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Make in India: विदेश में पटरियों पर दौड़ रहे भारतीय रेलवे के इंजन, बढ़ रहा है कई देशों का भारत पर भरोसा
शनि पाथौली, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Fri, 21 Nov 2025 02:09 AM IST
सार
अंतरराष्ट्रीय रेलवे बाजार में भी भारत तेजी से लोकोमोटिव निर्यात का मजबूत हब बनकर उभर रहा है। भारतीय रेल इंजन आज एशिया व अफ्रीका के कई देशों की जीवनरेखा बने हुए हैं। कम लागत, बेहतर दक्षता और समय पर सप्लाई इंजन के निर्यात में भारत की बड़ी ताकत बन गई है।
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Indian Railways
- फोटो : AdobeStock
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विस्तार
भारतीय रेलवे की मेक इन इंडिया मुहिम अब सिर्फ घरेलू पटरी तक सीमित नहीं रही। अंतरराष्ट्रीय रेलवे बाजार में भी भारत तेजी से लोकोमोटिव निर्यात का मजबूत हब बनकर उभर रहा है। भारतीय रेल इंजन आज एशिया व अफ्रीका के कई देशों की जीवनरेखा बने हुए हैं। कम लागत, बेहतर दक्षता और समय पर सप्लाई इंजन के निर्यात में भारत की बड़ी ताकत बन गई है।
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भारतीय रेलवे का डीजल लोकोमोटिव का पहला विदेशी ग्राहक बांग्लादेश था। भारत ने 1350 हॉर्सपावर का ब्रॉड गेज लोकोमोटिव बांग्लादेश को सौंपा था। अब श्रीलंका, मलयेशिया, वियतनाम, सूडान, अंगोला, मोजाम्बिक, सेनेगल और म्यांमार सहित अन्य देश भारतीय इंजनों पर भरोसा जता रहे हैं। इन देशों की रेलवे लाइन पर भारतीय इंजनों की ट्रेन दौड़ रही है। रेलवे ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में भी निर्यात किए गए इंजनों के वास्तविक मॉडल प्रदर्शित किए हैं।
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2600 से 3000 एचपी क्षमता वाले इंजन का निर्यात
रेलवे ने 2600 व 3000 एचपी जैसी उच्च क्षमता वाले इंजनों का निर्यात किया है। सबसे पहले 2001 में 2300 एचपी का शक्तिशाली लोकोमोटिव मलयेशिया को सप्लाई किया गया था। यह इंजन विशेष रूप से मीटर गेज ट्रैकों पर माल ढुलाई के लिए डिजाइन किया गया था। इसी श्रेणी का एक अन्य इंजन सेनेगल को निर्यात किया गया जिसमें समान क्षमता और उच्च दक्षता का संयोजन था।
देशों की जरूरतों के हिसाब से किया गया तैयार
रेलवे की ओर से निर्यात किए गए इंजनों को अलग-अलग देशों की जरूरतों के अनुसार तैयार किया गया है। 1350 एचपी 6 सिलिंडर वाला लोकोमोटिव 2003 में वियतनाम को निर्यात किया गया। यह इंजन वहां की स्थानीय मालगाड़ियों के संचालन में काफी उपयोगी साबित हुआ। अधिकारियों के अनुसार, तकनीकी सुधार, कम लागत, बेहतर प्रदर्शन और समय पर आपूर्ति ने भारत को वैश्विक रेल इंजन बाजार में एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में स्थापित किया है।
सबसे ज्यादा मॉडल अफ्रीकी देशों में किए निर्यात
सबसे ज्यादा मॉडल अफ्रीकी देशों में निर्यात किए गए। सूडान ने 1350 एचपी और 2300 एचपी दोनों तरह के केप गेज इंजन खरीदे। अंगोला ने 1350 एचपी और 3000 एचपी केप गेज लोकोमोटिव खरीदे। इसके अलावा माली, सेनेगल और बेनिन ने भी केप गेज इंजनों को अपनी रेलवे की रीढ़ बनाया। इन देशों में रेलवे का अधिकांश माल ढुलाई कार्य अब भारतीय लोकोमोटिव ही करते हैं।
हर तरह के रेल ट्रैक के लिए बनाए इंजन
भारत ने मीटर गेज, केप गेज और ब्रॉड गेज तीनों तरह के रेल ट्रैक के लिए आधुनिक डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव निर्यात किए हैं। भारतीय रेलवे का लक्ष्य आने वाले वर्षों में लोकोमोटिव और कोच निर्माण दोनों क्षेत्रों में निर्यात क्षमता का विस्तार करना है। मेक इन इंडिया के तहत चेन्नई और वाराणसी जैसे केंद्र आधुनिक इंजनों का निर्माण कर वैश्विक बाजार में देश की पहचान मजबूत कर रहे हैं।