाई के दावों और हकीकत में भारी अंतर है जिसका खुलासा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की रिपोर्ट में हुआ है। राजधानी के 22 नालों में से 8 का पानी बिना उपचारित किए हुए सीधे यमुना में जा रहा है। भारी मात्रा में गंदा पानी नदी को और प्रदूषित कर रहा है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में पेश इस रिपोर्ट में जिक्र है कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की लापरवाही से 58 झुग्गी-बस्तियों से रोज़ाना लगभग 9.27 मिलियन लीटर गंदा पानी बिना किसी सफाई के नालों और नदी में बह रहा है। इस लापरवाही पर डीपीसीसी ने डीजेबी पर 18.54 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है।
एनजीटी के आदेश पर तैयार रिपोर्ट में डीपीसीसी के सीनियर पर्यावरण इंजीनियर डॉ. अनवर अली खान ने बताया कि यमुना में गिरने वाले 22 नालों की हालत चिंताजनक है। इनमें से 10 नालों को पूरी तरह बंद (टैप) कर दिया गया है। यानी उनका गंदा पानी सीधे नदी में नहीं जाता है। दिल्ली गेट और सेन नर्सिंग होम 2 नालों को आंशिक रूप से बंद किया गया है। नजफगढ़ और शाहदरा 2 बड़े नालों को पूरी तरह बंद करना मुश्किल है, लेकिन इनके नीचे आने वाले छोटे नालों का पानी इंटरसेप्टर सीवर प्रोजेक्ट से साफ किया जा रहा है या किया जाएगा। बाकी 8 नालों से अभी गंदा पानी बह रहा है। सोनिया विहार नाले को बंद बताया गया, लेकिन डीपीसीसी की जांच में दिसंबर 2024 से अक्टूबर 2025 तक पानी का बहाव देखा गया। इन नालों का पानी जल्द से जल्द सीवर या सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) में भेजना जरूरी है।
अक्तूबर 2025 में 9 एसटीपी मानक पर खरे नहीं उतरे
रिपोर्ट में दिल्ली के सीवेज सिस्टम पर रोशनी डाली गई है। दिल्ली में रोजाना 990 मिलियन गैलन (एमजीडी) पानी की सप्लाई होती है, जिससे 792 एमजीडी गंदा पानी निकलता है। डीजेबी के 37 एसटीपी चल रहे हैं, जिनकी कुल क्षमता 794 एमजीडी है लेकिन, ये सिर्फ 704 एमजीडी पानी ही साफ कर पा रहे हैं। यानी 88 एमजीडी गंदा पानी बिना साफ किए बह रहा है। अक्तूबर 2025 में 28 एसटीपी मानकों पर खरे उतरे, जबकि 9 नहीं। डीपीसीसी हर महीने एसटीपी की जांच करती है और डीजेबी को सुधार के लिए चिट्ठी भेजती है। सभी एसटीपी ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम से जुड़े हैं।
40 छोटे डिसेंट्रलाइज्ड एसटीपी बनाए जा रहे
रिपोर्ट में बताया गया है कि यमुना को साफ करने के लिए दिल्ली सरकार चार बड़े काम कर रही है। इनमें कोंडली फेज-2, रिठाला फेज-1, यमुना विहार फेज-2 तीन पुराने एसटीपी की मरम्मत पूरी हो चुकी है। शेष 8 एसटीपी को अपग्रेड किया जा रहा है। तीन नए एसटीपी बनाए जा रहे हैं। इनमें ओखला वाला चालू हो गया है। सोनिया विहार का स्थिर करने का काम चल रहा और दिल्ली गेट में 10 एमजीडी जून 2027 तक तैयार हो जाएगा। 40 छोटे डिसेंट्रलाइज्ड एसटीपी (डीएसटीपी) बनाए जा रहे हैं, जिनमें से 26 दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में और 14 नजफगढ़ जोन में है।
नियम हैं पर लगता है वसूली नहीं होती
डीपीसीसी ने 27 मार्च, 2023 को आदेश जारी कर अनधिकृत तरीके से सेप्टेज फेंकने पर जुर्माना तय किया था। जुर्माना लगाने का अधिकार डीएम ऑफिस के नायब तहसीलदार, दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर, एमसीडी के सैनिटरी इंस्पेक्टर और डीजेबी व आईएंडएफसी के जूनियर इंजीनियर को दिया गया है। आए दिन खुले में सेप्टेज फेंका जा रहा है। इससे लगता है कि जुर्माना तय तो हुआ लेकिन वसूला नहीं जा रहा है।
जुर्माना...
- अनधिकृत गाड़ियां सेप्टेज फेंकें, तो 50,000 रुपये जुर्माना और गाड़ी जब्त होगी
- लाइसेंसी गाड़ियां गलत जगह गंदगी फेंकें, तो 50,000 रुपये जुर्माना लगेगा
- कोई व्यक्ति अनधिकृत गाड़ी का इस्तेमाल करे, तो 10,000 रुपये जुर्माना
प्रति मिलियन लीटर गंदे पानी पर दो करोड़ जुर्माना
रिपोर्ट में डीपीसीसी ने डीजेबी पर जुर्माना लगाने का कारण बताया कि 58 झुग्गी बस्तियों से 9.27 मिलियन लीटर गंदा पानी बिना साफ किए बह रहा है। 21 फरवरी, 2025 के आदेश में 18.54 करोड़ रुपये का अंतरिम जुर्माना लगाया गया, जो 2 करोड़ रुपये प्रति एमएलडी के हिसाब से है। डीजेबी को 15 दिनों में यह रकम जमा करने के लिए कहा गया है। अनधिकृत कॉलोनियों से निकलने वाले गंदे पानी पर भी जानकारी मांगी गई, लेकिन डीजेबी ने जवाब नहीं दिया। यमुना की सफाई के लिए कई कमेटियां बनाई गई हैं। जल शक्ति मंत्रालय के अनुरोध पर दिल्ली सरकार ने 22 मई, 2025 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में मल्टी स्टेकहोल्डर वर्किंग ग्रुप बनाया। साथ ही, 2 जुलाई 2025 को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हाई लेवल कमेटी (एचएलसी) गठित हुई, जिसमें जल मंत्री सह-अध्यक्ष हैं। इसकी मीटिंग्स यमुना की पारिस्थितिकी और सौंदर्य को बहाल करने पर फोकस करती हैं। एक एग्जीक्यूटिव कमेटी भी मुख्य सचिव की अगुवाई में काम कर रही है।
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