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घर से हो संस्कारों की शुरूआत भी बदलेगा समाज
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घर से हो संस्कारों की शुरूआत भी बदलेगा समाज
गाजियाबाद। हैदराबाद में पशु चिकित्सक महिला से दरिंदगी के बाद हत्या कर शव जलाने की हर ओर निंदा हो रही है। अमर उजाला अपराजिता अभियान ‘कब तक निर्भया’ के तहत संवाद का आयोजन किया गया। इस दौरान महिला, शिक्षिका, छात्र, सामाजिक संगठनों एवं एओए के पदाधिकारी एवं लोगों ने आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग की। लोगों कहा कि इस तरह की घटना होने के कुछ दिनों तक तो हम जागरूक होते हैं। सड़कों पर उतरते हैं, कैंडल मार्च निकालते हैं, धरना प्रदर्शन करते हैं फिर शांत होकर घर बैठ जाते हैं। इस तरह से देश के अंदर घटनाएं रुकने वाली नहीं है। पहले हमें अपने घर से सुधार करना होगा। तभी हम समाज और देश में सुधार कर पाएंगे। मंचों पर आने के बाद बातें तो बड़ी-बड़ी होती हैं लेकिन उन बातों को दिनचर्या में नहीं लाया जाता है। सरकार कड़ा नियम बनाए और दुष्कर्म करने वाले आरोपियों पर दोष सिद्ध होते ही फांसी की सजा दी जाए। साथ ही कहा कि परिवार के लोग भी बच्चों पर ध्यान दें और उन्हें अच्छे संस्कार सिखाएं, जिससे इस तरह की घटनाएं न हों।
वर्जन...
बहुत ही शर्मसार करने वाली घटना है। शासन पुलिस और प्रशासन अपना काम कर रहे हैं। ऐसी घटनाओं को रोकने में हम लोगों की भागीदारी होनी चाहिए। रास्ते में निकलते समय आपके सामने कोई घटना होती है तो पीड़ित की मदद करें। हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा। - आशा शर्मा, महापौर
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हमें अपने घर से शुरूआत करनी होगी। लड़कियों को शिक्षा देते हैं कि बाहर जाते समय ध्यान रखें। बेटों को क्यों संस्कार और शिक्षा नहीं दी जाती है कि वह महिलाओं का सम्मान करें। माताएं लड़कों पर विशेष ध्यान दें। - लक्ष्मी त्यागी
इस तरह की घटना होने के बाद आज हम अपनी बेटियों को बाहर भेजने से डरते हैं। समाज और सरकार ने राम मंदिर और कश्मीर का मुद्दा सुलझाया है। उसी तरह इन घटनाओं के लिए काम करें, मुद्दा बनाकर कड़ी सजा दें। जिससे लोग डर के कारण ऐसा न करें। - पुष्पांजलि सिंह
महिला और पुरुषों के बीच भेदभाव समाप्त किया जाना चाहिए। हम सभी को अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए कि वह घर से बाहर जा रहे हैं। कहां जा रहे हैं और किसके साथ जा रहे हैं। उनके फोन पर निगरानी रखें। आरोपियों के खिलाफ कानून को कठोर सजा देनी चाहिए। - डॉ. ममता खन्ना
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अशिक्षित लोग इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं इसलिए आवश्यकता है कि बच्चों को अच्छी और संस्कार देने वाली शिक्षा दी जाए। क्योंकि बिना संस्कार के शिक्षा का कोई महत्व नहीं है। - सुमन
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हम लोगों को चिंता करने की आवश्यकता है। इस तरह की घटनाएं क्यों घट रही हैं। छोटे बच्चों को मोबाइल पकड़ा दिया जा रहा है। माता-पिता अपने काम में व्यस्त हैं। इससे बच्चे बिगड़ रहे हैं। कोई भी घटना होने पर तत्काल मदद करें। - आवृति अग्रवाल
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इस तरह की घटनाओं के खिलाफ सभी को एक साथ मिलकर लड़ाई लड़नी चाहिए। घटना के बाद पीड़ित की मदद करें और उसका साथ दें। आरोपी के खिलाफ आवाज उठाएं। सभी को आगे आकर सहयोग करना चाहिए। - पूनम सिंह
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ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नैतिक शिक्षा दी जाए। जब तक बच्चों को नैतिक शिक्षा नहीं दी जाएगी। इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। सरकार ऐसा कठोर कानून बनाकर आरोपियों को कड़ी सजा दे। - आरके आर्य
