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Faridabad News: युवक को नौकरी के बहाने म्यांमार बुलाकर बंधक बनाया, जबरन साइबर ठगी कराई
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26 साल के राहुल ने लौटने के बाद दी पुलिस को शिकायत
साइबर क्राइम थाना सेंट्रल में दर्ज की गई एफआईआर
अमर उजाला ब्यूरो
फरीदाबाद। नौकरी और बेहतर भविष्य में सेक्टर-78 निवासी 26 साल का राहुल बैंकॉक पहुंच गया। एयरपोर्ट पहुंचते ही उसे एक गाड़ी में बैठाकर कंपनी वाले लेने आ गए लेकिन कुछ देर बाद ही भ्रम टूटा और समझ आ गया कि ये कोई अकाउंटेंट की नौकरी नहीं है।
चीनी साइबर ठग गिरोह के आरोपी हथियार के बल पर बंधक बना राहुल को बैंकॉक से म्यांमार ले गए और बंधक बनाकर जबरन साइबर ठगी कराने लगे। भारत सरकार की मदद से 18 नवंबर को वापस लौटे राहुल ने अब फरीदाबाद पुलिस को शिकायत देकर साइबर क्राइम थाना सेंट्रल में एफआईआर दर्ज कराई है। ये एफआईआर मानव तस्करी, ठगी और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में दर्ज की गई है। पुलिस प्रवक्ता यशपाल सिंह ने बताया कि मामले में टीम जांच कर रही है। बिहार का मूल निवासी 26 साल का राहुल फरीदाबाद के सेक्टर-78 की हैबीटेट रेजीडेंस सोसाइटी में पिता राजीव झा व परिवार के साथ रहता है। राहुल नौकरी की तलाश में ऑनलाइन वेबसाइटों पर अपना बायोडाटा डालकर जवाब मिलने का इंतजार करता था। जुलाई 2025 में एक दिन उसे विदेश के व्हाट्सएप नंबर से थाईलैंड में अकाउंटेंट की नौकरी और 80 हजार रुपये वेतन का ऑफर आया। युवक को कहा गया कि तुम्हे ऑन अराइवल वीजा पर यहां आना होगा। यह विजा 2 महीने के लिए वैध होगा। कम्पनी आपके आने के बाद आपके अराइवल वीजा को वर्क वीजा में बदलवा देगी।
विदेश में नौकरी का ऑफर पाकर राहुल जहां खुश था लेकिन उसके पास टिकट के पैसे नहीं थे। ठग ने कहा कि हम ही आपकी टिकट भी करा देते हैं। 9 अगस्त 2025 को उसी नंबर से राहुल के पास दिल्ली से बैंकाक की टिकट आ गई। 12 अगस्त को राहुल फ्लाइट से बैंकाक पहुंचा और उसी नंबर पर कंफर्म कर दिया। एयरपोर्ट के बाहर गेट नंबर 4 पर खड़ी गाड़ी में राहुल बैठ गया तो कुछ दूर चलने के बाद चालक ने कहा कि 2 घंटे बाद होटल पहुंच जाएंगे। 2 घंटे बाद गाड़ी रुकी और खाना खाया गया। बाद में लगातार 5-6 घंटे गाड़ी चलती रही तो राहुल ने टोका। आरोप है कि चालक ने पिस्टल दिखा धमकाया और मोबाइल छीन लिया।
बाद में बारी-बार कर 9-10 गाड़ियों में बदल-बदलकर राहुल को बैठाया और रात को 4-5 घंटे होटल में ठहरे। बाद में नदी से बॉर्डर पार कराकर म्यांमार ले जाया गया। राहुल को मोबाइल दे दिया और केके पार्क-5 लेकर गए। वहां के गार्ड ने राहुल का मोबाइल रख लिया और 3 दिन बाद लौटाया। मोबाइल से कुछ डेटा डिलीट कर दिया गया था। राहुल ने वापस एयरपोर्ट छोड़ने को कहा तो 7 हजार डॉलर मांगने लगे। फिर उसके बाद अगले दिन वह लोग राहुल को एक ऑफिस में ले गए तो वहां चीनी मूल का व्यक्ति मिला। एक व्यक्ति अंग्रेजी में ट्रांसलेट करके राहुल को समझाने लगा। 10-15 दिन तक राहुल को कमरे में बंधक बनाकर रखा गया। चीन मूल के लोगों ने साइबर ठगी की ट्रेनिंग दी। अलग-अलग डेटिंग एप पर लड़कियों के नाम से फर्जी आईडी बनाकर अमेरिका के लड़कों से बात करने व उनकी बेसिक डिटेल लेने के लिए बोला।
कुछ दिन बाद जब राहुल ने दोबारा से काम करने के लिए मना किया तो कमरे में बंद कर दिया और 2 दिन तक खाना नहीं दिया। अक्तूबर 2025 में म्यांमार सेना की इस जगह पर रेड पड़ी तो चीनी आरोपी भाग गए। राहुल व अन्य कई युवक लगभग 20 दिन म्यांमार सेना के कैंप में रहे। उसके बाद थाईलैंड इमिग्रेशन टीम इन्हें वापस थाईलैंड लेकर गई। बाद में भारत सरकार ने इन्हें मेईसत से रेस्क्यू किया और 18 नवंबर को वापस भारत पहुंचे और अब शिकायत पुलिस को दी।
