पांचों के खतरनाक मंसूबे: पकड़ा गया पाकिस्तानी हेंडलर CEO अशहर, कर रहे थे बड़ी प्लानिंग; गजवा हिंद का था सपना
दिल्ली पुलिस ने बताया कि उनमें से कुछ ने गजवा-ए-हिंद की अवधारणा स्थापित करने के लिए भारत में खिलाफत स्थापित करने के लिए अपने प्राण देने को भी तैयार थे। अभी सभी को तैयार किया जा रहा था। अशहर और दानिश दिल्ली/एनसीआर से हथियार और कृषि-रसायन की दुकानों और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से रासायनिक पदार्थ खरीदने की कोशिश कर रहा था।
विस्तार
पाकिस्तान हैंडलर समर्थित अखिल भारतीय आतंकी मॉड्यूल देश में खिलाफत करना चहाता था। इसके लिए आई का ये मॉड्यूल देश में जमीन का अधिग्रहण करने की फिराक में घूम रहे थे। खिलाफत के लिए इन्होंने देश में कई जगह जमीन के लिए गए थे, हालांकि ये जमीन फाइनल नहीं कर पाए थे। गजवा-ए-हिंद के अंतिम उद्देश्य के साथ एक खिलाफत स्थापित करना चाहते थे। इनके हथियार बनाने के साथ कारतूस तक बनाने के लिए कहा गया था। पाक में बैठा हैंडलर इनको हथियार आदि बनाने के वीडियो व पेटिंग्स भेजता रहता था।
जेहाद के नाम पर करते थे गुमराह
स्पेशल सेल के एडिशन सीपी प्रमोद सिंह कुशवाह ने बताया कि ये गली के युवाओं से संपर्क कर जेहाद के नाम पर उन्हें गुमराह कर रहे थे। साथ ही से सोशल मीडिया पर नजर रखते थे। अगर कोई युवा इनकी जैसी गुमराह वाली सोच वाला मिल जाता तो ये उसे पकड़ लेते थे। एडिशनल सीपी ने बताया कि संदिग्ध आतंकी हर युवा पर ऐसे ही विश्वास नहीं करते थे। ये पहले खासकर दानिश उनसे मिलता था। बातचीत कर उनकी काउंसलिंग करता फिर उन्हें मॉड्यूल में भर्ती करता।
पाकिस्तान से मिलते थे निर्देश
एडिशन सीपी कुशवाह ने बताया कि दानिश पकिस्तानी हैंडलर के निर्देश पर खिलाफत करता। वह पहले आर्मी बनाता था। फिर जेहाद करता। इसके बाद वह टारगेट करवाता था। उन्होंने बताया कि पाक में बैठे हैंडलर से समय-समय पर इनको आगे के निर्देश मिलते रहते थे। पुलिस का कहना है कि उनके पास पांचों संदिग्ध आतंकियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। पुलिस ने बताया पकड़े गए संदिग्धों में भी अभी तक कोई पाकिस्तान नहीं गया है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पकड़े गए कटकी के आईएस आतंकी मॉड्यूल से दानिश के अब पकड़े गए मॉड्यूल से कोई संबंध नहीं है। दोनों अलग-अलग हैं। मॉड्यूल के मास्टरमाइंड, सीईओ अशहर दानिश के पास से हथियार बनाने की सामग्री, गोला-बारूद बनाने के पुर्जे और खिलाफत स्थापित करने के लिए रासायनिक पदार्थ बरामद हुए हैं।
जान देने को तैयार थे
दिल्ली पुलिस ने बताया कि उनमें से कुछ ने गजवा-ए-हिंद की अवधारणा स्थापित करने के लिए भारत में खिलाफत स्थापित करने के लिए अपने प्राण देने को भी तैयार थे। अभी सभी को तैयार किया जा रहा था। अशहर और दानिश दिल्ली/एनसीआर से हथियार और कृषि-रसायन की दुकानों और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से रासायनिक पदार्थ खरीदने की कोशिश कर रहा था।
बरामदगी
एक देसी बंदूक और .315 बोर का एक कारतूस, दो अर्ध-स्वचालित पिस्तौल (.32 बोर) और 15 कारतूस,एक एयर गन (.22 बोर),तांबे की चादरें और स्टील के खोखले पाइप, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड, सोडियम बाइकार्बोनेट, सल्फर पाउडर, पीएच मान परीक्षक, बॉल बेयरिंग, चार चाकू, 10,500 रुपये नकद, तौल मशीन, बीकर सेट, सुरक्षा दस्ताने, श्वसन मास्क, प्लास्टिक का डिब्बा (जिसमें स्ट्रिप वायर, सर्किट बोर्ड, डायोड, मदरबोर्ड आदि थे) दो लैपटॉप और मोबाइल फोन आदि।
