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Gurugram News: रैपिडो चालक ने लंच बॉक्स नहीं पहुंचाया, कंपनी देगी 15 हजार मुआवजा
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पांच नवंबर 2024 को कंपनी के एप से मंगाया था लंच बॉक्स
विराट त्यागी
गुरुग्राम। रैपिडो कंपनी के चालक द्वारा घर से लिए लंच बॉक्स को पते पर नहीं पहुंचाने पर कंपनी शिकायतकर्ता को 15 हजार रुपये का मुआवजा देगी। कंपनी को शिकायतकर्ता के लंच बॉक्स की कीमत 980 रुपये भी ब्याज के साथ देनी होगी। यह आदेश जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग की सदस्य ज्योति सिवाच ने दिया है।
सेक्टर-4 निवासी मोहित ने आयोग में दायर की याचिका में बताया कि उनकी रेलवे रोड पर एक दुकान है। पांच नवंबर 2024 को दोपहर करीब सवा तीन बजे उन्होंने अपने घर से रैपिडो के एप से लंच बॉक्स मंगवाया था। चालक संजय ने घर से लंच बॉक्स ले भी लिया था। जब वह उनकी दुकान पर नहीं पहुंचा तो उन्होंने कंपनी में इसके लिए फोन किया उन्होंने भी कोई संतुष्ट जवाब नहीं दिया। चालक के नंबर पर भी कई बार फोन किया उसने भी कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद बिना उनकी लोकेशन पर आए एप पर दिखा दिया गया कि उनका सामान डिलीवर कर दिया गया है। उनका कहना है कि उनका नया लंच बॉक्स था जो कि उन्होंने 980 रुपये में खरीदा था। इस मामले में कंपनी की तरफ से आयोग में कोई भी पेश नहीं हुआ है।
आयोग ने दस्तावेज के आधार पर कंपनी को आदेश दिया है कि वह शिकायतकर्ता के 980 रुपये को नौ प्रतिशत की ब्याज से दे। इस राशि पर ब्याज पांच नवंबर 2024 से देना होगा। इस दौरान शिकायतकर्ता को हुई मानसिक परेशानी को देखते हुए 15 हजार रुपये का मुआवजा और कानूनी प्रक्रिया पर खर्च होने पर 11 हजार रुपये देने होंगे।
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सेक्टर-4 निवासी मोहित ने आयोग में दायर की याचिका में बताया कि उनकी रेलवे रोड पर एक दुकान है। पांच नवंबर 2024 को दोपहर करीब सवा तीन बजे उन्होंने अपने घर से रैपिडो के एप से लंच बॉक्स मंगवाया था। चालक संजय ने घर से लंच बॉक्स ले भी लिया था। जब वह उनकी दुकान पर नहीं पहुंचा तो उन्होंने कंपनी में इसके लिए फोन किया उन्होंने भी कोई संतुष्ट जवाब नहीं दिया। चालक के नंबर पर भी कई बार फोन किया उसने भी कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद बिना उनकी लोकेशन पर आए एप पर दिखा दिया गया कि उनका सामान डिलीवर कर दिया गया है। उनका कहना है कि उनका नया लंच बॉक्स था जो कि उन्होंने 980 रुपये में खरीदा था। इस मामले में कंपनी की तरफ से आयोग में कोई भी पेश नहीं हुआ है।
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आयोग ने दस्तावेज के आधार पर कंपनी को आदेश दिया है कि वह शिकायतकर्ता के 980 रुपये को नौ प्रतिशत की ब्याज से दे। इस राशि पर ब्याज पांच नवंबर 2024 से देना होगा। इस दौरान शिकायतकर्ता को हुई मानसिक परेशानी को देखते हुए 15 हजार रुपये का मुआवजा और कानूनी प्रक्रिया पर खर्च होने पर 11 हजार रुपये देने होंगे।