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किसान महापंचायत: एमएसपी पर कानून बनने तक चलेगा आंदोलन, टिकैत बोले-संसद चलने पर ही बनेगी आगे की रणनीति
अमर उजाला नेटवर्क, गाजियाबाद
Published by: शाहरुख खान
Updated Fri, 26 Nov 2021 05:20 PM IST
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सार
यूपी गेट पर चल रहे किसान आंदोलन में शुक्रवार को किसान नेता राकेश टिकैत महापंचायत में सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कोरोना और तीन कृषि कानून दोनों एक जैसी बीमारी थे। किसान शुरू से ही अपनी फसल का दाम मांग रहे थे मगर सरकार के तीन कृषि कानूनों ने किसानों को डेढ़ साल पीछे खींच दिया।

किसान महापंचायत में राकेश टिकैत
- फोटो : अमर उजाला
विस्तार
किसान आंदोलन के एक साल पूरा होने पर यूपी गेट पर हुई महापंचायत में भाकियू नेता राकेश टिकैत केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर हमला बोला। किसानों को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि तीन कृषि कानून बेशक वापस होने की घोषणा हो गई, लेकिन अभी कई मुद्दे बाकी हैं। जब तक एमएसपी गारंटी पर कानून नहीं बनाया जाएगा, तब तक आंदोलन चलेगा।
उन्होंने कहा कि आंदोलन के पहले दिन से ही अपनी फसलों के दाम मांग रहे हैं, मगर कृषि कानूनों ने डेढ़ साल पीछे कर दिया। कोरोना और तीन कृषि कानून एक बीमारी थी, दोनों 2019-20 में आए और अब दोनों ही भाग गए। किसानों ने इनका डटकर मुकाबला किया।
राकेश टिकैत ने कहा कि 2011 में मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी वित्त मामलों की एक कमेटी के अध्यक्ष थे। कमेटी ने पूर्व की सरकार को रिपोर्ट दी थी कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनना चाहिए, लेकिन अब मोदी प्रधानमंत्री हैं और कमेटी की रिपोर्ट भी उनके पास है तो एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने से कौन रोक सकता है।
टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले 750 किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने, लखीमपुर कांड में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने, किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने समेत अन्य कई मुद्दे हैं, जिन पर सरकार से बैठकर बात होना बाकी है। उन्होंने 29 नवंबर को 30 ट्रैक्टरों पर 500 किसानों के साथ दिल्ली कूच करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संसद चलने पर ही किसान आगे की रणनीति बनाएंगे।
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उन्होंने कहा कि आंदोलन के पहले दिन से ही अपनी फसलों के दाम मांग रहे हैं, मगर कृषि कानूनों ने डेढ़ साल पीछे कर दिया। कोरोना और तीन कृषि कानून एक बीमारी थी, दोनों 2019-20 में आए और अब दोनों ही भाग गए। किसानों ने इनका डटकर मुकाबला किया।
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राकेश टिकैत ने कहा कि 2011 में मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी वित्त मामलों की एक कमेटी के अध्यक्ष थे। कमेटी ने पूर्व की सरकार को रिपोर्ट दी थी कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनना चाहिए, लेकिन अब मोदी प्रधानमंत्री हैं और कमेटी की रिपोर्ट भी उनके पास है तो एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने से कौन रोक सकता है।
टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले 750 किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने, लखीमपुर कांड में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने, किसानों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने समेत अन्य कई मुद्दे हैं, जिन पर सरकार से बैठकर बात होना बाकी है। उन्होंने 29 नवंबर को 30 ट्रैक्टरों पर 500 किसानों के साथ दिल्ली कूच करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संसद चलने पर ही किसान आगे की रणनीति बनाएंगे।

70 साल में किसान आंदोलन में कभी भी इतनी बड़ी जीत नहीं हुई: योगेंद्र यादव
संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा कि 70 साल में किसी आंदोलन में कभी इतनी बड़ी जीत नहीं हुई, जितनी आज हुई है। मंत्रिमंडल के लोग कहते थे कि कृषि कानूनों में कितने भी संशोधन करा लो, मगर वापस मत कराओ।
