JNU Student Union Elections: 67 फीसदी हुआ मतदान, पिछले चुनाव की तुलना में 3 प्रतिशत कम; नतीजे आज से कल तक
चुनाव के लिए 9043 मतदाता पंजीकृत थे। पिछले चुनाव अप्रैल 2025 की तुलना में इस बार मतदान में तीन फीसदी की गिरावट देखने को मिली।
विस्तार
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव समिति के अध्यक्ष रवि कांत के अनुसार लगभग 67 फीसदी मतदान हुआ। चुनाव के लिए 9043 मतदाता पंजीकृत थे। पिछले चुनाव अप्रैल 2025 की तुलना में इस बार मतदान में तीन फीसदी की गिरावट देखने को मिली। मतदान के लिए अलग-अलग स्कूलों में 17 पोलिंग बूथ बनाए गए थे। इसमें स्कूल ऑफ लैंग्वेज-1, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज-1 और स्कूल ऑफ सोशल साइंस-1 और 2 शामिल थे।
बैलेट पेपर के माध्यम से चुनाव कराया गया। चुनाव का अंतिम परिणाम छह नवंबर को जारी होगा। हालांकि उससे पहले भी उम्मीदवारों के जीतने को लेकर सूचना जारी हो सकती है। वहीं मतदान संपन्न होने के बाद देर रात मतगणना की प्रक्रिया शुरू हो गई। इस लिंक www.jnusuec.org पर भी चुनाव का परिणाम लाइव देखा जा सकता है।
पौने घंटे की देरी से मतदान हुआ शुरू
चुनाव समिति ने भले नौ बजे से मतदान प्रक्रिया शुरू होने का दावा किया हो लेकिन छात्र संगठनों के अनुसार मतदान आधे से पौने घंटे की देरी से शुरू हुआ। इसकी वजह पोलिंग एजेंट का समय से न पहुंचना रहा। वहीं मतदान की प्रक्रिया करीब शाम सात बजे तक चली। मतदान का आयोजन दो अलग-अलग पाली में किया गया था। दूसरी पाली में दोपहर ढाई बजे से मतदान प्रक्रिया शुरू हुई।
मतदान केंद्रों के बाहर छात्रों की लंबी कतार देखने को मिली। सुबह दूसरी पाली की अपेक्षा कम भीड़ थी। जेएनयू के प्रवेश द्वार पर दिल्ली पुलिस और अर्द्धसैनिक बल के जवान तैनात थे। जबकि मतदान केंद्रों के बाहर जेएनयू के सुरक्षाकर्मियों ने मोर्चा संभाल रखा था। एक शिफ्ट में करीब 250 कर्मियों को तैनात किया गया था। साथ ही दिल्ली पुलिस के जवान सादे कपड़ों में निगरानी करते दिखे। स्कूल ऑफ लैंग्वेज मतदान केंद्र पर ड्रोन से भी निगरानी की जा रही थी।
चार पदों के लिए 20 उम्मीदवार है मैदान में
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में सेंट्रल पैनल के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव के पद के लिए 20 उम्मीदवार मैदान में है। इसमें सबसे ज्यादा अध्यक्ष पद पर सात उम्मीदवार उसके बाद महासचिव और संयुक्त सचिव पर पांच-पांच और सबसे कम उपाध्यक्ष पद पर तीन उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि अलग-अलग स्कूलों में काउंसलर के पदों पर 111 उम्मीदवार दावेदार हैं। इस बार सेंट्रल पैनल में करीब 30 फीसदी, जबकि काउंसलर के पद पर करीब 25 फीसदी महिला उम्मीदवार मैदान में है।
वामपंथी संगठनों के इन उम्मीदवारों ने लड़ा चुनाव
छात्र संघ चुनाव को लेकर वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया(एसएफआई) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) ने संयुक्त तौर पर उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसमें अध्यक्ष पद के लिए आइसा से आदिती मिश्रा, एसएफआई से उपाध्यक्ष पद के लिए गोपिका बाबू, डीएसएफ से महासचिव के पद पर सुनील यादव, आइसा से संयुक्त सचिव के पद पर दानिश अली चुनाव लड़ रही है।
एबीवीपी ने मैदान में इन्हें उतारा
इस बार सेंट्रल पैनल को लेकर एबीवीपी ने अध्यक्ष पद के लिए विकास पटेल, उपाध्यक्ष पद के लिए तान्या कुमारी, महासचिव पद के लिए राजेश्वर कांत दुबे और संयुक्त सचिव पद के लिए अनुज डमारा को मैदान में उतारा है।
दूसरे संगठनों के यह उम्मीदवार
जबकि ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने सिर्फ महासचिव के पद पर गोपी कृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। जबकि बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बापसा) ने अध्यक्ष पद के लिए राज रत्न राजोरिया और महासचिव के लिए शोएब खान को उम्मीदवार बनाया है। वहीं एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद पर विकास, उपाध्यक्ष पद पर शेख शाहनवाज आलम, महासचिव के पद पर प्रीति और संयुक्त सचिव के पद पर कुलदीप ओझा चुनाव लड़ रहे है। प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स एसोसिएशन से अध्यक्ष पद के लिए शिंदे विजयलक्ष्मी चुनावी मैदान में है।