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साइबर क्राइम थाना सेंट्रल में दर्ज की गई एफआईआर
अमर उजाला ब्यूरो
फरीदाबाद। नौकरी और बेहतर भविष्य में सेक्टर-78 निवासी 26 साल का राहुल बैंकॉक पहुंच गया। एयरपोर्ट पहुंचते ही उसे एक गाड़ी में बैठाकर कंपनी वाले लेने आ गए लेकिन कुछ देर बाद ही भ्रम टूटा और समझ आ गया कि ये कोई अकाउंटेंट की नौकरी नहीं है।
चीनी साइबर ठग गिरोह के आरोपी हथियार के बल पर बंधक बना राहुल को बैंकॉक से म्यांमार ले गए और बंधक बनाकर जबरन साइबर ठगी कराने लगे। भारत सरकार की मदद से 18 नवंबर को वापस लौटे राहुल ने अब फरीदाबाद पुलिस को शिकायत देकर साइबर क्राइम थाना सेंट्रल में एफआईआर दर्ज कराई है। ये एफआईआर मानव तस्करी, ठगी और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में दर्ज की गई है। पुलिस प्रवक्ता यशपाल सिंह ने बताया कि मामले में टीम जांच कर रही है। बिहार का मूल निवासी 26 साल का राहुल फरीदाबाद के सेक्टर-78 की हैबीटेट रेजीडेंस सोसाइटी में पिता राजीव झा व परिवार के साथ रहता है। राहुल नौकरी की तलाश में ऑनलाइन वेबसाइटों पर अपना बायोडाटा डालकर जवाब मिलने का इंतजार करता था। जुलाई 2025 में एक दिन उसे विदेश के व्हाट्सएप नंबर से थाईलैंड में अकाउंटेंट की नौकरी और 80 हजार रुपये वेतन का ऑफर आया। युवक को कहा गया कि तुम्हे ऑन अराइवल वीजा पर यहां आना होगा। यह विजा 2 महीने के लिए वैध होगा। कम्पनी आपके आने के बाद आपके अराइवल वीजा को वर्क वीजा में बदलवा देगी।
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विदेश में नौकरी का ऑफर पाकर राहुल जहां खुश था लेकिन उसके पास टिकट के पैसे नहीं थे। ठग ने कहा कि हम ही आपकी टिकट भी करा देते हैं। 9 अगस्त 2025 को उसी नंबर से राहुल के पास दिल्ली से बैंकाक की टिकट आ गई। 12 अगस्त को राहुल फ्लाइट से बैंकाक पहुंचा और उसी नंबर पर कंफर्म कर दिया। एयरपोर्ट के बाहर गेट नंबर 4 पर खड़ी गाड़ी में राहुल बैठ गया तो कुछ दूर चलने के बाद चालक ने कहा कि 2 घंटे बाद होटल पहुंच जाएंगे। 2 घंटे बाद गाड़ी रुकी और खाना खाया गया। बाद में लगातार 5-6 घंटे गाड़ी चलती रही तो राहुल ने टोका। आरोप है कि चालक ने पिस्टल दिखा धमकाया और मोबाइल छीन लिया।
बाद में बारी-बार कर 9-10 गाड़ियों में बदल-बदलकर राहुल को बैठाया और रात को 4-5 घंटे होटल में ठहरे। बाद में नदी से बॉर्डर पार कराकर म्यांमार ले जाया गया। राहुल को मोबाइल दे दिया और केके पार्क-5 लेकर गए। वहां के गार्ड ने राहुल का मोबाइल रख लिया और 3 दिन बाद लौटाया। मोबाइल से कुछ डेटा डिलीट कर दिया गया था। राहुल ने वापस एयरपोर्ट छोड़ने को कहा तो 7 हजार डॉलर मांगने लगे। फिर उसके बाद अगले दिन वह लोग राहुल को एक ऑफिस में ले गए तो वहां चीनी मूल का व्यक्ति मिला। एक व्यक्ति अंग्रेजी में ट्रांसलेट करके राहुल को समझाने लगा। 10-15 दिन तक राहुल को कमरे में बंधक बनाकर रखा गया। चीन मूल के लोगों ने साइबर ठगी की ट्रेनिंग दी। अलग-अलग डेटिंग एप पर लड़कियों के नाम से फर्जी आईडी बनाकर अमेरिका के लड़कों से बात करने व उनकी बेसिक डिटेल लेने के लिए बोला।
कुछ दिन बाद जब राहुल ने दोबारा से काम करने के लिए मना किया तो कमरे में बंद कर दिया और 2 दिन तक खाना नहीं दिया। अक्तूबर 2025 में म्यांमार सेना की इस जगह पर रेड पड़ी तो चीनी आरोपी भाग गए। राहुल व अन्य कई युवक लगभग 20 दिन म्यांमार सेना के कैंप में रहे। उसके बाद थाईलैंड इमिग्रेशन टीम इन्हें वापस थाईलैंड लेकर गई। बाद में भारत सरकार ने इन्हें मेईसत से रेस्क्यू किया और 18 नवंबर को वापस भारत पहुंचे और अब शिकायत पुलिस को दी।