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Gurugram News: बोझ समझ वो छोड़ गए मुझे मेरे हवाले...
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जिन्होंने गोद में खिलाया, वहीं माएं आज बच्चों की जुदाई से टूट गईं
- वृद्धाश्रम में ऐसी कई दर्दभरी कहानियां, जिन्हें बताते नम हो जाती हैं उनकी आंखें
सौम्या गुप्ता
गुरुग्राम। मां... एक ऐसा शब्द है, जिसमें पूरी दुनिया की ममता, त्याग और प्रेम समाहित होता है। वह अपने बच्चे को नौ महीने कोख में रखती हैं, हर दर्द मुस्कुरा कर सहती है और फिर पूरी जिंदगी उनके बेहतर भविष्य के लिए समर्पित कर देती है।
एक मां के लिए उसका बच्चा उसकी दुनिया होता है लेकिन आज के समय स्थिति यह है कि मां, जिसने अपने बच्चों को कदम-कदम पर संभाला, उन्हें अच्छी परवरिश दीं, वे बुढ़ापे में खुद अकेली पड़ जाती हैं। हर साल मदर्स डे पर मां के प्रति प्यार और कृतज्ञता जताई जाती है लेकिन जमीनी सच्चाई इससे कहीं अलग है।
वृद्धाश्रमों में रहने वाली अधिकतर महिलाएं वहीं माएं हैं, जिन्हें उनके बच्चों ने घर से निकाल दिया। कुछ को बोझ समझा गया, तो कुछ को उपेक्षा की आग में झोंक दिया गया। आंखों में आंसू लिए जिसने जीवन भर उनका घर संभाला, वह आज अपने लिए एक कोना भी नहीं ढूंढ पाईं। हर वृद्धाश्रम में ऐसी कहानियां हैं, जो ममता के बदले उपेक्षा की त्रासदी बयान करती हैं। आंखें नम हो गईं जब मां बच्चों को याद कर बोली वो छोड़ गए मुझे मेरे हवाले...। मदर्स डे केवल एक दिन मां को याद करने का नहीं, बल्कि उनके योगदान को सम्मान देने और बुढ़ापे में उनका साथ निभाने का संकल्प लेने का दिन होना चाहिए।
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कोट्स
मेरे दो बच्चे हैं दोनों लड़कियां हैं। मेरा शादी के बाद तलाक हो गया और उसके बाद से मैं इधर रोड पर भटकती रही। मेरे बच्चे मुझसे कभी मिलने नहीं आते, अब क्या किया जाए, जो जहां है खुश रहे।
- ममता
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बिना बच्चों के जीवन क्या होता है यह बहुत अच्छे से समझ सकते हैं, क्योंकि न ही मेरे पास पति है और न ही मेरे बच्चे हैं। पति चला गया और मेरे दोनों बच्चों की मौत हो गई और तब से मैं अकेली ही हूं। जब तक जीवन है, तब तक शायद ऐसे ही चलना है। - सुगनवीर
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मातृ दिवस क्या, हर दिन मां के लिए बना होता है, उसे समर्पित होता है, बशर्ते बच्चे इस बात को समझें। पूरी जिंदगी हम अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ करते हैं और बच्चे ही हमें हमेशा के लिए अकेले छोड़ कर चले जाते हैं। हम तो अब कठिनाई भरा जीवन जी रहे हैं। - पवित्रि
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जिस दिन से मां बनने का सुख मिला उस दिन से लगा दुनिया में कोई जीने का सहारा मिला लेकिन जब बच्चे ही हमें अकेला छोड़ देते हैं, तो लगता है कि शायद जीवन ही खत्म हो गया। अब तो सिर्फ वक्त ही काट रहे हैं। - कल्की देवी
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- वृद्धाश्रम में ऐसी कई दर्दभरी कहानियां, जिन्हें बताते नम हो जाती हैं उनकी आंखें
सौम्या गुप्ता
गुरुग्राम। मां... एक ऐसा शब्द है, जिसमें पूरी दुनिया की ममता, त्याग और प्रेम समाहित होता है। वह अपने बच्चे को नौ महीने कोख में रखती हैं, हर दर्द मुस्कुरा कर सहती है और फिर पूरी जिंदगी उनके बेहतर भविष्य के लिए समर्पित कर देती है।
एक मां के लिए उसका बच्चा उसकी दुनिया होता है लेकिन आज के समय स्थिति यह है कि मां, जिसने अपने बच्चों को कदम-कदम पर संभाला, उन्हें अच्छी परवरिश दीं, वे बुढ़ापे में खुद अकेली पड़ जाती हैं। हर साल मदर्स डे पर मां के प्रति प्यार और कृतज्ञता जताई जाती है लेकिन जमीनी सच्चाई इससे कहीं अलग है।
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वृद्धाश्रमों में रहने वाली अधिकतर महिलाएं वहीं माएं हैं, जिन्हें उनके बच्चों ने घर से निकाल दिया। कुछ को बोझ समझा गया, तो कुछ को उपेक्षा की आग में झोंक दिया गया। आंखों में आंसू लिए जिसने जीवन भर उनका घर संभाला, वह आज अपने लिए एक कोना भी नहीं ढूंढ पाईं। हर वृद्धाश्रम में ऐसी कहानियां हैं, जो ममता के बदले उपेक्षा की त्रासदी बयान करती हैं। आंखें नम हो गईं जब मां बच्चों को याद कर बोली वो छोड़ गए मुझे मेरे हवाले...। मदर्स डे केवल एक दिन मां को याद करने का नहीं, बल्कि उनके योगदान को सम्मान देने और बुढ़ापे में उनका साथ निभाने का संकल्प लेने का दिन होना चाहिए।
कोट्स
मेरे दो बच्चे हैं दोनों लड़कियां हैं। मेरा शादी के बाद तलाक हो गया और उसके बाद से मैं इधर रोड पर भटकती रही। मेरे बच्चे मुझसे कभी मिलने नहीं आते, अब क्या किया जाए, जो जहां है खुश रहे।
- ममता
बिना बच्चों के जीवन क्या होता है यह बहुत अच्छे से समझ सकते हैं, क्योंकि न ही मेरे पास पति है और न ही मेरे बच्चे हैं। पति चला गया और मेरे दोनों बच्चों की मौत हो गई और तब से मैं अकेली ही हूं। जब तक जीवन है, तब तक शायद ऐसे ही चलना है। - सुगनवीर
मातृ दिवस क्या, हर दिन मां के लिए बना होता है, उसे समर्पित होता है, बशर्ते बच्चे इस बात को समझें। पूरी जिंदगी हम अपने बच्चों के लिए बहुत कुछ करते हैं और बच्चे ही हमें हमेशा के लिए अकेले छोड़ कर चले जाते हैं। हम तो अब कठिनाई भरा जीवन जी रहे हैं। - पवित्रि
जिस दिन से मां बनने का सुख मिला उस दिन से लगा दुनिया में कोई जीने का सहारा मिला लेकिन जब बच्चे ही हमें अकेला छोड़ देते हैं, तो लगता है कि शायद जीवन ही खत्म हो गया। अब तो सिर्फ वक्त ही काट रहे हैं। - कल्की देवी