डायबिटीज यानी ब्लड शुगर बढ़े रहने की समस्या सभी उम्र के लोगों में आम होती जा रही है। लाइफस्टाइल में गड़बड़ी के कारण होने वाली ये समस्या अब 20 से कम आयु वालों को भी अपना शिकार बनाती जा रही है। जिन लोगों के परिवार में जैसे माता-पिता या करीबी रिश्तेदारों में किसी को हाई शुगर की समस्या रही हो ऐसे लोगों को अपनी सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह ही जाती है।
Diabetes Risk: शरीर में चुपके से बढ़ती है डायबिटीज की बीमारी, ये तीन टेस्ट बनेंगे आपकी 'सेहत का कवच'
- कुछ जरूरी जांचों से शुगर की समस्या को समय रहते पकड़ा जा सकता है।
- अगर माता-पिता या करीबी रिश्तेदारों में किसी को हाई शुगर की समस्या रही हो ऐसे लोगों को अपनी सेहत को लेकर विशेष सावधानी बरतते रहने की सलाह ही जाती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अमर उजाला से बातचीत में एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ वसीम गौहरी कहते हैं, समय पर डायबिटीज की पहचान मौजूदा समय में बहुत जरूरी है क्योंकि ये बीमारी भारतीय आबादी में तेज रफ्तार से बढ़ती जा रही है। डायबिटीज का समय पर इलाज शुरू करने के लिए कुछ जरूरी टेस्ट सभी लोगों को करा लेने चाहिए। अगर आपको डायबिटीज का शक है या परिवार में पहले से किसी को डायबिटीज की दिक्कत रही है तो समय रहते अपनी जांच जरूर कराएं।
कुछ जरूरी जांचों से शुगर की समस्या को समय रहते पकड़ा जा सकता है। फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट, पोस्ट प्रांडियल ब्लड शुगर टेस्ट और HbA1c टेस्ट से शरीर में शुगर की स्थिति का सही आकलन होता है।
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फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट
फास्टिंग ब्लड शुगर टेस्ट शरीर में खाली पेट शुगर के स्तर को मापने में मदद करती है। इस जांच के लिए कम से कम 8 से 10 घंटे तक कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए। सामान्य ब्लड टेस्ट से यह समझने में मदद मिलती है कि शरीर बिना भोजन के शुगर को कितनी अच्छी तरह नियंत्रित कर पा रहा है।
सामान्य व्यक्ति में फास्टिंग ब्लड शुगर 70-100 mg/dL तक होना चाहिए। अगर ये अक्सर 130 से ऊपर रहता है तो डायबिटीज की आशंका हो सकती है।
पोस्ट प्रांडियल ब्लड शुगर टेस्ट
पोस्ट प्रांडियल ब्लड शुगर टेस्ट भोजन करने के लगभग 2 घंटे बाद किया जाता है। इस टेस्ट से पता चलता है कि खाना खाने के बाद शरीर शुगर को कैसे मैनेज कर रहा है। सामान्य स्थिति में पोस्ट प्रांडियल ब्लड शुगर 140 mg/dL से कम होना चाहिए। 180 या उससे अधिक की रीडिंग होने पर डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
HbA1c टेस्ट
HbA1c टेस्ट पिछले 2 से 3 महीनों की औसत ब्लड शुगर की जानकारी देता है। डायबिटीज के मरीजों को हर 3 महीने के अंतराल पर ये टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है। इस टेस्ट का सामान्य स्तर 5.7 प्रतिशत से कम होना चाहिए। 6.5 प्रतिशत या उससे अधिक होने पर डायबिटीज की पुष्टि होती है।
ग्लूकोमीटर और शुगर के अन्य जांच की तुलना में इस टेस्ट को अधिक विश्वसनीय माना जाता है। इसके लिए फास्टिंग की जरूरत भी नहीं होती और यह रोजाना होने वाले उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होता। यह टेस्ट डायबिटीज के कारण होने वाली जटिलताओं के जोखिम को समझने में बेहद उपयोगी साबित होता है।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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