पीएम ने उठाया एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का मुद्दा: डॉ. नेहा रस्तोगी बोलीं- साइलेंट पैनडेमिक बन चुका AMR, जानें
पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में एक बड़े मुद्दे को उठाया। जिसको लेकर फोर्टिस हॉस्पिटल गुरुग्राम में इंफेक्शस डिजीज की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. नेहा रस्तोगी ने अपनी बात रखी है।
विस्तार
प्रधानमंत्री मोदी ने बीते रविवार को 'मन की बात' के 129वें एपिसोड में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) के मुद्दे को उठाया। जिस पर गुरुग्राम के फोर्टिस हॉस्पिटल में इंफेक्शस डिजीज की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. नेहा रस्तोगी ने कहा कि एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को साइलेंट पैनडेमिक माना जा रहा है, जिसके कारण यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) और निमोनिया जैसी आम समस्याएं, जो पहले साधारण एंटीबायोटिक्स से ठीक हो जाती थीं, अब रेजिस्टेंट हो गई हैं।
आगे कहा कि इससे मरीजों को अधिक परेशानी हो रही है। अस्पताल में ज्यादा समय रहना पड़ रहा है। आईसीएमआर के रिसर्च से पता चलता है कि आजकल 70-90 फीसदी बैक्टीरिया एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट हो गए हैं।
#WATCH | Gurugram, Haryana | On PM Modi raising antimicrobial resistance issue in 129th episode of 'Mann Ki Baat,' Dr Neha Rastogi, Senior Consultant of Infectious Diseases at Fortis Hospital, Gurugram, said, "Antibiotic resistance is being looked at as a silent pandemic because… pic.twitter.com/wfOc4VAM2J
— ANI (@ANI) December 29, 2025
वहीं इस मुद्दे पर अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संजीव सिंह ने कहा कि हम बहुत खुशकिस्मत हैं कि पीएम मोदी ने एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस जैसे बहुत ही जरूरी विषय पर बात की। अपने 'मन की बात' में पीएम मोदी ने एक बार फिर देश को इस साइलेंट महामारी, यानी एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस की याद दिलाई, और यह हमारी पीढ़ी के भविष्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है।
#WATCH | Faridabad, Haryana: On antimicrobial resistance (AMR), Dr Sanjeev Singh, Medical Director, Amrita Institute of Medical Sciences, says, "We were very fortunate that PM Modi covered a very critical subject called antimicrobial resistance. In his Mann ki Baat today, PM Modi… pic.twitter.com/yFLUYkQWKz
— ANI (@ANI) December 29, 2025
एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एंटीबायोटिक्स के गैर-जिम्मेदाराना, बिना वजह इस्तेमाल के कारण एक खतरा है। प्रधानमंत्री का संदेश बहुत साफ और स्पष्ट था। हर नागरिक द्वारा छोटे, जिम्मेदार कदम पूरे देश के स्वास्थ्य की रक्षा करेंगे। प्रधानमंत्री के संदेश से प्रेरित होकर, आइए हम सब एक साथ आएं और यह कसम लें कि हम कभी भी किसी रजिस्टर्ड मेडिकल डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना एंटीबायोटिक्स नहीं लेंगे और हमेशा पूरा कोर्स करेंगे। जैसे ही हम स्वस्थ महसूस करने लगते हैं या लक्षण गायब होने लगते हैं, हम तुरंत एंटीबायोटिक्स लेना बंद कर देते हैं, मुख्य रूप से कीमत के कारण, और यह एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के सबसे हानिकारक कारणों में से एक है। हमें एंटीबायोटिक का कोर्स पूरा करना चाहिए। कभी भी परिवार के सदस्यों के साथ एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल या शेयर न करें या बची हुई दवाएं इस्तेमाल न करें।
एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन को लेकर किया आगाह
मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आज मैं एक ऐसे मुद्दे पर बात करना चाहता हूं, जो हम सभी के लिए चिंता का विषय बन गया है | आईसीएमआर यानि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने हाल ही में एक जारी रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि निमोनिया और यूटीआई जैसी कई बीमारियों के खिलाफ एंटीबायोटिक दवाएं कमजोर साबित हो रही हैं। हम सभी के लिए यह बहुत ही चिंताजनक है।
रिपोर्ट के मुताबिक इसका एक बड़ा कारण लोगों द्वारा बिना सोचे-समझे एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन है। एंटीबायोटिक ऐसी दवाएं नहीं हैं, जिन्हें यूं ही ले लिया जाए। इनका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए। आजकल लोग ये मानने लगे हैं कि बस एक गोली ले लो, हर तकलीफ दूर हो जाएगी। यही वजह है कि बीमारियां और संक्रमण इन एंटीबायोटिक दवाओं पर भारी पड़ रहे।