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आज के दौर में संस्कार, सुरक्षा और सहयोग तीन चीजों की बहुत आवश्यकता है। बच्चा जहां से संस्कार लेता था, वह जगह समाप्त हो गई हैं। दादा-दादी, चाचा-चाची साथ नहीं रहते हैं। आजकल बच्चे मोबाइल और फिल्मों से संस्कार ले रहे हैं। - संदीप त्यागी
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महिला शिक्षिकाएं गांव देहात के जंगलों से होते हुए स्कूल जाती हैं। उन्हें डर रहता है। सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि अपराध करने वाले लोगों को कड़ी सजा दें और उसकी जानकारी लोगों तक पहुंचाएं। - डॉ. अनुज त्यागी
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अब खुद में सुधार करने की आवश्यकता है। पहले पढ़ाई के दौरान ‘हमारे पूर्वज’ किताब पढ़ाई जाती थी, जिससे संस्कार आते थे। हम लोग कुछ भी गलत करने से पहले सोचते थे। अब डर नहीं है। - नेमपाल सिंह
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छात्राओं को मजबूत बनाने के लिए कुछ संस्थाओं को आगे आना चाहिए। वह स्कूलों में जाकर छात्राओं को सेल्फ डिफेंस के गुरु सिखाएं। जिससे छात्राएं अपनी सुरक्षा कर सकें।
- सुभाष चौधरी
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कड़ा कानून और अच्छी शिक्षा की आवश्यकता है। क्योंकि लोगों में ज्ञान की कमी है। हाइवे पर टोल टेक्स पर घटना होने पर मदद के लिए वाहन होते हैं। उन्हें मदद करनी चाहिए। - चमन लाल शर्मा
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कुछ दिन चर्चा करने के बाद ऐसी घटनाओं को भूल जाते हैं। बच्चे को थोड़ा बड़ा होते ही पढ़ाई के लिए पीजी में रहने को भेज देते हैं। ऐसे में बच्चे को कहां से संस्कार मिलेंगे। परिवार पढ़ाई के साथ बच्चों के संस्कार पर भी ध्यान दे। - संजय गोयल
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भेदभाव हम अपने घर से शुरू करते हैं। बेटे को 10 वर्ष की उम्र में मोबाइल दे दिया और बेटी को कक्षा 12 के बाद दिलाया। सरकार एक काम करे कि सिगरेट और शराब की बोतलों पर लिखवाए की दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा होगी। - प्रवीण बत्रा
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युवाओं को जागरूकता की बहुत जरूरत है। हम उन्हें जागरूक नहीं कर रहे हैं। अगर युवा जागरूक होंगे तो इस तरह के अपराध कम होंगे। पुलिस पीड़ित की बात सुने और समस्या का समाधान करे। - अशोक भारतीय
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हम लोगों को कहने में कम और काम करने में विश्वास ज्यादा रखना चाहिए। दरिंदगी करने वाले दरिंदों को कठोर से कठोर सजा दी जाए, जिससे अन्य लोगों को सबक मिल सके। - अर्चना त्यागी
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थाने में पीड़िता के साथ दुर्व्यवहार होता है। पुलिस उल्टा पीड़िता को डरा देती है कि आप दुष्कर्म की शिकायत करोगे तो आपकी इज्जत नहीं रहेगी। इस डर से कई महिलाएं तो रिपोर्ट दर्ज ही नहीं कराती हैं। - शबनम
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प्रत्येक स्कूल-कॉलेज में छात्राओं को सशक्त बनाने के लिए विद्यालय प्रबंधन को काम करना चाहिए। वह छात्राओं को आत्म सुरक्षा के टिप्स दिलवाएं, जिससे वह असामाजिक तत्वों का सामना कर सकें। - अनुज ठाकुर
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सोशल मीडिया पर तमाम चीजें परोसी जा रही हैं। पहले घरों में लोक गीत और रागिनी सुनी जाती थीं। उनके मतलब होते थे। मेट्रो सिटी की स्थिति खराब है। अभिभावक बच्चों पर ध्यान दें। - योगेश भारद्वाज
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इस तरह की घटना होने के बाद अभिभावक लड़कियों की सुरक्षा को लेकर डरते हैं। पुलिस प्रशासन सही से काम नहीं करता है। लड़कियों की सुरक्षा के लिए पुलिस को और जागरूक होने की आवश्यकता है। - नेहा चौधरी
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लड़कियां स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए मिर्च और पाउडर साथ लेकर चलें। छेड़छाड़ की घटनाओं को नजरअंदाज न करें। नजरअंदाज करना बड़ी घटना का कारण बन जाता है। - आकांक्षा चौधरी
