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घटनाओं को रोकने के लिए अभिभावक भी रहें सजग
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घटनाओं को रोकने के लिए अभिभावक भी रहें सजग
गाजियाबाद। हैदराबाद में बर्बरता का शिकार हुई महिला चिकित्सक को न्याय मिल सके, इसके लिए पूरा देश आवाज उठा रहा है। इसके साथ ही आगे इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इस पर भी लोग अपने विचारों के साथ आगे आ रहे हैं। अमर उजाला लगातार संवाद कार्यक्रम के जरिए नारी सुरक्षा को लेकर विभिन्न वर्ग और क्षेत्र के लोगों से मिल रहे विचारों को सामने ला रहा है। बृहस्पतिवार को संवाद में शामिल हुए लोगों ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कानून की सख्ती और अभिभावकों के सजग रहने की अपील की। इसके अलावा सरकार, पुलिस या प्रशासन को दोष देने के बजाय खुद भी कदम उठाकर नारी सुरक्षा के लिए कवायद करने की वकालत की। कुछ इस तरह से लोगों ने अपने विचार कार्यक्रम में रखे।
सरकार, प्रशासन या पुलिस को कोसने के बजाय अपनी जिम्मेदारी लोग समझें। परिवार इस तरह की घटनाओं को रोकने संबंधी जिम्मेदारी ले। स्कूलों में नैतिक शिक्षा पर भी जोर दिया जाए।
- दीपिका सारस्वत
फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा दोषियों को तुरंत सजा सुनाई जाए। इन मामलों को अदालत में लंबित न रखा जाए। इसके अलावा सामाजिक दायित्व बनता है कि जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें। - गिरीश सारस्वत
दोषियों को सजा पर शीर्ष अदालतों में दया याचिका की व्यवस्था समाप्त हो। एक ही अदालत के निर्णय को मान्यता दी जाए। परिवारों में बड़े-बुजुर्गों का भय समाप्त हुआ है, जो युवाओं के लिए जरूरी था। - अमित जिंदल
अदालत में दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए और इसी अवधि में ही सजा सुनाई जाए। - बीएल बत्रा
बच्चों पर निगरानी बहुत जरूरी है। खासतौर पर मोबाइल ने बच्चों को तन्हा किया है। बच्चे क्या कर रहे हैं, किससे बात करते हैं, किस माहौल में हैं, अभिभावक इसकी जानकारी रखें। - अदनान मुस्तकीम
हर जिले में दुष्कर्म और महिलाओं से होने वाली छेड़छाड़ पर सजा के लिए अलग से कोर्ट होनी चाहिए। इससे दोषियों को सजा जल्द होगी। इसके साथ ही कानून का भय भी लोगों में बना रहेगा।
- रमीज राजा
इंटरनेट युवाओं को भ्रमित करने का काम कर रहा है। अगर अभिभावक बच्चों, उनके दोस्तों और टीचर्स का व्हाट्सएप ग्रुप बनाएं और उसमें शामिल हों तो बच्चों को भी गलत काम का डर बनेगा।
- राजा ओबरॉय
टेकभनोलॉजी पर रोक असंभव है लेकिन जो बच्चों पर ध्यान नहीं देते, उन्हें बच्चों की परवरिश को लेकर सकारात्मक रहना होगा और बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए प्रेरित करना होगा। - कपिल शर्मा
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दुष्कर्म जैसी घटनाओं के लिए सभी बराबर दोषी हैं। युवाओं के लिए सही शिक्षा और रोजगार की व्यवस्था प्राथमिकता पर करनी होगी। तभी लोगों की मानसिकता में बदलाव आएगा। - बाबू राम शर्मा
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घर में बच्चों को शिक्षित करें, लड़कियों से ज्यादा लड़कों को समझाएं कि हर महिला का अपनी मां-बहन की तरह सम्मान करें। बच्चाें को आउटडोर गेम्स के लिए प्रेरित करें और फोन से थोड़ा दूर रखें। - मधु अवस्थी
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अगर कहीं कुछ गलत हो रहा है तो लोग इसका विरोध करें। दूसरों की बेटियों को भी अपनी बेटी समझ कर सुरक्षा करें। इस तरह के कार्य के लिए लोगों को जागरूक किया जाए। - गुलजार अहमद
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बेटा-बेटी में फर्क न समझें और दोनों को ही सही गलत की शिक्षा अभिभावक दें। जितना हो सके बच्चों को समय दें और उनसे दोस्ताना माहौल में बातचीत करते रहें। - मोहम्मद कासिम
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कानून में सख्ती की जरूरत है। मंडल स्तर पर जांच समिति बननी चाहिए। लोग अपने बच्चों की परवरिश पर पूरा ध्यान दें और सही गलत के बारे में उनको बताते रहें। - जाकिर अली सैफी
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वक्त के साथ संस्कार के मूल्यों में गिरावट आई है। अभिभावकों को बच्चों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती और बाद में सिवाय पछताने के कुछ नहीं रहता। फास्ट ट्रैक कोर्ट का दायरा बढे़। - सुभाष छाबड़ा
