Delhi Blast: अल-फलाह यूनिवर्सिटी के इर्द-गिर्द चल रही है पूरी जांच, हॉस्टल की एक विंग सील...; फरीदाबाद पर फोकस
सूत्र ने बताया कि सील की गई ये विंग वही है जिसमें डॉ. मुजम्मिल अहमद गनेई उर्फ मुसैब और डॉ. उमर का कमरा मौजूद था। इस विंग के कमरों से लेकर टॉयलेट तक के पूरे इलाके को सील किया गया है।
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धौज इलाके की अल फलाह यूनिवर्सिटी में मंगलवार देर रात पुलिस की एक टीम फिर से पहुंची। रात लगभग 9 बजे पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी की अगुवाई में लगभग 50 सदस्यीय टीम यहां पहुंची। इस टीम ने यूनिवर्सिटी परिसर में लड़कों के हॉस्टल की एक विंग को सील कर दिया है। इस विंग में किसी के भी आने-जाने पर पाबंदी लगाई गई है। साथ ही एहतियात के तौर पर एक टीम भी यहां तैनात की गई है जो ये सुनिश्चित करेगी कि इस विंग में कोई आवाजाही न हो सके।
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो ये कार्रवाई केस की जांच को आगे बढ़ाने को लेकर की गई है। दिल्ली धमाके के बाद मामले की जांच एनआईए को चली गई है। अब जम्मू कश्मीर पुलिस, दिल्ली स्पेशल सेल के साथ ही एनआईटी की टीम भी जांच में जुट गई हैं। इन्हीं टीमों की जांच प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए इस विंग को सील किया गया है।
सूत्र ने बताया कि सील की गई ये विंग वही है जिसमें डॉ. मुजम्मिल अहमद गनेई उर्फ मुसैब और डॉ. उमर का कमरा मौजूद था। इस विंग के कमरों से लेकर टॉयलेट तक के पूरे इलाके को सील किया गया है। ये इसलिए किया गया है कि केंद्रीय जांच एजेंसी यहां आकर जांच करे और इस दौरान उन्हें पर्याप्त सबूत मिल सकें।
बम धमाका करने वाले डॉ. उमर कट्टरपंथी था
दिल्ली में लाल किले के पास कार से बम धमाका करने वाले डॉ. उमर कट्टरपंथी था। फरीदाबाद के धौज की अल फलाह यूनिवर्सिटी में जब वो छात्रों को पढ़ाता था तो क्लास में लड़के व लड़कियों को अलग-अलग लेन में बैठाता था। अपनी क्लास में वो लड़के-लड़कियों को आपस में बात भी नहीं करने देता था।
यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने बताया कि खास तौर पर लड़कियों को अलग बैठाने के बाद उन्हें भी डॉ. उमर धर्म के अनुसार बांटता था। दोनों धर्म की लड़कियों को भी वो अलग-अलग बैठाता था। यहां पढ़ने वाली एक हिंदू छात्रा ने बताया कि डॉ. उमर अपने धर्म को लेकर काफी प्रभावित था।
'सभी छात्रा दिन में 5 बार नमाज पढ़ने चले जाते, इस दौरान क्लास रुक जाती'
छात्रा ने बताया कि यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ. उमर के इस रवैये के चलते उनके साथ पढ़ने वाले दूसरे धर्म के छात्रों का रवैया भी बदला हुआ रहता था। वे यही कहकर चिढ़ाते हैं कि तुम चाहे जितनी मेहनत कर लो, नंबर तो ज्यादा हमारे ही आएंगे।
इतना ही नहीं नमाज के समय सभी छात्रा दिन में 5 बार नमाज पढ़ने चले जाते। इस दौरान क्लास रुक जाती और उनके आने पर ही क्लास फिर से शुरू होती। इतनी अवधि तक उन्हें इंतजार ही करना पड़ता है कि वो कब तक आएंगे।
परिवार को नहीं यकीन, उमर ऐसा हो सकता है
वहीं डॉ. उमर नबी के परिवार ने कहा है कि उन्हें यकीन नहीं होता कि वह किसी आतंकी गतिविधि में शामिल हो सकता है। पुलिस के अनुसार, पुलवामा जिले के कोइल गांव के निवासी डॉ. उमर नबी कथित तौर पर उस ह्युंडई i20 कार को चला रहा था, जिसमें सोमवार शाम को लाल किले के पास धमाका हुआ था। इस हादसे में कम से कम 12 लोगों की मौत हुई थी।
'उमर बहुत शांत स्वभाव के थे'
डॉ. उमर की भाभी मुजम्मिला अख्तर ने बताया कि वह बचपन से ही संकोची और पढ़ाई में ध्यान देने वाले व्यक्ति थे। उमर बहुत शांत स्वभाव के थे, ज्यादा दोस्त नहीं बनाते थे और हमेशा पढ़ाई व काम में व्यस्त रहते थे। वह फरीदाबाद के एक कॉलेज में फैकल्टी के तौर पर काम कर रहे थे। शुक्रवार को उन्होंने फोन कर कहा था कि परीक्षा के कारण व्यस्त हैं और तीन दिन बाद घर लौटेंगे।
बिल्डिंग नंबर 17 के रूम 13 में मुजम्मिल और उमर ने रची आतंकी कहानी
दिल्ली बम धमाके और फरीदाबाद में मिले 2921 किलो विस्फोटक समेत आतंक की पूरी कहानी अल फलाह यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नंबर 17 के कमरा नंबर 13 में रची जा रही थी। तीसरी मंजिल पर स्थित ये कमरा यहां कार्यरत डॉ. मुजम्मिल अहमद गनेई उर्फ मुसैब को अलॉट था। इसके बगल वाला कमरा दिल्ली धमाके में शामिल डॉ. उमर को अलॉट था, लेकिन उमर अपना कमरा छोड़कर मुजम्मिल के साथ ही रहता था।
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