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गाजियाबाद। हैदराबाद में पशु चिकित्सक महिला से दरिंदगी के बाद हत्या कर शव जलाने की हर ओर निंदा हो रही है। अमर उजाला अपराजिता अभियान ‘कब तक निर्भया’ के तहत संवाद का आयोजन किया गया। इस दौरान महिला, शिक्षिका, छात्र, सामाजिक संगठनों एवं एओए के पदाधिकारी एवं लोगों ने आरोपियों को फांसी की सजा देने की मांग की। लोगों कहा कि इस तरह की घटना होने के कुछ दिनों तक तो हम जागरूक होते हैं। सड़कों पर उतरते हैं, कैंडल मार्च निकालते हैं, धरना प्रदर्शन करते हैं फिर शांत होकर घर बैठ जाते हैं। इस तरह से देश के अंदर घटनाएं रुकने वाली नहीं है। पहले हमें अपने घर से सुधार करना होगा। तभी हम समाज और देश में सुधार कर पाएंगे। मंचों पर आने के बाद बातें तो बड़ी-बड़ी होती हैं लेकिन उन बातों को दिनचर्या में नहीं लाया जाता है। सरकार कड़ा नियम बनाए और दुष्कर्म करने वाले आरोपियों पर दोष सिद्ध होते ही फांसी की सजा दी जाए। साथ ही कहा कि परिवार के लोग भी बच्चों पर ध्यान दें और उन्हें अच्छे संस्कार सिखाएं, जिससे इस तरह की घटनाएं न हों।
वर्जन...
बहुत ही शर्मसार करने वाली घटना है। शासन पुलिस और प्रशासन अपना काम कर रहे हैं। ऐसी घटनाओं को रोकने में हम लोगों की भागीदारी होनी चाहिए। रास्ते में निकलते समय आपके सामने कोई घटना होती है तो पीड़ित की मदद करें। हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा। - आशा शर्मा, महापौर
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इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हमें अपने घर से शुरूआत करनी होगी। लड़कियों को शिक्षा देते हैं कि बाहर जाते समय ध्यान रखें। बेटों को क्यों संस्कार और शिक्षा नहीं दी जाती है कि वह महिलाओं का सम्मान करें। माताएं लड़कों पर विशेष ध्यान दें। - लक्ष्मी त्यागी
इस तरह की घटना होने के बाद आज हम अपनी बेटियों को बाहर भेजने से डरते हैं। समाज और सरकार ने राम मंदिर और कश्मीर का मुद्दा सुलझाया है। उसी तरह इन घटनाओं के लिए काम करें, मुद्दा बनाकर कड़ी सजा दें। जिससे लोग डर के कारण ऐसा न करें। - पुष्पांजलि सिंह
महिला और पुरुषों के बीच भेदभाव समाप्त किया जाना चाहिए। हम सभी को अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए कि वह घर से बाहर जा रहे हैं। कहां जा रहे हैं और किसके साथ जा रहे हैं। उनके फोन पर निगरानी रखें। आरोपियों के खिलाफ कानून को कठोर सजा देनी चाहिए। - डॉ. ममता खन्ना
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अशिक्षित लोग इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं इसलिए आवश्यकता है कि बच्चों को अच्छी और संस्कार देने वाली शिक्षा दी जाए। क्योंकि बिना संस्कार के शिक्षा का कोई महत्व नहीं है। - सुमन
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हम लोगों को चिंता करने की आवश्यकता है। इस तरह की घटनाएं क्यों घट रही हैं। छोटे बच्चों को मोबाइल पकड़ा दिया जा रहा है। माता-पिता अपने काम में व्यस्त हैं। इससे बच्चे बिगड़ रहे हैं। कोई भी घटना होने पर तत्काल मदद करें। - आवृति अग्रवाल
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इस तरह की घटनाओं के खिलाफ सभी को एक साथ मिलकर लड़ाई लड़नी चाहिए। घटना के बाद पीड़ित की मदद करें और उसका साथ दें। आरोपी के खिलाफ आवाज उठाएं। सभी को आगे आकर सहयोग करना चाहिए। - पूनम सिंह
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ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नैतिक शिक्षा दी जाए। जब तक बच्चों को नैतिक शिक्षा नहीं दी जाएगी। इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी। सरकार ऐसा कठोर कानून बनाकर आरोपियों को कड़ी सजा दे। - आरके आर्य
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आज के दौर में संस्कार, सुरक्षा और सहयोग तीन चीजों की बहुत आवश्यकता है। बच्चा जहां से संस्कार लेता था, वह जगह समाप्त हो गई हैं। दादा-दादी, चाचा-चाची साथ नहीं रहते हैं। आजकल बच्चे मोबाइल और फिल्मों से संस्कार ले रहे हैं। - संदीप त्यागी