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जड़ से किसी समस्या को समाप्त करना है तो इसके लिए चेतना अति आवश्यक है। लोगाें का जागरूक रहना जरूरी है और इस तरह का कुछ आसपास देखें तो विरोध के लिए आवाज उठाएं।
- सुनील प्रताप सिंह
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किसी भी घटना के लिए दूसरों को कोसना गलत है। बुजुर्गों का डर युवाओं के दिल से खत्म हुआ है। समाज, परिवार सभी जगह सुधार की जरूरत है। - संदीप कुमार
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न्याय प्रक्रिया में भी बदलाव की जरूरत है। बालिकाओं के लिए आत्मरक्षा की ट्रेनिंग स्कूलों में अनिवार्य की जाए। पाश्चात्य संस्कृति को भी नजरअंदाज करने की जरूरत है। - विकास हिंदू
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मानसिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। शराब पर भी आधार कार्ड की अनिवार्यता लागू हो, जिससे खरीदने वाले के मन में डर हो कि कुछ गलत करेगा तो रिकॉर्ड उपलब्ध होगा। - उदित मोहन गर्ग
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संयुक्त परिवार न होने से समाज में इस तरह के अपराध बढ़ रहे हैं। लोग खुद बदलें फिर युवा पीढ़ी भी बदलेगी। बेटा-बेटी को एक नजर से देखें। - सुनील
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परिवारों को भी शिक्षित किए जाने की आवश्यकता है। इसके बाद शिक्षित लोग अपने क्षेत्र में दूसरे लोगाें को जागरूक करें। एकजुट होकर इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए काम करें।
- सोनू वर्मा
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जितने भी विचार कार्यक्रम के दौरान रखे गए, लोग उन पर अमल करें। अभिभावक हर जगह बच्चों के साथ नहीं जा सकते, ऐसे में बच्चों की भी जिम्मेदारी है कि अपने साथ गलत होने से रोकें।
- चंचल
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खुलेआम अश्लील विज्ञापन समाज को दूषित करने का काम कर रहे हैं। इन पर पाबंदी जरूरी है, जिससे युवा पीढ़ी पर इसका असर न पड़े। सख्त कानून इस दिशा में बनाया जाए। - सैय्यद समीर
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गाजियाबाद। हैदराबाद में बर्बरता का शिकार हुई महिला चिकित्सक को न्याय मिल सके, इसके लिए पूरा देश आवाज उठा रहा है। इसके साथ ही आगे इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इस पर भी लोग अपने विचारों के साथ आगे आ रहे हैं। अमर उजाला लगातार संवाद कार्यक्रम के जरिए नारी सुरक्षा को लेकर विभिन्न वर्ग और क्षेत्र के लोगों से मिल रहे विचारों को सामने ला रहा है। बृहस्पतिवार को संवाद में शामिल हुए लोगों ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कानून की सख्ती और अभिभावकों के सजग रहने की अपील की। इसके अलावा सरकार, पुलिस या प्रशासन को दोष देने के बजाय खुद भी कदम उठाकर नारी सुरक्षा के लिए कवायद करने की वकालत की। कुछ इस तरह से लोगों ने अपने विचार कार्यक्रम में रखे।
सरकार, प्रशासन या पुलिस को कोसने के बजाय अपनी जिम्मेदारी लोग समझें। परिवार इस तरह की घटनाओं को रोकने संबंधी जिम्मेदारी ले। स्कूलों में नैतिक शिक्षा पर भी जोर दिया जाए।
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- दीपिका सारस्वत
फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा दोषियों को तुरंत सजा सुनाई जाए। इन मामलों को अदालत में लंबित न रखा जाए। इसके अलावा सामाजिक दायित्व बनता है कि जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें। - गिरीश सारस्वत
दोषियों को सजा पर शीर्ष अदालतों में दया याचिका की व्यवस्था समाप्त हो। एक ही अदालत के निर्णय को मान्यता दी जाए। परिवारों में बड़े-बुजुर्गों का भय समाप्त हुआ है, जो युवाओं के लिए जरूरी था। - अमित जिंदल
अदालत में दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई के लिए समय सीमा निर्धारित की जाए और इसी अवधि में ही सजा सुनाई जाए। - बीएल बत्रा
बच्चों पर निगरानी बहुत जरूरी है। खासतौर पर मोबाइल ने बच्चों को तन्हा किया है। बच्चे क्या कर रहे हैं, किससे बात करते हैं, किस माहौल में हैं, अभिभावक इसकी जानकारी रखें। - अदनान मुस्तकीम