पिछले चुनाव में यह उम्मीदवार जीते थे
इस वर्ष अप्रैल माह में आयोजित जेएनयू छात्र संघ चुनाव में आइसा और डीएसएफ के संयुक्त उम्मीदवारों में अध्यक्ष पद पर नीतीश कुमार, उपाध्यक्ष मनीषा और महासचिव के पद पर मुंतेहा फातिमा ने जीत दर्ज की थी। जबकि एबीवीपी से संयुक्त सचिव के पद पर वैभव मीणा को करीब एक दशक बाद जीत मिली थी। पिछले चुनाव में वामपंथी छात्र संगठनों के बीच गठबंधन नहीं हो सका था जिसका फायदा एबीवीपी को मिला था। मगर,इस चुनाव में आइसा, डीएसएफ और एसएफआई मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं।
चुनाव को लेकर बीते वर्षों के आंकड़े
- वर्ष 2025 अप्रैल में 70 फीसदी
- वर्ष 2024 में 73 फीसदी
- वर्ष 2019 में 67.9 फीसदी
- वर्ष 2018 में 67.8 फीसदी
- वर्ष 2017 में 58.69 फीसदी
- वर्ष 2016 में 59.6 फीसदी
- वर्ष 2015 में 55 फीसदी
- वर्ष 2014 में 55 फीसदी
- वर्ष 2013 में 55 फीसदी
- वर्ष 2012 में 60 फीसदी
(नोटःकोरोना के कारण वर्ष 2020 से लेकर 2023 के बीच चुनाव नहीं हुए)
वामपंथी संगठनों के इन उम्मीदवारों ने लड़ा चुनाव
छात्र संघ चुनाव को लेकर वामपंथी छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया(एसएफआई) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) ने संयुक्त तौर पर उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसमें अध्यक्ष पद के लिए आइसा से आदिती मिश्रा, एसएफआई से उपाध्यक्ष पद के लिए गोपिका बाबू, डीएसएफ से महासचिव के पद पर सुनील यादव, आइसा से संयुक्त सचिव के पद पर दानिश अली चुनाव लड़ रही है।
एबीवीपी ने मैदान में इन्हें उतारा
- इस बार सेंट्रल पैनल को लेकर एबीवीपी ने अध्यक्ष पद के लिए विकास पटेल, उपाध्यक्ष पद के लिए तान्या कुमारी, महासचिव पद के लिए राजेश्वर कांत दुबे और संयुक्त सचिव पद के लिए अनुज डमारा को मैदान में उतारा है।
दूसरे संगठनों के यह उम्मीदवार
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) ने महासचिव पद पर गोपी कृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन (बापसा) ने अध्यक्ष पद के लिए राज रत्न राजोरिया और महासचिव के लिए शोएब खान को उम्मीदवार बनाया है। एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद पर विकास, उपाध्यक्ष पद पर शेख शाहनवाज आलम, महासचिव पद पर प्रीति और संयुक्त सचिव के पद पर कुलदीप ओझा चुनाव लड़ रहे है। प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स एसोसिएशन से अध्यक्ष पद के लिए शिंदे विजयलक्ष्मी चुनावी मैदान में है।
मतदान केंद्रों के बाहर वंदे मातरम-लाल सलाम की गूंज
जेएनयू छात्र संघ चुनाव को लेकर मतदान केंद्रों के बाहर वंदे मातरम, जय भीम और लाल सलाम के नारों की गूंज थी। डफली, ढोल और ड्रम की आवाज का शोर था। प्रचार के पर्चों को उड़ाया जा रहा था। हालांकि चुनाव समिति के दिशा-निर्देशों के अनुसार इस पर रोक थी।
जेएनयू आईसी चुनाव भी हुआ संपन्न
जेएनयू में मंगलवार को आंतरिक समिति (आईसी) 2025-26 का चुनाव भी संपन्न हुआ। जेएनयू डीन ऑफ स्टूडेंट्स प्रो. मनुराधा चौधरी ने कहा कि जेएनयू छात्र संघ और आईसी चुनाव का आयोजन शांतिपूर्वक रहा। आईसी चुनाव प्रशासन कराता है, जिसके परिणाम बुधवार को जारी होंगे। बता दें कि आईसी में नौ सदस्य होते है। आईसी को आंतरिक शिकायत समिति भी कहा जाता है। इसमें छात्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन सदस्यों का चयन चुनाव के जरिए होता है। तीन सदस्यों में दो महिला और एक पुरुष शामिल है। लेकिन इस बार बदलाव किया गया है। पुरुष के लिए आरक्षित जगह को सभी उम्मीदवारों के लिए खोल दिया गया है। वहीं समिति के बाकी छह सदस्य प्रशासन द्वारा चयनित किए जाते है।
एबीवीपी ने अपने पक्ष में मतदान का किया दावा
जेएनयू छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी ने अपने पक्ष में मतदान का दावा किया है। एबीवीपी के अनुसार छात्रसंघ में वामपंथी दल लंबे समय से सत्ता में रहे हैं। इसके बावजूद जेएनयू के छात्र अकादमिक कमियों, छात्रावास सुविधाओं की अपर्याप्तता और खेलकूद के उपकरणों की कमी जैसी समस्याओं से प्रतिदिन जूझ रहे हैं। वामपंथी संगठनों ने वर्षों तक छात्रसंघ पर काबिज रहकर छात्रों के हित में कोई ठोस कार्य नहीं किए।