डॉ. इसरार अहमद के व्याख्यानों से कट्टरपंथी बन गया अशहर दानिश
बोकारो, झारखंड में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे दानिश ने रांची के सिल्ली कॉलेज से अंग्रेजी (ऑनर्स) में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। जनवरी 2024 में, वो रांची के न्यू तबारक लॉज में रहने चला गया, जहां उसने डॉ. इसरार अहमद के व्याख्यान सुनने शुरू किए और धीरे-धीरे कट्टरपंथी विचारों को अपना लिया। इंस्टाग्राम पर उसकी मुलाकात आफताब कुरैशी और इजहार-उल-हक जैसे लोगों से हुई। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक ग्रुप बनाया और लगभग 40 लोगों को जोड़ा। इस पर खिलाफत की ही बात ही होती थी। इसने खुद को कंपनी के सीईओ, प्रोफेसर या एनजीओ संचालक के रूप में दिखाने वाले कई सोशल मीडिया आईडी वाले कई ग्रुप भी बनाए ताकि उन पर और उनकी गतिविधियों पर किसी भी तरह की निगरानी को छुपाया जा सके। उसने रसायनों की खरीद के लिए धन इकट्ठा किया और बारूद बनाने के लिए सल्फर खरीदा। अगस्त 2025 में, उसने कारतूस बनाने के लिए तांबे की प्लेटें खरीदीं। उसने हथियार बनाने के लिए एक प्रोटोटाइप के रूप में अध्ययन करने के लिए बोकारो से एक गोली और एक देसी पिस्तौल भी ली।
आफताब नासिर कुरैशी
10वीं कक्षा तक पढ़ा आफताब अपने पिता की मीट की दुकान में मदद करता था। इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, टेलीग्राम और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय था। उसने 2020 के आसपास कट्टरपंथी इस्लामी सामग्री पढ़ना शुरू कर दिया था, जिसमें तारिक मसूद, जाकिर नाइक, इसरार अहमद और तारिक जमील के भाषण शामिल थे। वह जिहादी विचारधाराओं पर चर्चा करने वाले कट्टरपंथी समूहों का सदस्य बन गया। वह विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से अशहर दानिश से जुड़ा।
मोहम्मद हुजैफ यमन
बी. फार्मेसी के तीसरे वर्ष का छात्र यमन 3-4 साल पहले ओमेगल प्लेटफॉर्म के जेरिए अशहर दानिश के संपर्क में आया। बाद में वे व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम के जरिए जुड़े। दानिश ने भारत में मुसलमानों पर कथित अत्याचारों पर चर्चा की और सशस्त्र जिहाद के जरिए जवाबी कार्रवाई के लिए लश्कर बनाने का प्रस्ताव रखा। दानिश ने उन्हें जिहादी उद्देश्यों के लिए हथियार निर्माण सीखने की जिम्मेदारी सौंपी।
सूफियान अबुबकर खान
पांचवीं कक्षा तक पढ़ा सूफियान वेल्डर का काम करता था। वह आफताब कुरैशी को पिछले पांच साल से जानता था। आफ़ताब नियमित रूप से उनके साथ कट्टरपंथी वीडियो शेयर करता था और उन्हें चरमपंथी सोशल मीडिया गु्रप में जोड़ता था। 8 सितंबर को आफ़ताब ने उसे मेवात के एक सप्लायर जमील से हथियार लेने के लिए दिल्ली चलने को कहा था।
कामरान कुरैशी उर्फ समर खान
12वीं तक पढ़ा कामरानलैब असिस्टेंट के पद पर कार्यरत था और वकीलों के लिए टाइपिस्ट/ड्राफ्टर का भी काम करता था। उसने स्वीकार किया कि वह अशहर दानिश के संपर्क में एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से आया था, जो गज़वा-ए-हिंद के लिए कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देता था। उसने दानिश को धन मुहैया कराया और उसे और सदस्य बनाने का निर्देश दिया गया। वह और दानिश खिलाफत से संबंधित प्रशिक्षण गतिविधियों को शुरू करने के लिए ज़मीन खरीदने की भी योजना बना रहे थे।