क्योंकि प्रधानमंत्री कभी फैसले लेकर कदम पीछे नहीं हटाते। अब किसान दान नहीं, बल्कि फसल का दाम मांग रहे हैं। 27 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी और इसमें आगे की रणनीति बनेगी।
केंद्र सरकार के मंत्रियों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि आंदोलन शुरू होने के समय सरकार के मंत्री कहते थे की 3 कानूनों में कितने भी संशोधन करा लो मगर इसे वापस मत कराओ, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी भी फैसले लेकर कोई कदम पीछे नहीं हट आए हैं।
योगेंद्र ने कहा कि किसान अब सरकार से दान नहीं बल्कि फसल का दाम मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि 27 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आगे की रणनीति तय होगी। उधर किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि तीन कानून वापस लेने का मसला किसानों की जीत या सरकार की हार नहीं है।
सरकार वार्ता कर किसानों के मुद्दे पर बातचीत करे: यादव
देश का अन्नदाता अपनी मांगों को लेकर पिछले कई महीनों से सड़क पर बैठा है सरकार वार्ता कर उनके मुद्दे पर बातचीत करें। उन्होंने कहा कि कोई भी आंदोलन हिंसक नहीं होना चाहिए बातचीत से समाधान निकल जाता है। इधर किसान आंदोलन में मध्य प्रदेश पश्चिम बंगाल उड़ीसा और उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से 5000 से अधिक किसान महापंचायत में शामिल हुए।
क्योंकि प्रधानमंत्री कभी फैसले लेकर कदम पीछे नहीं हटाते। अब किसान दान नहीं, बल्कि फसल का दाम मांग रहे हैं। 27 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी और इसमें आगे की रणनीति बनेगी।
केंद्र सरकार के मंत्रियों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि आंदोलन शुरू होने के समय सरकार के मंत्री कहते थे की 3 कानूनों में कितने भी संशोधन करा लो मगर इसे वापस मत कराओ, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कभी भी फैसले लेकर कोई कदम पीछे नहीं हट आए हैं।
योगेंद्र ने कहा कि किसान अब सरकार से दान नहीं बल्कि फसल का दाम मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि 27 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आगे की रणनीति तय होगी। उधर किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि तीन कानून वापस लेने का मसला किसानों की जीत या सरकार की हार नहीं है।
सरकार वार्ता कर किसानों के मुद्दे पर बातचीत करे: यादव
देश का अन्नदाता अपनी मांगों को लेकर पिछले कई महीनों से सड़क पर बैठा है सरकार वार्ता कर उनके मुद्दे पर बातचीत करें। उन्होंने कहा कि कोई भी आंदोलन हिंसक नहीं होना चाहिए बातचीत से समाधान निकल जाता है। इधर किसान आंदोलन में मध्य प्रदेश पश्चिम बंगाल उड़ीसा और उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से 5000 से अधिक किसान महापंचायत में शामिल हुए।
कृषि कानून वापस लेने का मसला किसानों की जीत या सरकार की हार नहीं: नरेश टिकैत
भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि कृषि कानून वापस लेने का मसला किसानों की जीत या सरकार की हार नहीं है। देश का अन्नदाता मांगों को लेकर एक साल से सड़क पर बैठा है, सरकार वार्ता कर उनके मुद्दे पर सुलझाए। कोई भी आंदोलन हिंसक नहीं होना चाहिए, बातचीत से समाधान निकल जाता है।
इस बीच एसकेएम के पदाधिकारी और नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर मौजूद रहीं। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस प्रशासन ने चप्पे-चप्पे पर करीब एक हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया था। इसमें पीएसी की पांच बटालियन भी थीं। महापंचायत में किसान पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों से किसान आए थे। एक लंबे समय के बाद शुक्रवार को यूपी गेट पर खासी भीड़ नजर आई।
इस बीच एसकेएम के पदाधिकारी और नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर मौजूद रहीं। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस प्रशासन ने चप्पे-चप्पे पर करीब एक हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया था। इसमें पीएसी की पांच बटालियन भी थीं। महापंचायत में किसान पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों से किसान आए थे। एक लंबे समय के बाद शुक्रवार को यूपी गेट पर खासी भीड़ नजर आई।