हर जिले में दुष्कर्म और महिलाओं से होने वाली छेड़छाड़ पर सजा के लिए अलग से कोर्ट होनी चाहिए। इससे दोषियों को सजा जल्द होगी। इसके साथ ही कानून का भय भी लोगों में बना रहेगा।
- रमीज राजा
इंटरनेट युवाओं को भ्रमित करने का काम कर रहा है। अगर अभिभावक बच्चों, उनके दोस्तों और टीचर्स का व्हाट्सएप ग्रुप बनाएं और उसमें शामिल हों तो बच्चों को भी गलत काम का डर बनेगा।
- राजा ओबरॉय
टेकभनोलॉजी पर रोक असंभव है लेकिन जो बच्चों पर ध्यान नहीं देते, उन्हें बच्चों की परवरिश को लेकर सकारात्मक रहना होगा और बच्चों को अच्छी शिक्षा के लिए प्रेरित करना होगा। - कपिल शर्मा
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दुष्कर्म जैसी घटनाओं के लिए सभी बराबर दोषी हैं। युवाओं के लिए सही शिक्षा और रोजगार की व्यवस्था प्राथमिकता पर करनी होगी। तभी लोगों की मानसिकता में बदलाव आएगा। - बाबू राम शर्मा
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घर में बच्चों को शिक्षित करें, लड़कियों से ज्यादा लड़कों को समझाएं कि हर महिला का अपनी मां-बहन की तरह सम्मान करें। बच्चाें को आउटडोर गेम्स के लिए प्रेरित करें और फोन से थोड़ा दूर रखें। - मधु अवस्थी
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अगर कहीं कुछ गलत हो रहा है तो लोग इसका विरोध करें। दूसरों की बेटियों को भी अपनी बेटी समझ कर सुरक्षा करें। इस तरह के कार्य के लिए लोगों को जागरूक किया जाए। - गुलजार अहमद
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बेटा-बेटी में फर्क न समझें और दोनों को ही सही गलत की शिक्षा अभिभावक दें। जितना हो सके बच्चों को समय दें और उनसे दोस्ताना माहौल में बातचीत करते रहें। - मोहम्मद कासिम
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कानून में सख्ती की जरूरत है। मंडल स्तर पर जांच समिति बननी चाहिए। लोग अपने बच्चों की परवरिश पर पूरा ध्यान दें और सही गलत के बारे में उनको बताते रहें। - जाकिर अली सैफी
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वक्त के साथ संस्कार के मूल्यों में गिरावट आई है। अभिभावकों को बच्चों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती और बाद में सिवाय पछताने के कुछ नहीं रहता। फास्ट ट्रैक कोर्ट का दायरा बढे़। - सुभाष छाबड़ा
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जड़ से किसी समस्या को समाप्त करना है तो इसके लिए चेतना अति आवश्यक है। लोगाें का जागरूक रहना जरूरी है और इस तरह का कुछ आसपास देखें तो विरोध के लिए आवाज उठाएं।
- सुनील प्रताप सिंह
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किसी भी घटना के लिए दूसरों को कोसना गलत है। बुजुर्गों का डर युवाओं के दिल से खत्म हुआ है। समाज, परिवार सभी जगह सुधार की जरूरत है। - संदीप कुमार
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न्याय प्रक्रिया में भी बदलाव की जरूरत है। बालिकाओं के लिए आत्मरक्षा की ट्रेनिंग स्कूलों में अनिवार्य की जाए। पाश्चात्य संस्कृति को भी नजरअंदाज करने की जरूरत है। - विकास हिंदू
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मानसिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। शराब पर भी आधार कार्ड की अनिवार्यता लागू हो, जिससे खरीदने वाले के मन में डर हो कि कुछ गलत करेगा तो रिकॉर्ड उपलब्ध होगा। - उदित मोहन गर्ग
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संयुक्त परिवार न होने से समाज में इस तरह के अपराध बढ़ रहे हैं। लोग खुद बदलें फिर युवा पीढ़ी भी बदलेगी। बेटा-बेटी को एक नजर से देखें। - सुनील
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परिवारों को भी शिक्षित किए जाने की आवश्यकता है। इसके बाद शिक्षित लोग अपने क्षेत्र में दूसरे लोगाें को जागरूक करें। एकजुट होकर इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए काम करें।
- सोनू वर्मा
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जितने भी विचार कार्यक्रम के दौरान रखे गए, लोग उन पर अमल करें। अभिभावक हर जगह बच्चों के साथ नहीं जा सकते, ऐसे में बच्चों की भी जिम्मेदारी है कि अपने साथ गलत होने से रोकें।
- चंचल
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खुलेआम अश्लील विज्ञापन समाज को दूषित करने का काम कर रहे हैं। इन पर पाबंदी जरूरी है, जिससे युवा पीढ़ी पर इसका असर न पड़े। सख्त कानून इस दिशा में बनाया जाए। - सैय्यद समीर