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महिला शिक्षिकाएं गांव देहात के जंगलों से होते हुए स्कूल जाती हैं। उन्हें डर रहता है। सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि अपराध करने वाले लोगों को कड़ी सजा दें और उसकी जानकारी लोगों तक पहुंचाएं। - डॉ. अनुज त्यागी
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अब खुद में सुधार करने की आवश्यकता है। पहले पढ़ाई के दौरान ‘हमारे पूर्वज’ किताब पढ़ाई जाती थी, जिससे संस्कार आते थे। हम लोग कुछ भी गलत करने से पहले सोचते थे। अब डर नहीं है। - नेमपाल सिंह
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छात्राओं को मजबूत बनाने के लिए कुछ संस्थाओं को आगे आना चाहिए। वह स्कूलों में जाकर छात्राओं को सेल्फ डिफेंस के गुरु सिखाएं। जिससे छात्राएं अपनी सुरक्षा कर सकें।
- सुभाष चौधरी
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कड़ा कानून और अच्छी शिक्षा की आवश्यकता है। क्योंकि लोगों में ज्ञान की कमी है। हाइवे पर टोल टेक्स पर घटना होने पर मदद के लिए वाहन होते हैं। उन्हें मदद करनी चाहिए। - चमन लाल शर्मा
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कुछ दिन चर्चा करने के बाद ऐसी घटनाओं को भूल जाते हैं। बच्चे को थोड़ा बड़ा होते ही पढ़ाई के लिए पीजी में रहने को भेज देते हैं। ऐसे में बच्चे को कहां से संस्कार मिलेंगे। परिवार पढ़ाई के साथ बच्चों के संस्कार पर भी ध्यान दे। - संजय गोयल
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भेदभाव हम अपने घर से शुरू करते हैं। बेटे को 10 वर्ष की उम्र में मोबाइल दे दिया और बेटी को कक्षा 12 के बाद दिलाया। सरकार एक काम करे कि सिगरेट और शराब की बोतलों पर लिखवाए की दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा होगी। - प्रवीण बत्रा
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युवाओं को जागरूकता की बहुत जरूरत है। हम उन्हें जागरूक नहीं कर रहे हैं। अगर युवा जागरूक होंगे तो इस तरह के अपराध कम होंगे। पुलिस पीड़ित की बात सुने और समस्या का समाधान करे। - अशोक भारतीय
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हम लोगों को कहने में कम और काम करने में विश्वास ज्यादा रखना चाहिए। दरिंदगी करने वाले दरिंदों को कठोर से कठोर सजा दी जाए, जिससे अन्य लोगों को सबक मिल सके। - अर्चना त्यागी
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थाने में पीड़िता के साथ दुर्व्यवहार होता है। पुलिस उल्टा पीड़िता को डरा देती है कि आप दुष्कर्म की शिकायत करोगे तो आपकी इज्जत नहीं रहेगी। इस डर से कई महिलाएं तो रिपोर्ट दर्ज ही नहीं कराती हैं। - शबनम
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प्रत्येक स्कूल-कॉलेज में छात्राओं को सशक्त बनाने के लिए विद्यालय प्रबंधन को काम करना चाहिए। वह छात्राओं को आत्म सुरक्षा के टिप्स दिलवाएं, जिससे वह असामाजिक तत्वों का सामना कर सकें। - अनुज ठाकुर
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सोशल मीडिया पर तमाम चीजें परोसी जा रही हैं। पहले घरों में लोक गीत और रागिनी सुनी जाती थीं। उनके मतलब होते थे। मेट्रो सिटी की स्थिति खराब है। अभिभावक बच्चों पर ध्यान दें। - योगेश भारद्वाज
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इस तरह की घटना होने के बाद अभिभावक लड़कियों की सुरक्षा को लेकर डरते हैं। पुलिस प्रशासन सही से काम नहीं करता है। लड़कियों की सुरक्षा के लिए पुलिस को और जागरूक होने की आवश्यकता है। - नेहा चौधरी
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लड़कियां स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए मिर्च और पाउडर साथ लेकर चलें। छेड़छाड़ की घटनाओं को नजरअंदाज न करें। नजरअंदाज करना बड़ी घटना का कारण बन जाता है। - आकांक्षा चौधरी